जानिए दिल्ली में किस पहाड़ को जमीदोंज करने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी जताई है चिंता

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक दिन पहले स्वच्छ भारत मिशन 2.0 की शुरुआत करते हुए इस पर चिंता जताई। संबोधन के बीच में ही उन्होंने आवास व शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी से कहा भी कि इस पहाड़ के खत्म होने का इंतजार है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Sun, 03 Oct 2021 12:31 PM (IST) Updated:Sun, 03 Oct 2021 12:31 PM (IST)
जानिए दिल्ली में किस पहाड़ को जमीदोंज करने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी जताई है चिंता
इसे जमींदोज करने की कवायद चल रही है, लेकिन चुनौतियां अभी भी पहाड़ सी बनी हुई हैं।

नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। करीब 37 साल पहले 1984 में गाजीपुर के पास कूड़ा डालना शुरू किया गया था। लेकिन इसके निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं थी। नतीजतन धीरे-धीरे यह कूड़े के पहाड़ के रूप में तब्दील हो गया। इसे जमींदोज करने की कवायद चल रही है, लेकिन चुनौतियां अभी भी पहाड़ सी बनी हुई हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक दिन पहले स्वच्छ भारत मिशन 2.0 की शुरुआत करते हुए इस पर चिंता जताई। संबोधन के बीच में ही उन्होंने आवास व शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी से कहा भी कि इस पहाड़ के खत्म होने का इंतजार है।

दरअसल, गाजीपुर स्थित लैंडफिल साइट से कूड़ा निस्तारण की कोशिशें करीब दो साल पहले शुरू की गई। तब तक यहां 140 लाख टन कूड़ा जमा हो चुका था। इसकी ऊंचाई भी करीब 65 मीटर हो चुकी थी। नवंबर, 2019 में यहां पहली बार सांसद गौतम गंभीर की पहल पर निगम की तरफ से ट्रामेल मशीन लगी थी। आज यहां 20 मशीनें कूड़ा निस्तारण में जुटी हुई हैं। निगम अधिकारियों का दावा है कि पिछले दो सालों में ट्रामेल मशीनों के जरिये करीब 7.75 लाख टन कूड़े का निस्तारण हो चुका है। इसकी ऊंचाई भी करीब 15 मीटर तक कम हो चुकी है। इस तरह से अब करीब 132.25 लाख टन पुराना कूड़ा मौजूद है। ऊंचाई अब 50 मीटर के आसपास आ चुकी है।

एक साल पहले तक यहां प्रतिदिन 2700 से 3000 मीट्रिक टन प्रतिदिन नया कूड़ा आ रहा था। अब यह घटकर 2000 से 2200 प्रतिदिन रह गया है। इसकी वजह है कि अब निगम ने वार्डो में भी कंपोस्टर और बायोमीथेनाइजेशन प्लांट लगाने शुरू कर दिए हैं, जहां गीले कूड़े से खाद तैयार हो रही है। इसके अलावा एमआरएफ (मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी) सेंटर भी बनाए गए हैं, जहां कूड़े से प्लास्टिक और अन्य रिसाइकिल योग्य कचरे को अलग किया जाता है। इस तरह से लैंडफिल साइट पर नए कूड़े में कमी आई है। नए कूड़े में 600 टन का इस्तेमाल बिजली बनाने के लिए किया जा रहा है।

निगम अधिकारियों ने बताया कि ट्रामेल मशीनों से निस्तारण में 60 से 70 फीसद तक इस्तेमाल योग्य सामग्री (इनर्ट वेस्ट) निकलती है। इसमें आरडीएफ (रिफ्यूज्ड ड्राइड फ्यूल), सीएंडडी (निर्माण कार्यो में इस्तेमाल योग्य पत्थर आदि) और मिट्टी शामिल है। मिट्टी 30 एमएम और 6 एमएम के आकार की निकलती है। अब तक 3.5 लाख इनर्ट वेस्ट का प्रयोग किया जा चुका है। इसे एनटीपीसी, डीडीए और निगम की योजनाओं में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें गड्ढों का भराव, सड़क का निर्माण कार्य शामिल है। अब राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की तरफ से भी इसकी मांग आने लगी है।

दिसंबर, 2024 तक खत्म करने का लक्ष्य पूर्वी नगर निगम ने दिसंबर 2024 तक इस पहाड़ को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए और मशीनें यहां लगाई जाएंगी। दरअसल, मशीनों को संचालित करने के लिए भी कूड़े को हटाकर ही जगह तैयार करनी पड़ती है। इसलिए एक साथ कई मशीनों को यहां नहीं लगाया जा रहा है। इसके अलावा निगम ने कुछ अन्य प्रस्ताव भी तैयार किए हैं, जिसके तहत निजी कंपनियों को कूड़ा निस्तारण की जिम्मेदारी दी जाएगी।

गाजीपुर लैंडफिल साइट शुरुआत : 1984

क्षेत्रफल : 70 एकड़

ऊंचाई (दो साल पहले) : 65 मीटर

ऊंचाई (अब) : 50 मीटर

कूड़ा निस्तारण के लिए प्लांट कंपोस्टर प्लांट : 10

बायोमिथेनाइजेशन प्लांट : 02

एमआरएफ सेंटर : 34

महापौर का बयान

गाजीपुर लैंडफिल साइट को खत्म करने के लिए गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। कोरोना काल में लाकडाउन और अन्य वजहों से काम थोड़ा प्रभावित रहा। लेकिन अब यह तेज गति से चल रहा है। उम्मीद है कि दिसंबर 2024 तक हम अपने लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।

- श्याम सुंदर अग्रवाल, महापौर

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