North India Pollution Alert: दिल्ली के साथ हरियाणा और यूपी के कई शहर भी बने वायु प्रदूषण के हॉट स्पॉट
सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) के एक अध्ययन में सामने आया है कि पूरे उत्तर भारत के शहरों में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ा है। अध्ययन में यह भी पता चला है कि दिल्ली एनसीआर में भिवाड़ी मानेसर गाजियाबाद दिल्ली और नोएडा प्रदूषण के हॉट स्पॉट बन रहे हैं।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। इस साल मार्च, अप्रैल और मई माह में गर्मी ही रिकार्डतोड़ नहीं पड़ी, बल्कि वायु प्रदूषण भी उच्च स्तर पर रहा। समूचे उत्तर भारत में पीएम 2.5 का स्तर अधिक रहा। एनसीआर में भिवाड़ी, मानेसर, गाजियाबाद, दिल्ली और नोएडा हाट स्पाट बन रहे हैं। यह निष्कर्ष सामने आया है सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) के एक विश्लेषण में।
यह विश्लेषण एक मार्च से 31 मई की समयावधि में किया गया। इसके लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आनलाइन पोर्टल के जरिये 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 174 शहरों में कंटीन्यूअस एम्बिएंट एयर क्वालिटी मानिटरिंग सिस्टम के तहत 356 स्टेशनों से आंकड़े लिए गए।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
उत्तर भारत सबसे अधिक प्रदूषित है, दिल्ली-एनसीआर गर्मियों में प्रदूषण का हाटस्पाट है। उत्तर भारत में पीएम 2.5 का ग्रीष्मकालीन औसत स्तर 71 माइक्रोग्राम प्रति वर्ग मीटर है, जो सभी क्षेत्रों में सबसे अधिक है। पूर्वी भारत 69 माइक्रोग्राम प्रति वर्ग मीटर के साथ गर्मियों के औसत के साथ दूसरा सबसे खराब क्षेत्र था। पश्चिम भारत में (54 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) और मध्य भारत में (46 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) ने भी 40 माइक्रोग्राम प्रति वर्ग मीटर सामान्य स्तर से अधिक का ग्रीष्मकालीन स्तर दर्ज किया। अन्य क्षेत्रों की तुलना में पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत स्वच्छ रहे, जहां पीएम 2.5 का यह स्तर क्रमश 35 और 31 माइक्रोग्राम प्रति वर्ग मीटर दर्ज किया गया। उत्तर भारत में दिल्ली एनसीआर सबसे प्रदूषित उप-क्षेत्र पाया गया। दिल्ली-एनसीआर के शहरों में गर्मियों में पीएम 2.5 का औसत बहुत अधिक दर्ज किया गया, जिसमें भिवाड़ी में सर्वाधिक 134 माइक्रोग्राम प्रति वर्ग मीटर रहा। मानेसर (119 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर), गाजियाबाद (101 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर), दिल्ली (97 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर), गुरुग्राम (94 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) और नोएडा (80 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) भी कम प्रदूषित न थे। एनसीआर क्षेत्र में पीएम 2.5 का औसत स्तर दक्षिणी भारत के शहरों के औसत का लगभग तीन गुना है। उत्तर भारत ने पिछली गर्मियों की तुलना में मौसमी पीएम 2.5 स्तर में 23 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। उत्तर भारत में मौसमी पीएम 2.5 स्तर में 25.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ एनसीआर सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला उप-क्षेत्र था। दिल्ली-एनसीआर के 12 शहर इस गर्मी में सबसे अधिक प्रदूषण स्तर वाले शीर्ष 20 शहरों में शामिल हैं।गर्मी के बढ़ते प्रदूषण के रुझान वाले उत्तरी शहर
इस क्षेत्र के 19 शहरों में बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई देती है, यानी गर्मियों के औसत और पीक दोनों में उनकी पिछली गर्मियों की तुलना में वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश के हापुड़ में गर्मियों के औसत में 210 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि और 265 प्रतिशत की औसत वृद्धि देखी गई। हरियाणा के कैथल में गर्मियों के औसत में 123 प्रतिशत की वृद्धि और पीक में 96 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
पंजाब और हरियाण समेत कई राज्यों के शहर शामिल
वहीं, वायु प्रद्रूषण में वृद्धि दिखाने वाले अन्य शहरों में मुजफ्फरनगर, पंचकुला, कुरुक्षेत्र, रोहतक, अंबाला, मंडी गोबिंदगढ़, मानेसर, उदयपुर, यमुना नगर, बहादुरगढ़, हिसार, गुरुग्राम, कोटा, लुधियाना, लखनऊ, खन्ना और मेरठ शामिल हैं।
गर्मियों के दौरान औसत और चरम स्तरों में मिश्रित प्रवृत्ति वाले उत्तरी शहर
इस क्षेत्र के 23 शहरों में मिश्रित प्रवृत्ति दिखाई देती है, यानी उनकी गर्मी का औसत बढ़ गया है, लेकिन उनकी पिछली गर्मियों की तुलना में चरम प्रदूषण में गिरावट आई है। पिछली गर्मियों की तुलना में केवल भटिंडा अपने ग्रीष्मकालीन औसत (11 प्रतिशत) में गिरावट और चरम प्रदूषण में एक प्रतिशत की वृद्धि दिखा रहा है।
हरियाणा का नारनौल और चरखी दादरी भी चर्चा में
नारनौल में सबसे अलग प्रवृत्ति है क्योंकि इसकी चोटी के औसत में 52 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन इसका ग्रीष्मकालीन औसत 12 प्रतिशत अधिक है। हरियाणा में चरखी दादरी ने अपने ग्रीष्मकालीन औसत में 85 प्रतिशत की सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की और 27 प्रतिशत कम पीक प्रदूषण दर्ज किया।
इसके बाद चंडीगढ़, कनौर, धारूहेड़ा, जयपुर, पटियाला, अजमेर, दिल्ली, करनाल, फरीदाबाद, नोएडा, नारनौल, जींद, भिवाड़ी का स्थान रहा। पलवल, बुलंदशहर, अमृतसर, जोदपुर, ग्रेटर नोएडा, सिरसा, अलवर, गाजियाबाद और भटिंडा।
गर्मी के प्रदूषण में गिरावट की प्रवृत्ति दर्ज करने वाले शहर
सात शहरों में गिरावट की प्रवृत्ति दिखाई देती है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में उनके ग्रीष्मकालीन औसत में 59 प्रतिशत की गिरावट और 64 प्रतिशत कम चोटी के साथ सबसे अधिक गिरावट देखी गई। गिरावट की प्रवृत्ति वाले अन्य शहरों में बल्लभगढ़, जालंधर, पाली, आगरा, मंडीखेड़ा और श्रीनगर शामिल हैं।
अनुमिता रायचौधरी (कार्यकारी निदेशक, सीएसई) का कहना है कि यह विश्लेषण सभी क्षेत्रों में प्रदूषण के अनूठे पैटर्न की पहचान करता है। साथ ही बड़ी संख्या में कस्बों और शहरों पर रोशनी डालता है जिन पर नीतिगत ध्यान नहीं दिया जाता। शुष्क परिस्थितियों, उच्च गर्मी और तापमान, अधिक वायुजनित धूल कणों के कारण ग्रीष्मकाल के दौरान प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है।