Delhi Buildings Collapse: दिल्ली में इमारत का गिरना चिंताजनक, MCD भी है जिम्मेदार
हादसे की वजह जहां पहले से ही अवैध रूप से बनी इस इमारत के बेसमेंट में नियमों को धता बताकर किया जा रहा निर्माण कार्य था वहीं इसके लिए उत्तरी दिल्ली नगर निगम की लापरवाही को भी बहुत हद तक जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
नई दिल्ली [सौरभ श्रीवास्तव]। राजधानी दिल्ली के मलकागंज इलाके में घंटाघर के पास अवैध रूप से बनी जर्जर इमारत के ढह जाने से इसके पास से मां के साथ गुजर रहे दो बच्चों की मौत की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। चिंताजनक यह भी है कि ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि इमारत के मलबे में कुछ लोग और दबे हो सकते हैं। खैर ऐसा नहीं हुआ था। हादसे की वजह जहां पहले से ही अवैध रूप से बनी इस इमारत के बेसमेंट में नियमों को धता बताकर किया जा रहा निर्माण कार्य था, वहीं इसके लिए उत्तरी दिल्ली नगर निगम की लापरवाही को भी बहुत हद तक जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। प्रश्न यह उठता है कि आखिर अवैध रूप से बनी इस इमारत पर नगर निगम के अधिकारियों ने कभी सवाल क्यों नहीं उठाए। यही नहीं, निगम जर्जर इमारतों का सर्वे कर उन्हें सील करने और ढहाने की कार्रवाई करता है, ताकि उनसे किसी तरह का हादसा न होने पाए।
आखिर इस इमारत के मामले में ऐसा क्यों नहीं हुआ? यह इमारत निगम की खतरनाक इमारतों की सूची में शामिल नहीं थी, यानि जर्जर और खतरनाक इमारतों के सर्वे के नाम पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम में खानापूर्ति की जा रही है।यही नहीं, इस अवैध रूप से निर्मित जर्जर इमारत के बेसमेंट में भी नियमों को ताक पर रख करीब 15 दिन से निर्माण कार्य चल रहा था, लेकिन निगम को इसकी भनक तक नहीं थी। यह निगम की लचर कार्यप्रणाली को दर्शाता है।
इस अवैध निर्माण के पीछे निगमकर्मियों के भ्रष्टाचार की आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। इस हादसे को गंभीरता से लेते हुए इसकी गहराई से जांच की जानी चाहिए, ताकि इन मौतों के लिए दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों को कठघरे में खड़ा किया जा सके। साथ ही इस हादसे को एक उदाहरण के तौर पर लेते हुए निगम को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करना चाहिए। अवैध इमारतों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, वहीं जर्जर व खतरनाक इमारतों के सर्वे और उनपर कार्रवाई की प्रक्रिया को पूरी गंभीरता के साथ करना सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।