Kisan Andolan: संयुक्त किसान मोर्चा की इस जिद ने नर्क बना दी लाखों लोगों की जिंदगी, गांवों के लोग घरों में कैद

Kisan Andolan सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने 200 दिन से न सिर्फ आसपास के लोगों की जिंदगी मुहाल की है बल्कि इससे पंजाब हिमाचल से आने वाले भी परेशान हो रहे हैं। ऐसे में कई राज्यों को दिल्ली से जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग- एक मुसीबतों का हाई-वे बन गया है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 11:27 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 11:27 AM (IST)
Kisan Andolan: संयुक्त किसान मोर्चा की इस जिद ने नर्क बना दी लाखों लोगों की जिंदगी, गांवों के लोग घरों में कैद
संयुक्त किसान मोर्चा की इस जिद ने नर्क बना दी लाखों लोगों की जिंदगी, गांवों के लोग घरों में कैद

नई दिल्ली [सोनू राणा]। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद करवाने की जिद करके सिंघु बॉर्डर पर बैठे प्रदर्शनकारियों ने 200 दिन से न सिर्फ आसपास के लोगों की जिंदगी मुहाल कर रखी है, बल्कि इससे हरियाणा पंजाब, हिमाचल से आने वाले भी परेशान हो रहे हैं। ऐसे में कई राज्यों को दिल्ली से जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग- एक अब मुसीबतों का हाई-वे बन गया है। इन राज्यों के लाखों लोगों को इससे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों के प्रदर्शन के चलते दिल्ली के आसपास के गांवों के लोग घरों में कैद हो गए हैं। इन गांवों के बच्चे घर से बाहर निकल नहीं पा रहे हैं। छात्रों को स्कूल जाते समय परेशानी उठानी पड़ रही है। आसपास की फैक्टियां व पेट्रोल पंप बंद होने से लोग बेरोजगार हो रहे हैं। नौकरी करने जाने वाले लोग रोज कई किलोमीटर घूम कर जा रहे हैं। हालात इतने बदतर हैं कि दिल्ली के किसानों को अपनी खड़ी फसल खेतों में ही जोतनी पड़ रही है।

राजीव जैन (एग्जिक्यूटिव कमेटी सदस्य, दिल्ली पेट्रोल डीलर एसोसिएशन) कहना है कि 200 दिन से पेट्रोल पंप बंद हैं। हर रोज लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। काम न होने की वजह से आधा स्टाफ कम करना पड़ा है। इससे बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की वजह से लाखों यात्रियों को भी परेशान होना पड़ रहा है।

प्रभुदयाल (श्रमिक, सिंघु बॉर्डर) के मुताबिक, 200 दिनों से काम ठप पड़ा है। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोग परेशान हो रहे हैं। आसपास के किसानों ने परेशान होकर बीते महीने गोभी की खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया था। यहां दुकानदारों का भी धंधा चौपट है। बंद दुकानों का किराया देना पड़ रहा है। ऐसे में भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। प्रदर्शनकारियों को यहां से उठा देना समय की जरूरत है।

सचिन (स्थानीय निवासी, सिंघु गांव) ने बताया कि रात के समय काम से जब घर लौटते हैं तो सिंघु बार्डर पर प्रदर्शनकारी गाड़ियों के सामने लाठियां लेकर खड़े हो जाते हैं। हमारे गांव में आकर हमसे ही पूछते हैं कि कहां जाना है। इनमें से कोई किसान नहीं है, सभी नशे में धुत रहते हैं। यातायात गांवों से होकर गुजर रहा है, बच्चे घरों से बाहर नहीं जा पा रहे हैं। रविवार को हरियाणा के सोनीपत जिले के एक व्यक्ति पर भी प्रदर्शनकारियों ने हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। तब जाकर हरियाणा के लोगों की आंखे खुलीं और उन्होंने इनका विरोध किया। जब तक दिल्ली के गांवों के लोग इकट्ठा नहीं होंगे तब तक ये नहीं उठेंगे।

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