दिल्ली में चार साल में आधी हो गई मलेरिया की जांच, ये है इसकी बड़ी वजह
मलेरिया की बात करें तो वर्ष 2020 में कोरोना आने से पहले केवल दिल्ली सरकार और नगर निगम के अस्पतालों में साल भर में सवा लाख तक जांच होती थी जो अब घटकर 32 हजार तक हो गई है।
नई दिल्ली [निहाल सिंह]। कोरोना ने उन बीमारियों को भुला दिया है जो हर वर्ष अक्सर हमें परेशान करती थीं। कोरोना से पहले हर वर्ष लोगों को डेंगू-मलेरिया का डर सताता था। सताए भी क्यों न, क्योंकि एक-दो साल बाद यह भयानक रूप भी तो ले लेती थी। कई लोगों की जान भी चली जाती थी। कोरोना आने के बाद मच्छरजनित बीमारियां भी गई नहीं। कोरोना और डेंगू-मलेरिया के मिलते जुलते लक्षण होने की वजह से लोग कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों की जांच नहीं करा रहे हैं।
यही वजह है कि चार साल में यह जांच 50 फीसद तक घट गई है। कोरोना की तरह अभी मच्छरजनित बीमारियों का भी इलाज नहीं है, लेकिन डेंगू-मलेरिया को रोकना इंसान के हाथ में है, जबकि कोरोना को नहीं। अपने घर और कार्यस्थल के आसपास साफ रखें तो मच्छरों के पनपने को रोका जा सकता है और इन बीमारियों को भी।
मलेरिया की बात करें तो वर्ष 2020 में कोरोना आने से पहले केवल दिल्ली सरकार और नगर निगम के अस्पतालों में साल भर में सवा लाख तक जांच होती थी, जो अब घटकर 32 हजार तक हो गई है। वहीं मई में तो यह 50 फीसद तक कम हो गई है। वर्ष 2018 में जहां 22 हजार 721 जांच हुई थी, जो इस वर्ष घटकर 10617 तक हो गई है।
इससे इन बीमारियों का समय पर न पता लग पाने और उनका इलाज शुरू न होने से लोगों की जान को खतरा बढ़ गया है। दोनों बीमारियों के मिलते-जुलते लक्षण हैं, लेकिन निगरानी से अंतर को समझा जा सकता है।
मच्छरजनित बीमारियों के लक्षण
कोरना के लक्षण
एनडीएमसी के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी (सेवानिवृत्त) डा. पीके शर्मा ने बताया कि अक्सर इस मौसम में मच्छरजनित बीमारियां भी होती हैं। कोरोना के साथ हमें इन बीमारियों के लक्षणों को ध्यान में रखना चाहिए। डाक्टर की सलाह पर इनकी जांच भी करानी चाहिए, क्योंकि कुछ मिलते-जुलते लक्षण हैं। इससे लोगों का मच्छरजनित बीमारियों की ओर ध्यान नहीं जा रहा है।