अब 26 जून की तैयारी में जुटा किसान मोर्चा, छह माह से चल रहे धरने के बाद कौन से अभियान की करेंगे शुरूआत

कृषि कानून के विरोध में बार्डर पर चल रहे धरना-प्रदर्शन को एक बार फिर से धार देने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए आपातकाल की बरसी के अगले दिन 26 जून को चुना गया है। संयुक्त किसान मोर्चा खेती बचाओ लोकतंत्र बचाओ अभियान के तहत धरना प्रदर्शन करेगा।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 02:57 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 12:20 PM (IST)
अब 26 जून की तैयारी में जुटा किसान मोर्चा, छह माह से चल रहे धरने के बाद कौन से अभियान की करेंगे शुरूआत
संयुक्त किसान मोर्चा खेती बचाओ लोकतंत्र बचाओ अभियान के तहत धरना प्रदर्शन करेगा।

दिल्ली/गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। कृषि कानून के विरोध में यूपी बार्डर पर चल रहे धरना-प्रदर्शन को एक बार फिर से धार देने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए आपातकाल की बरसी के अगले दिन 26 जून को चुना गया है। संयुक्त किसान मोर्चा खेती बचाओ लोकतंत्र बचाओ अभियान के तहत धरना प्रदर्शन करेगा। किसान नेता तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी तानाशाह बताते हुए मौजूदा सरकार से तुलना कर रहे हैं। शुरूआत से धरने का समर्थन कर रही कांग्रेस के नेताओं में 26 जून के धरने को लेकर ऊहापोह की स्थिति है और वह कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

बता दें कि कृषि कानून के विरोध में यूपी बार्डर पर करीब साढ़े छह माह से धरना चल रहा है। यूपी गेट पर दिल्ली जाने वाली सभी लेनों पर कृषि कानून विरोधियों का कब्जा है। इस धरने प्रदर्शन को कांग्रेस ने जमकर हवा दी और पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं से लेकर प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, उत्तराखंड़ के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत कई बड़े नेता शामिल हुए। समय-समय पर यहां दूसरे प्रदेश व जिलों से कांग्रेसियों ने धरना स्थल पर पहुंचकर कृषि कानून विरोधियों का समर्थन किया। अब 26 जून को आपातकाल की बरसी के अगले दिन धरने के सात माह पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस दिन को किसान नेताओं ने इंदिरा गांधी को तानाशाह बताते हुए मौजूदा सरकार से तुलना की है।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को तानाशाह बताने पर कांग्रेसी असहज महसूस कर रहे हैं। इस संबंध पार्टी के नेता कुछ बोलने से बच रहे हैं। वहीं कांग्रेसियों के समझ में नहीं आ रहा है कि कदम पीछे खींचे या फिर साथ में रहें। स्थानीय कांग्रेसियों ने तो इस बारे में कुछ बोलने से ही इंकार किया है। कुछ ने बोला है कि जो हाइकमान से निर्देश मिलेगा वैसा करेंगे। कहीं ऐसा तो नहीं कि शीर्ष नेताओं से उन्हें इस बारे में कुछ भी बोलने की मनाही की गई है। उधर प्रदर्शनकारी नेता भी यह बोलकर खुद को फंसा महसूस कर रहे हैं। देखना काफी दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस मामले में क्या कदम उठाती है।

कब-कब यूपी बार्डर पहुंचे कांग्रेसी नेता

05 दिसंबर : उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू

20 दिसंबर : उत्तराखंड़ के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत

27 दिसंबर : उत्तराखंड़ के प्रदेश प्रभारी देवेंदे यादव, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, राष्ट्रीय सचिव काजी निजामुद्दीन

29 जनवरी : कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा

30 जनवरी : दिल्ली कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी इसके अलावा विभिन्न प्रदेशों व जिलों से कांग्रेसी नेता काफी संख्या में कृषि कानून विरोधियों के बीच पहुंचे हैं।

क्या बोले कांग्रेसी

अभी इस पर पार्टी की ओर से कोई निर्देश नहीं मिला नहीं है, जो भी निर्देश मिलेगा उसी पर काम किया जाएगा। अभी 26 जून में काफी समय है। जैसा होगा वैसा बता दिया जाएगा।

- बिजेंद्र यादव, जिलाध्यक्ष कांग्रेस

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कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ है। बात इमरजेंसी की है तो इसे लेकर पार्टी नेता राहुल गांधी माफी मांग चुके हैं। किसान नेताओं ने उस वक्त की इमरजेंसी को मौजूदा सरकार की इमरजेंसी से जोड़ा है। लोकतंत्र में इसकी गुंजाइश नहीं होती। पार्टी हाइकमान की ओर से जो आदेश मिलेगा वैसा करेंगे।

- सतीश शर्मा, पूर्व मंत्री कांग्रेस

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