2012 Delhi Nirbhaya case: चारों दोषियों की फांसी को लेकर तिहाड़ जेल से आ रही बड़ी खबर

2012 Delhi Nirbhaya case फांसी घर जमीन से 12 फीट ऊपर चारदीवारी से घिरा एक कुएं के आकार का ढांचा होता है इसके ऊपर कंक्रीट की छत बनी होती है।

By JP YadavEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 09:26 AM (IST) Updated:Thu, 12 Dec 2019 07:29 AM (IST)
2012 Delhi Nirbhaya case: चारों दोषियों की फांसी को लेकर तिहाड़ जेल से आ रही बड़ी खबर
2012 Delhi Nirbhaya case: चारों दोषियों की फांसी को लेकर तिहाड़ जेल से आ रही बड़ी खबर

नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्र]। 2012 Delhi Nirbhaya case : तमाम चर्चाओं के बीच दिल्ली की तिहाड़ जेल संख्या-3 पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। इस जेल में ही फांसी की सजा पाए दोषियों को फंदे पर लटकाया जाता है। इस जेल में एक खुले अहाते में ही फांसी घर बना हुआ है।

आमतौर पर बंद रहने वाले इस फांसी घर की इन दिनों सफाई की जा रही है। सिविल से जुड़े कार्य को अंतिम रूप दिया जा रहा है। झाड़ियों व घास को साफ किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारी यहां हो रहे कार्य पर नजर रख रहे हैं। जेल अधिकारियों का कहना है कि 2013 में आतंकी अफजल को हुई फांसी के बाद से यह घर बंद था, लेकिन अब इसे खोला गया है।

जेल सूत्रों का कहना है कि फांसी घर जमीन से 12 फीट ऊपर चारदीवारी से घिरा एक कुएं के आकार का ढांचा होता है, इसके ऊपर कंक्रीट की छत बनी होती है। छत के बीच के हिस्से में 12- 12 फीट लंबा दो तख्त होता है। छत के दोनों ओर लोहे के दो खंभे होते हैं, जो लोहे की एक पाइप से जुड़ी होती है। इसी पाइप पर फंदा बनाया जाता है। इसके किनारे एक लीवर लगा होता है, जिसे दबाने से दोनों तख्त एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं और जिस व्यक्ति को फंदा लगाया जाता है वह छत के नीचे लटक जाता है।

जेल सूत्रों का कहना है कि लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को यहां बने तमाम ढांचों को दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर फांसी घर का इस्तेमाल कभी भी किया जा सके।

...इस तरह दी जाती है फांसी फांसी की सजा पाए कैदियों को आमतौर पर सूर्योदय के बाद ही फांसी की सजा देने का प्रावधान है। इसी तरह अक्सर गर्मी में सुबह छह बजे और सर्दी में सात बजे फांसी की सजा दी जाती है। तिहाड़ में इस नियम का पालन किया जाता है। फांसी घर लाने से पहले दोषी को सुबह पांच बजे नहलाया जाता है। इसके बाद मजिस्ट्रेट दोषी से उसकी आखिरी इच्छा के बारे में पूछते हैं। इसके बाद दोषी को काला कपड़ा पहनाकर फांसी घर लाया जाता है। फांसी घर लाने के बाद दोषी के हाथ व पैर को रस्सी या हथकड़ी से बांध दिया जाता है। इसके बाद दोषी के मुंह को काले रंग के कपड़े से ढका जाता है। आमतौर पर यह पूरा काम जल्लाद करता है, लेकिन जल्लाद के न होने पर यह कार्य जेल का कर्मचारी भी कर सकता है।

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