Delhi E Vehicle News 2021: सीएनजी के बजाय इलेक्ट्रिक वाहनों को तरजीह दे रहे लोग, यह दिल्ली के लिए शुभ संकेत
Delhi E Vehicle News दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है जो पर्यावरण के नजरिये से एक अच्छा संकेत है। हालांकि इस बीच ई-वाहनों की संख्या बढ़ने के साथ ही बैटरी कचरे के निस्तारण की पुख्ता व्यवस्था न होना चिंता पैदा करता है।
नई दिल्ली [सौरभ श्रीवास्तव]। देश की राजधानी दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है, जो पर्यावरण के नजरिये से एक अच्छा संकेत है। हालांकि इस बीच ई-वाहनों की संख्या बढ़ने के साथ ही बैटरी कचरे के निस्तारण की पुख्ता व्यवस्था न होना चिंता पैदा करता है। पिछले दो माह में राजधानी दिल्ली में पंजीकृत वाहनों में सीएनजी से चलने वाले वाहनों के बजाय इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या अधिक रही है। यही नहीं, इस साल अब तक यहां पंजीकृत हो चुके ई-वाहनों की संख्या पिछले साल पंजीकृत हुए ई-वाहनों की कुल संख्या को पार कर चुकी है। वर्ष 2020 में दिल्ली में 12382 ई-वाहन पंजीकृत हुए थे, जबकि इस साल अब तक ही इसकी संख्या 12878 हो चुकी है। यानी साल के अंत तक यह संख्या पिछले साल के मुकाबले दोगुनी भी हो सकती है।
निश्चित तौर पर यह एक सुखद संकेत है कि दिल्लीवासी अब धीरे-धीरे ही सही, ई-वाहनों का रुख कर रहे हैं। दिल्ली सरकार व अन्य सरकारी एजेंसियां भी ई-वाहनों को बढ़ावा देने के प्रति गंभीर नजर आ रही हैं। राजधानी में वायु प्रदूषण की वर्षभर रहने वाली गंभीर स्थिति को देखते हुए भी ई-वाहनों का अधिकाधिक इस्तेमाल बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। लेकिन ई-वाहनों की अधिक बिक्री के साथ ही ई-वाहनों की बैटरियों के कचरे के उचित निस्तारण की जरूरत भी बढ़ेगी, जिसके लिए पुख्ता इंतजाम किए जाने की आवश्यकता है।
लिथियम आयन बैटरी से निकलने वाले प्रदूषक तत्व पर्यावरण के लिए खासे नुकसानदायक साबित हो सकते हैं, लिहाजा पर्यावरण की चिंता करने वाली एजेंसियों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। जहां बैटरी कचरे के निस्तारण के उचित प्रबंध किए जाने चाहिए, वहीं बैटरी वेस्ट मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग रूल्स, 2001 का पालन कराना भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि दिल्ली को एक बेहतर और विश्वस्तरीय शहर बनाने के लिए ई-वाहनों का अधिकाधिक प्रयोग बढ़ाए जाने की आवश्यकता है, इसके लिए इन वाहनों से जुड़े बैटरी कचरे के बेहतर प्रबंधन और निस्तारण की व्यवस्था को भी विश्वस्तरीय बनाया जाना चाहिए।