Delhi Monsoon Update: देर से पहुंचा लेकिन क्या दुरुस्त पहुंचा मानसून, जानिये- दिल्ली-NCR में कब होगी झमाझम बारिश
Delhi Monsoon Update भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने अभी विधिवत मानसून की दस्तक की घोषणा नहीं है उसके मुताबिक 16 जुलाई को मानसून की जोरदार बारिश शुरू हो सकती है। इसके बाद कई दिनों पर बारिश का दौर जारी रहेगा।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। देश की राजधानी दिल्ली-एनसीआर में मानसून की दस्तक के साथ ही मंगलवार से बारिश का दौर शुरू हो गया है, हालांकि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने अभी विधिवत मानसून की दस्तक की घोषणा नहीं है, उसके मुताबिक 16 जुलाई को मानसून की जोरदार बारिश शुरू हो सकती है। वहीं, समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार सुबह 7 से लेकर अगले 2-3 घंटे तक रुक-रुककर हुई मानसून की झमाझम बारिश ने लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत दिलाई है। वहीं, गुरुग्राम, दिल्ली समेत कई शहरों में जलभराव से लोगों को परेशानी हुई। यहां पर बता देना जरूरी है कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने मानसून के दिल्ली-एनसीआर में विधिवत दस्तक का एलान नहीं किया है। मौसम विभाग की ओर से कहा गया है कि अगले दो-तीन दिन तक हल्की बारिश के बाद 16 से फिर अच्छी बारिश होने के आसार है। कुलमिलाकर 16 जुलाई से होने वाली बारिश के बाद लोगों को गर्मी और उमस से काफी हद तक राहत मिल मिलेगी।
मौसम विभाग के बार-बार पूर्वानुमान जताने के बावजूद इससे पहले शनिवार से लेकर सोमवार शाम तक मानसून दिल्ली से दूर रहा। मौसम विभाग ने सोमवार को कहा था कि बंगाल की खाड़ी से निचले स्तर पर चलने वाली पूर्वी हवाओं के साथ पिछले 24 घंटों में पड़ोसी राज्यों में बारिश हुई है। दक्षिण पश्चिम मानसून राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में सोमवार को बढ़ा है। यह भी कहा जा रहा है कि जुलाई में भी झमाझम बारिश होने की संभावना कम है।
गौरतलब है कि दक्षिण-पश्चिमी मानसून द्वारा भारत में काफी जुलाई-अगस्त-सितम्बर में काफी वर्षा होती है। इस दौरान थल पर तापमान अधिक होने के कारण दाब कम होता। ऐसे में इसलिए हवाएं जल से थल के ओर चलती हैं, यह नाम वायु भारत में मानसून का कारण है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, हिंद महासागर और अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को मानसून कहा जाता है। ये हवाएं भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी बारिश कराती हैं। ये ऐसी मौसमी हवाएं होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक, अमूमन चार महीने तक सक्रिय रहती है। इनमें थोड़ा-बहुत हेरफेर संभव है।
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