AAP-कांग्रेस गठबंधन में अब आया नया ट्विस्ट, दोनों दलों के बड़े नेताओं ने दिया अहम बयान
लोकसभा चुनाव-2019 को लेकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच संभावित गठबंधन को लेकर नया ट्विस्ट आ गया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव-2019 को लेकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच संभावित गठबंधन को लेकर नया ट्विस्ट आ गया है। शुक्रवार को दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री और AAP के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने कहा है कि हमने एक और मौका दिया है, देश के लोग यही चाहते हैं। आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को अंतिम मौका दिया है कि वह AAP-कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर फिर सोच विचार करे। आगे देखते हैं क्या होता है?
अब खबर आ रही है कि AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावना बरकरार है। AAP ने दिल्ली में 3 प्रत्याशियों के नामांकन 22 अप्रैल तक टाल दिए हैं। आतिशी, पंकज गुप्ता और गुग्गन सिंह के नामांकन 19 अप्रैल की जगह अब 22 अप्रैल को भरे जाएंगे। गोपाल राय ने कहा कि गठबंधन पर कांग्रेस को फैसला लेने के लिए समय देने के लिए नामांकन टाले गए हैं। AAP ने हरियाणा में गठबंधन के लिए 7,2 1 का फॉर्मूला कांग्रेस को दिया है।
वहीं, गोपाल राय के बयान के बाद कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का भी बयान आया है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच कोई भी गठबंधन तय हो जाएगा, जब भी कोई व्यापक राय बनेगी। इस बाबत कांग्रेस की तरफ से जानकारी दे दी जाएगी। उऩ्होंने साफ किया है कि हरियाणा और पंजाब में कोई गठबंधन की कोई चर्चां नहीं है।
इससे पहले बृहस्पतिवार को कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद 'AAP' के प्रस्ताव पर दिल्ली में गठबंधन करने से साफ मना कर दिया था। वहीं देर शाम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ AAP के शीर्ष नेताओं की बैठक में भी कांग्रेस के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था।
बताया जा रहा है कि AAP दूसरे राज्यों में गठजोड़ नहीं करने की सूरत में दिल्ली में कांग्रेस को सिर्फ 2 सीट देना चाहती है। वहीं, आम आदमी पार्टी सिर्फ दिल्ली में गठबंधन करने पर सिर्फ 5-2 के फॉर्मूले अड़ी थी। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के इस फॉर्मूले पर तैयार नहीं होने और चाको के बयान के बाद बृहस्पतिवार को केजरीवाल ने पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक की। इसमें तय हुआ कि दिल्ली में सिर्फ 5-2 पर ही गठबंधन होगा। इससे कम सीटों पर कोई बात नहीं बनेगी। इसके बाद माना जा रहा है कि गठबंधन की सभी उम्मीदें लगभग खत्म हो गई हैं।