Delhi Congress: जानिये- कौन लाया देश की राजधानी दिल्ली में 'कांग्रेस की चाय', लोग कर रहे तारीफ

Delhi Congress पिछले कुछ दिनों से तीरंदाजी का यह दौर पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी के बीच भी बखूबी चल रहा है। सिब्बल संगठन की खामियां गिनाते रहते हैं तो चौधरी उन्हीं को आइना दिखाने में लगे रहते हैं। टिवटर इनका जरिया है।

By SANJEEV KUMAR GUPTAEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 12:39 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 03:41 PM (IST)
Delhi Congress: जानिये- कौन लाया देश की राजधानी दिल्ली में 'कांग्रेस की चाय', लोग कर रहे तारीफ
संगठन में बदलाव और मजबूती भी जरूरी है।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। कहने को दिल्ली में भी कांग्रेस अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है, लेकिन कांग्रेसियों की आंखों में सत्ता पाने की ख्वाहिश आज भी खूब चमकती है। कमजोर नेतृत्व के बावजूद साम, दाम, दंड, भेद.. किसी भी तरह से पार्टी दिल्ली की सत्ता दोबारा पाना चाहती है। शायद इसी चाहत में पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष मुदित अग्रवाल 'कांग्रेस की चाय' नाम से एक कार्यक्रम चला रहे हैं। कमोबेश हर रोज वह दिल्ली के अलग=अलग कोने में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ चाय पर बैठक करते हैं और सियासी संग्राम के लिए उनमें जोश भरते हैं। बैठकों में वह कहते हैं- कार्यकर्ता ही किसी पार्टी की रीढ़ होते हैं। अगर कार्यकर्ता चाह ले तो हारी हुई बाजी जीतना भी मुश्किल नहीं। अनुभवी राजनीतिज्ञ पिता की संतान मुदित का यह प्रयास निस्संदेह काबिलेतारीफ है। लेकिन कहते हैं न कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। संगठन में बदलाव और मजबूती भी जरूरी है।

चल रहे बयानों के तीर

दिल्ली की सियासत में जहां भाजपा और आम आदमी पार्टी एक दूसरे पर सियासी बयानों के तीर छोड़ते हैं वहीं प्रदेश कांग्रेस के नेता आपस में ही यह तीर चलाते रहते हैं। पिछले कुछ दिनों से तीरंदाजी का यह दौर पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी के बीच भी बखूबी चल रहा है। सिब्बल संगठन की खामियां गिनाते रहते हैं तो चौधरी उन्हीं को आइना दिखाने में लगे रहते हैं। टिवटर इनका जरिया है। दिलचस्प यह कि न तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस तरह के मामलों को गंभीरता से लेता है और न ही वरिष्ठ नेताओं द्वारा उठाए जाने वाले मुददों को कोई तव्वजो दी जा रही है। इसी का नतीजा है कि पार्टी तो दिन ब दिन पतन की ओर बढ़ ही रही है, अन्य दलों के नेता-कार्यकर्ता भी कांग्रेस की सड़क पर आती कलह पर खूब चटकारे लेते हुए नजर आते हैं।

 खुद के पाले में गोल दागने की तैयारी

देश के सबसे पुराने सियासी दल कांग्रेस का हाल मौजूदा समय में बेहाल हो चुका है। शीर्ष स्तर पर तो खींचतान चल ही रही है, निचले स्तर पर भी कम आक्रोश नहीं है। पार्टी के ब्लाक पर्यवेक्षक और अध्यक्ष भी खुद का ही गोल दागने में लग गए हैं। नवनियुक्त पर्यवेक्षक ब्लाक कार्यकर्ताओं की बैठक में अपनी धौंस जमाने से बाज नहीं आ रहे। ब्लाक अध्यक्ष सहित वहां से नगर निगम का चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदारों को भी धमकाते रहते हैं कि जैसे वह चाहेंगे, वैसे ही पार्टी निर्णय करेगी। किसे ब्लाक का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए और किसको किस वार्ड से लड़ाना चाहिए, यह भी वह ही तय करेंगे। इस धौंस पर ब्लाक अध्यक्ष भी तैश में आए बिना नहीं रहते। दोनों की इस नोकझोंक में कार्यकर्ता भी यह कहने से नहीं चूकते कि इस पार्टी का तो भगवान ही मालिक है।

किसानों का हितैषी दिखने की कोशिश

कृषि कानूनों के विरोध में करीब दो माह से चल रहे किसान आंदोलन में कांग्रेस भी अपनी रोटियां खूब सेंक रही है। किसानों के पक्ष में बयान जारी करने के साथ-साथ धरनास्थल पर जाकर उनकी मदद कर खुद को किसानों का हितैषी दर्शाने की भी होड़ लगी हुई है। इसी कड़ी में दिल्ली महिला कांग्रेस अध्यक्ष अमृता धवन ने टीकरी बार्डर पर महिला किसानों को शाल देकर सम्मानित किया। हर महिला को शाल दिया ही नहीं बल्कि एक एक के पास जाकर बाकायदा शाल ओढ़ाया भी। अमृता ने महिलाओं से बात करते हुए कहा कि किसान आंदोलन हर दिन मजबूत होता जा रहा है। आंदोलन में महिलाओं की भूमिका और योगदान को अभूतपूर्व बताते हुए उसे सम्माननीय करार दिया। साथ ही महिला किसानों को धरती की बेटियां कहकर अन्नदाता के साथ खड़े होने और तीनों कृषि कानूनों को वापिस नहीं लिए जाने तक उन्हें अपना समर्थन दिए जाने का वायदा भी एक बार फिर दोहराया गया। 

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो

chat bot
आपका साथी