जनरल वीके सिंह के खिलाफ सपा-बसपा ने बदला प्रत्याशी, जानें- क्यों लिया ये बड़ा फैसला
शुक्रवार को कुछ देर पहले ही सुरेश बंसल समाजवादी पार्टी में शामिल हुए हैं। कांग्रेस के भी ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने के चलते सपा-बसपा गठबंधन ने प्रत्याशी बदलने का फैसला लिया है।
गाजियाबाद, जेएनएन। Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बड़ी खबर आ रही है। दरअसल, दिल्ली से सटी उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद लोकसभा सीट पर सपा-बसपा गठबंधन से घोषित प्रत्याशी सुरेंद्र कुमार मुन्नी का टिकट काट दिया है।
अब बसपा के पूर्व विधायक सुरेश बंसल को इस सीट पर टिकट दिया जा रहा है। शुक्रवार को कुछ देर पहले ही सुरेश बंसल समाजवादी पार्टी में शामिल हुए हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के भी ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने के चलते सपा-बसपा गठबंधन ने प्रत्याशी बदलने का फैसला लिया है।
इस बाबत एक पत्र भी मीडिया के लिए जारी किया गया है। इसमें लिखा है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पूर्व में घोषित सुरेंद्र कुमार मुन्नी के स्थान पर पूर्व विधायक सुरेश बंसल को गाजियाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया है।
...इसलिए सपा-बसपा ने लिया बड़ा फैसला
सपा-बसपा गठबंधन के बाद कांग्रेस ने भी ब्राह्मण कार्ड खेलकर चुनावी समीकरण बदल दिए थे। दरअसल, पूर्व महापौर प्रत्याशी डोली शर्मा को टिकट थमाकर सपा-बसपा गठबंधन की बनिस्पत कांग्रेस ने अपना पलड़ा भारी कर लिया था। ऐसे में कांग्रेस के इस कदम से सपा-बसपा में भी बेचैनी बढ़ने के साथ ही नए सिरे से मंथन शुरू हो गया था।
पिछले सप्ताह ही समाजवादी पार्टी ने अपने जिलाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार उर्फ मुन्नी शर्मा को प्रत्याशी घोषित कर कांग्रेस की ब्राह्मण चेहरे की तलाश को झटका दिया था। ऐसे में संभावना जताई जा रही थी कि अब कांग्रेस ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने से कतराएगी और कांग्रेस के नहले पर दहले ने राजनीतिक नक्शा ही बदल दिया।
कांग्रेस की इस चाल से सबसे ज्यादा नुकसान सपा-बसपा को होता, ऐसे में गठबंधन ने बड़ा फैसला लेते हुए इस सीट पर गाजियाबाद सदर सीट से पूर्व विधायक को अपना प्रत्याशी बनाया है। जाहिर है कि अब मैदान में अपने समाज से कोई प्रत्याशी होने पर वैश्य वर्ग का झुकाव समाजवादी पार्टी की ओर हो सकता है।
वहीं, चर्चा यहां तक थी कि टिकट नहीं मिलने से मायूस कुछ कांग्रेसी दिग्गजों ने सपा हाईकमान से संपर्क साधा है। वहीं बसपा के कुछ पुराने धुरंधर भी गठबंधन के सिरमौरों को बदले समीकरणों का नफा-नुकसान समझा फैसले पर पुनर्विचार की दुहाई दे रहे थे, इनमें वैश्य वर्ग के कई दावेदार थे।
इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो पहले भी सुरेंद्र कुमार मुन्नी के साथ ऐसा हो चुका है कि सपा से टिकट देकर उनसे वापस ले लिया गया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में सुरेंद्र कुमार मुन्नी ने टिकट नहीं होता देख कांग्रेस छोड़ समाजवादी पार्टी का दामन थामा था। सपा ने उन्हें मुरादनगर से प्रत्याशी भी घोषित किया था, लेकिन एनवक्त पर सीट उस वक्त गठबंधन की साथी रही कांग्रेस को सौंप दी थी।
दिल्ली-एनसीआर की महत्वपूर्ण खबरें पढ़ें यहां, बस एक क्लिक पर