जानिए देश के बड़े शहरों में सक्रिय इरानी गिरोह पर कार्रवाई से क्यों डरती है वहां की पुलिस, क्या है इसके पीछे कारण
दिल्ली पुलिस पिछले डेढ़ साल के दौरान तमाम बड़े गैंगस्टरों पर नकेल कसने में कामयाब हो गई। कोरोना काल में भी पुलिस ने अधिकतर पेशेवर बदमाशों को दबोचकर जेल भेज दिया लेकिन इरानी गिरोह पुलिस के लिए अभी सिरदर्द बना हुआ है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली पुलिस पिछले डेढ़ साल के दौरान तमाम बड़े गैंगस्टरों पर नकेल कसने में कामयाब हो गई। कोरोना काल में भी पुलिस ने अधिकतर पेशेवर बदमाशों को दबोचकर जेल भेज दिया लेकिन इरानी गिरोह पुलिस के लिए अभी सिरदर्द बना हुआ है। इन गिरोहों के बदमाशों की धर पकड़ के लिए पुलिस ने रणनीति तैयार की है। क्राइम ब्रांच को गिरोहों का पता लगाने व उन्हें दबोचने के लिए कार्रवाई तेज करने के निर्देश दिए गए हैं।
गत दिनों क्राइम ब्रांच ने मध्य प्रदेश के भोपाल से इरानी गिरोह के एक बदमाश को गिरफ्तार भी किया है। उसकी गिरफ्तारी से पुलिस ने 10 जून को करोलबाग के एक ज्वेलर से 915 ग्राम सोने के जेवरात लूटने के मामले की गुत्थी सुलझा ली है। डीसीपी क्राइम ब्रांच मोनिका भारद्वाज का कहना है कि इरानी गिरोह पिछले 10 सालों से दिल्ली व मुंबई समेत देश के सभी महानगरों व बड़े शहरों में सक्रिय है। इरानी समुदाय के लोग वैसे तो दिल्ली समेत कई राज्यों में रहते हैं लेकिन महाराष्ट व मध्य प्रदेश के भोपाल आदि कुछ राज्यों में इस समुदाय के लोगों की कई बड़ी-बड़ी बस्ती है जहां ये बहुतायत में रहते हैं। किसी भी राज्यों की पुलिस को उक्त इलाके में धर पकड़ के लिए जाने से डर लगता है।
पुलिस का कहना है कि इरानी मजबूत कद काठी के होने के अलावा लंबे व गोरे होते हैं जो शक्ल से बिल्कुल पुलिस जैसे दिखते हैं। बड़ी संख्या में इरानी समुदाय के युवक दो अथवा चार की संख्या में गिरोह बना देशभर में जाकर ज्वेलर, हवाला कारोबारी व मोटी रकम लेकर सफर करने वाले लोगों को निशाना बनाते हैं। ये सफारी शूट पहने होते हैं और अपने पास क्राइम ब्रांच का फर्जी पहचान पत्र भी रखते हैं। बड़े शहरों में जहां ज्वेलरों के बाजार अथवा थौक सामानों के कारोबार होते हें वहां इनके काफी मुखबिर होते हैं जो ज्वेलर्स व उनके कर्मचारियों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं कि वे ज्वेलरी व नगदी लेकर कहां जाते हैं।
पुख्ता जानकारी जुटाने के बाद मुखबिर, बदमाशों को इसकी सूचना देते हैं। बदमाश पहले एक-दो बार रेकी करते हैं उसके बाद सुनसान व सुरक्षित जगह का चयन कर वहां वारदात को अंजाम देते हैं। वारदात के दौरान ये बाइक या कारों में होते हैं। ज्वेलरी व नगदी लेकर जाने वालों को अचानक रोककर ये खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर फर्जी कार्ड दिखाकर असली बिलबुक दिखाने की बात कहते हैं। बिलबुक न होने पर वे उन्हें डरा धमका बिल लाने भेज देते हैं और उनके जेवरात लूटकर मौेके से चंपत हो जाते हैं।
पुलिस का कहना है कि ये इतने शातिर होते हैं कि वारदात के बाद कोई एक सदस्य लूटे गए जेवरात को अपनी पत्नी को सौंप देता है और सभी अलग-अलग जगहों पर जाकर छिप जाते हैं। पत्नी किसी सुनार के पास जेवरात बेच देती है। ये पत्नी से यह भी नहीं पूछते कि उसने कहां बेची है ताकि पुलिस के हत्थे चढने पर जेवरात के बारे में नहीं बता पाए।
दस जून को करोलबाग का एक ज्वेलर 915 ग्राम सोना के जेवरात लेकर आटो से चांदनी चौक जा रहे थे। डीसीएम माल, बाड़ा¨हदूराव के पास दो बाइक पर सवार इरानी गिरोह के चार बदमाशों ने उन्हें रोककर क्राइम ब्रांच का अधिकारी बता बिल दिखाने को कहा। बिल न होने पर उन्हें बिल लाने के लिए भेज जेवरात लूटकर भाग गए थे। एसीपी राजेश कुमार व इंस्पेक्टर पंकज अरोड़ा के नेतृत्व में पुलिस टीम ने जांच पड़ताल के बाद भोपाल से एक बदमाश् को दबोच लिया। डीसीपी मोनिका भारद्वाज के मुताबिक बदमाश का नाम कासिम जाफरी है। वह मूलरूप से महाराष्ट का रहने वाला है।