दिल्ली में सुधर सकती है अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी, ट्रेडर्स ने कहा- हम पूरी जिम्मेदारी से करेंगे काम

मरीजों तक समय पर ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है और ऑक्सीजन के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे है। असल में ऑक्सीजन गैस के कारोबार में आपूर्ति का जिम्मा अभी तक अस्पताल व रि-फिलिंग स्टेशन के बीच मध्यस्थ कारोबारी (ट्रेडर्स) संभाल रहे थे।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 07:45 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 07:45 AM (IST)
दिल्ली में सुधर सकती है अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी, ट्रेडर्स ने कहा- हम पूरी जिम्मेदारी से करेंगे काम
अस्पतालों में समय पर आक्सीजन आपूर्ति संभव, अगर ट्रेडर्स संभाले कमान।

नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। ऑक्सीजन की किल्लत के बीच सरकार ने रि-फिलिंग स्टेशन को सीधे अस्पतालों से जोड़कर ऑक्सीजन आपूर्ति से जुड़ी समस्या को और अधिक जटिल बना दिया है। जिसका खामियाजा मरीजों काे भुगतना पड़ रहा है। आलम यह है कि मरीजों तक समय पर ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है और ऑक्सीजन के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे है। असल में ऑक्सीजन गैस के कारोबार में आपूर्ति का जिम्मा अभी तक अस्पताल व रि-फिलिंग स्टेशन के बीच मध्यस्थ कारोबारी (ट्रेडर्स) संभाल रहे थे।

सिलेंडर का इंतजाम करने से लेकर सिलेंडर भरवाने और उन्हें समय पर अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी इन मध्यस्थ कारोबारियों की ही होती है। इस कार्य के लिए वे भारी निवेश भी करते आए हैं। पर महामारी के समय में इन मध्यस्थ कारोबारियों से उनकी जिम्मेदारियों को छीन लिया गया है। इससे एक तरफ मध्यस्थ कारोबारियों का धंधा चौपट हो चुका है, ताे दूसरी तरफ अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो गई है।

कारोबारियों का कहना है कि हालात बेशक विषम है, लेकिन जिन ऑक्सीजन सिलेंडर का अभी अस्पतालों में इस्तेमाल हो रहा है उसमें उनकी पूंजी लगी हुई है। सरकार को यह भरोसा करना चाहिए कि मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले कारोबारी मुसीबत की इस घड़ी में भी बखूबी अपना काम संभाल सकते हैं।

सूर्या गैस के मालिक विवेक चोपड़ा बताते हैं कि वे संक्रमण की दूसरी लहर से पहले उत्तम नगर स्थित माता रूप रानी मग्गो अस्पताल, बीएम गुप्ता अस्पताल, रोहिणी स्थित सत्यम अस्पताल, राजापुरी स्थित रेस्क्यू अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति करते थे। पर अब ये सभी अस्पताल विभिन्न रि-फिलिंग स्टेशन से सीधे जोड़ दिए गए है। अभी के हालात में स्वास्थ्य कर्मचारियों की अभी सबसे ज्यादा जरूरत अस्पताल में है, पर वे मरीजों को छोड़कर रि-फिलिंग स्टेशन पर सिलेंडर में ऑक्सीजन भरवाने के लिए पूरा-पूरा दिन खड़े रहते हैं। अव्यवस्था का माहौल यह है कि तिलक नगर के एक अस्पताल को जहां दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित रि-फिलिंग स्टेशन से जोड़ा गया है ।

वहीं एक अन्य अस्पताल को पलवल के किसी एक रि-फिलिंग स्टेशन से जाेड़ दिया है। इससे अस्पताल प्रशासन त्रस्त है, पलवल जाने और आने की दूरी तय करने के बीच यदि अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म हो गया तो मरीजों की जान को खतरा हो सकता है। पहले मध्यस्थ कारोबारी ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए एक बार में एक से अधिक रि-फिलिंग स्टेशन पर अपने कुछ-कुछ सिलेंडर भेजकर भरवा लेते थे। इसके लिए उनके पास पर्याप्त कर्मचारी और संसाधन उपलब्ध है। पर अब अस्पताल केवल एक रिफिलिंग स्टेशन के भरोसे है, अगर उसे वहां से ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होती है और कितनी देर में होती है इसको लेकर किसी की कोई जवाबदेही नहीं है।

सरकार के इस फैसले से अस्पताल प्रशासन के साथ स्वास्थ्य कर्मचारी भी त्रस्त है। कारोबारियों का कहना है कि जिन प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ में ऑक्सीजन आपूर्ति की कमान दी गई है, उन्होंने समस्या का समाधान करने के बजाय उसे और उलझा दिया है। बेहतर प्रबंधन के लिए सरकार को ऑक्सीजन आपूर्ति जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मध्यस्थ कारोबारियों को देनी चाहिए थी या फिर एक बैठक कर स्थिति का गहराई से आकलन करने की जरूरत है। बेहतर प्रबंधन से ऑक्सीजन की आपूर्ति से जुड़ी समस्या का काफी हद तक निदान किया जा सकता है।

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