Aravali, House Demolition: सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से अरावली वन क्षेत्र में अतिक्रमण करने वालों में मचा हड़कंप
फरीदाबाद के खोरी गांव में वन क्षेत्र की 174 एकड़ भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश दे चुकी शीर्ष अदालत ने 23 जुलाई को दिल्ली एनसीआर के लिए आक्सीजन का सबसे बड़े स्नोत अरावली को सुरक्षित रखने के लिए अन्य सभी अतिक्रमण हटाने का भी आदेश दिया है।
नई दिल्ली/ फरीदाबाद [बिजेंद्र बंसल]। हरियाली से परिपूर्ण अरावली पर्वतमाला में वन क्षेत्र की भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट काफी सख्त है। फरीदाबाद के खोरी गांव में वन क्षेत्र की 174 एकड़ भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश दे चुकी शीर्ष अदालत ने 23 जुलाई को दिल्ली एनसीआर के लिए आक्सीजन का सबसे बड़े स्नोत अरावली को सुरक्षित रखने के लिए अन्य सभी अतिक्रमण हटाने का भी आदेश दिया है। इसके बाद से फरीदाबाद-सूरजकुंड, फरीदाबाद-गुरुग्राम मार्ग सहित फरीदाबाद, मेवात और गुरुग्राम क्षेत्र में अरावली की वन भूमि पर अतिक्रमण करने वालों में हड़कंप मचा है।
प्रशासन हालांकि अभी शीर्ष अदालत से मिली समयावधि के चार सप्ताह के दौरान खोरी गांव की जमीन से अतिक्रमण हटा रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में तीनों जिलों में बने अतिक्रमण भी हटाए जाएंगे। हरियाणा सरकार ने 2020 में विधानसभा सत्र के दौरान विधायक सीमा त्रिखा और आइएएस अधिकारी अशोक खेमका को सूचना का अधिकार के तहत जो जवाब दिया है, उसमें फरीदाबाद के 50 और गुरुग्राम के 10 ही अतिक्रमण बताए हैं। हालांकि राज्य वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के आदेश पर गठित फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूंह (मेवात) जिला की कमेटियों ने अरावली के वन क्षेत्र की भूमि पर 300 से अधिक अतिक्रमण की सूची पूरे विवरण के साथ दी है।
यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन टिब्यूनल में 18 जून 2020 को सोनिया घोष बनाम हरियाणा सरकार के मामले की सुनवाई के दौरान दी गई है। हरियाणा पर्यावरण संरक्षण समिति के अध्यक्ष पीके मित्तल एडवोकेट का कहना है कि विधानसभा में विधायक को दी रिपोर्ट एनजीटी की रिपोर्ट से मेल नहीं खाती। समिति तीनों जिला के उपायुक्तों की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई चाहती है। इन कमेटियों में वन अधिकारी सहित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्रतिनिधि भी शामिल रहा है।
दोनों ही रिपोर्ट में प्रभावशाली लोगों के नाम नहीं किए उजागर
हरियाणा सरकार की तरफ से गुरुग्राम-फरीदाबाद के जिन 60 अतिक्रमण की सूची विधानसभा व एनजीटी में दी गई, उनमें संबंधित अतिक्रमण के मालिकों के नाम नहीं दिए गए।