Delhi Monsoon Rain Update 2021: देरी से आए मानसून ने दिल्ली में जल्दी तोड़ा रिकॉर्ड, जुलाई में हुई 141 फीसद अधिक बारिश

Delhi Monsoon Rain Update 2021 जुलाई में बारिश का ऑल टाइम रिकार्ड भी टूटते टूटते रह गया। मौसम विभाग के मुताबिक जुलाई में दिल्ली की सामान्य बारिश 210.6 मिमी है। लेकिन इस बार यह 31 जुलाई तक 507.1 मिमी अधिक दर्ज की गई है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 06:23 AM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 06:23 AM (IST)
Delhi Monsoon Rain Update 2021: देरी से आए मानसून ने दिल्ली में जल्दी तोड़ा रिकॉर्ड, जुलाई में हुई 141 फीसद अधिक बारिश
Delhi Monsoon Rain: देरी से आए मानसून ने दिल्ली में जल्दी तोड़ा रिकॉर्ड, जुलाई में हुई 141 फीसद अधिक बारिश

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। इस साल दिल्ली में मानसून देरी से भले ही आया, लेकिन रिकॉर्ड जल्दी बना रहा है। आलम यह है कि इस बार 19 साल की देरी से आने के बावजूद मानसून की बारिश ने जुलाई महीने के 19 दिनों में ही 18 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। 13 जुलाई को मानसून दिल्ली में आया और 31 जुलाई तक माह भर की बारिश 141 फीसद अधिक हो गई है। जुलाई में बारिश का ऑल टाइम रिकार्ड भी टूटते टूटते रह गया। मौसम विभाग के मुताबिक जुलाई में दिल्ली की सामान्य बारिश 210.6 मिमी है। लेकिन इस बार यह 31 जुलाई तक 507.1 मिमी अधिक दर्ज की गई है।

दिल्ली में टूटा 2003 का ऑल टाइम रिकार्ड

वहीं, पीछे मुड़कर देखें तो 2020 में जुलाई की कुल बारिश 236.9 मिमी, 2019 में 199.2 मिमी, 2018 में 286.2 मिमी, 2017 में 170.5 मिमी, 2016 में 292.5 मिमी और 2015 में 235.2 मिमी हुई। 2013 में यह आंकड़ा 340.5 मिमी का था। 2003 में ऑल टाइम रिकार्ड 632.2 मिमी बारिश का है।

दिल्ली के कई इलाकों में हुई रिकॉर्ड बारिश

दिल्ली के दो प्रमुख केंद्रों पालम और लोधी रोड पर भी जुलाई में सामान्य से कहीं अधिक बारिश दर्ज की गई है। पालम की सामान्य बारिश 212.4 मिमी है जबकि हुई 454 यानी 114 फीसद अधिक। इसी तरह लोधी रोड की सामान्य बारिश है 210.6 मिमी, जबकि हुई 496.1 यानी 136 फीसद अधिक।

हैरत की बात यह कि जुलाई की बारिश ने जून माह के कोटे की भी भरपाई कर दी। एक जून से 31 जुलाई तक मानसून सीजन की कुल बारिश भी 96 फीसद अधिक दर्ज हुई है। सामान्य बारिश का आंकड़ा है 276.1 मिमी जबकि बारिश हुई है 541.9 मिमी।

महेश पलावत (उपाध्यक्ष मौसम विज्ञान स्काईमेट वेदर) का कहना है कि यह स्थिति सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन का ही असर है कि पिछले कुछ वर्षों में बारिश के दिन भले कम हो गए हों लेकिन कम समय में भी वर्षा अधिक हो रही है। पहले 100 मिमी बारिश तीन से चार दिनों में होती थी। अब हमें केवल पांच-छह घंटों में इतनी वर्षा मिल रही है।  

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