EXCLUSIVE: लोकसभा चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख

राज्य भाजपा के रणनीतिकार मानते हैं कि हरियाणा की जनता का मूड केंद्र की सरकार के साथ चलता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत होती है तो फिर राज्य में भी भाजपा की ही सरकार बनेगी।

By JP YadavEdited By: Publish:Fri, 26 Apr 2019 12:18 PM (IST) Updated:Fri, 26 Apr 2019 01:58 PM (IST)
EXCLUSIVE: लोकसभा चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख
EXCLUSIVE: लोकसभा चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख

फरीदाबाद [बिजेंद्र बंसल]। Lok Sabha Election 2019: राजनीतिक गलियारों में लोकसभा के चुनाव राज्य विधानसभा के सेमीफाइनल माने जा रहे हैं। असल में लोकसभा चुनाव के नतीजे ही राज्य में विधानसभा चुनाव की तारीख तय करेंगे। 1991 और 1996 में राज्य विधानसभा के चुनाव लोकसभा के साथ हुए, मगर 1998 और 1999 में हुए लोकसभा के मध्यावधि चुनाव के बाद एकसाथ चुनाव का सिलसिला टूट गया। 1999 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो राज्य में हरियाणा विकास पार्टी (हविपा)-भाजपा गठबंधन की सरकार गिर चुकी थी। तब ओमप्रकाश चौटाला ने भाजपा के सहयोग से सरकार बना ली थी, मगर चौटाला ने लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव नहीं कराए।

उन्होंने 1999 के लोकसभा चुनाव में इनेलो-भाजपा गठबंधन की दस की दस सीटों पर बड़ी जीत के बाद 2000 में विधानसभा चुनाव कराए। राज्य विधानसभा चुनाव में तब इनेलो-भाजपा गठबंधन को बहुमत मिला। इसके बाद 2004 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो राज्य की जनता का मूड बदल गया था। तब इनेलो और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़े और राज्य में सत्तारूढ़ इनेलो एक भी सीट पर चुनाव नहीं जीत पाई और भाजपा सिर्फ एक ही सोनीपत की सीट जीत पाई थी।

कांग्रेस ने इस चुनाव में दस में से 9 सीट जीती थीं। कांग्रेस को इसका फायदा 2005 में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में मिला। कांग्रेस राज्य में सत्तारूढ़ हो गई। ऐसे ही 2009 के लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस समर्थित यूपीए की दोबारा जीत हुई और राज्य की दस में से कांग्रेस को 9 सीट मिली तो तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद विधानसभा के चुनाव करा लिए। हालांकि, उस समय राज्य विधानसभा का छह माह का कार्यकाल बचा हुआ था। विधानसभा चुनाव अलग कराने का यह क्रम 2014 में भी जारी रहा।

2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक ही सीट पर सिमट गई

2014 के चुनाव में जब कांग्रेस भाजपा और हरियाणा जनहित कांग्रेस के गठबंधन के सामने सिर्फ एक ही सीट रोहतक पर सिमट गई तो राज्य सरकार की सत्ता की चाबी भी पार्टी के हाथ से निकल गई। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सात सीट मिली और इसके बाद हुए राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 90 में से 47 सीट लेकर सरकार बनाई। 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले माना जा रहा था कि राज्य भाजपा लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव कराएगी, मगर भाजपा ने अलग चुनाव कराने के पुराने इतिहास को ही दोहराना ठीक समझा।

केंद्र में भाजपा सरकार बनी तो फिर बनेगी मनोहर सरकार

राज्य भाजपा के रणनीतिकार मानते हैं कि हरियाणा की जनता का मूड केंद्र की सरकार के साथ चलता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत होती है तो फिर राज्य में भी भाजपा की ही सरकार बनेगी। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव में ही राज्य के विभिन्न जिलों के क्षत्रप नेताओं ने भाजपा की तरफ रुख करना शुरू कर दिया है। लोकसभा चुनाव की तारीख तय होने के साथ ही पूर्व सांसद अरविंद शर्मा ने भी 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए निवर्तमान सांसद राव इंद्रजीत सिंह, धर्मबीर की तरह भाजपा को ही अपना सुरक्षित दुर्ग बना लिया। इतना ही नहीं करनाल में कांग्रेस के नेता जयप्रकाश गुप्ता 2014 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने प्रत्याशी थे मगर वे भी अब अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करने को लिए भाजपा में शामिल हो गए हैं। इनेलो के दो विधायक भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

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