Diwali 2021 Date: जानिये- इस साल कब है दीवाली का त्योहार, तारीख और पूजा का टाइमिंग भी नोट कर लें
Diwali 2021 हिंदुओं की मान्यता के अनुसार दीवाली का त्योहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष के अमावस्या की तारीख को मनाया जाता है। इस तरह इस साल कार्तिक अमावस्या की तारीख 4 नवंबर (बृहस्पतिवार) को है।
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक दीवाली का इंतजार करोड़ों भारतीयों को बड़ी बेसब्री से रहता है। तकरीबन 2 महीने पहले से ही लोग एक-दूसरे से पूछना शुरू कर देते हैं कि दीवाली कब है? तो हम इस स्टोरी में बता रहे हैं कि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार दीवाली इस साल कब मनाया जाएगा और क्या होगा पूजा का टाइमिंग और क्या होगी पूरी विधि।
4 नवंबर दिन बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी दीवाली
हिंदुओं की मान्यता के अनुसार, दीवाली का त्योहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष के अमावस्या की तारीख को मनाया जाता है। इस तरह इस साल कार्तिक अमावस्या की तारीख 4 नवंबर (बृहस्पतिवार) को है। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते पिछली बार यानी वर्ष 2020 में लोगों ने दीवाली बेहद सतर्कता के साथ मनाई थी। कुछ ऐसी ही स्थिति इस बार भी रहेगी, ऐसे में कोरोना के चलते लोगों सावधानी से दीवाली मनानी चाहिए।
लक्ष्मी की पूजा
दीवाली का त्योहार अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला माना जाता है, इसलिए दीये की रौशनी से शहर के शहर नहा जाते हैं। वहीं, इससे भी जरूरी है दीवाली पर शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी जी की पूजा। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, दीवाली पर लक्ष्मी की पूजा किए बिना त्योहार अपूर्ण ही रहता है। इससे घर में धन धान्य की वृद्धि होती है।
पुजारियों के मुताबिक, इस साल दिवाली त्योहार पर प्रदोषयुक्त अमावस्या तिथि और स्थिर लग्न और स्थिर नवांश है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार भी इस मुहूर्त में लक्ष्मी का पूजन बेहद शुभ है। मान्यता के मुताबिक, स्वच्छ तन और मन से लक्ष्मी की पूजा करें तो व्यक्ति की हर इच्छा पूरी हो जाती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, दीवाली की शाम को पूजा के बाद लक्ष्मी जी की आरती और मंत्रों का जाप करने से मन की हर इच्छा पूर्ण होती है।
पूजा विधि
स्नान के साथ पूजा स्थल की सफाई जरूर हो। इसके बाद श्रीगणेश के साथ-साथ लक्ष्मी, सरस्वती जी के साथ कुबेर की भी पूजा करें। ज्यादातर लोग इस दिन लक्ष्मी की पूजा करने के साथ आरती भी गाते हैं। वहीं, कुछ लोग ऊं श्रीं श्रीं हूं नम: का 11 बार या एक माला का जाप करते हैं। देवी सूक्तम का भी पाठ किया जाता है। पूजा के दौरान लोग लक्ष्मी जी के चरणों में अनार के अलावा, सिंघाड़ा और श्रीफल का भोग भी लगाते हैं। पूजा के दौरान लक्ष्मी को सीताफल को भोग भी लगाया जाता है। कुछ इलाकों में दीवाली की पूजा पर ईख और गुड़ भी लक्ष्मी जी को अर्पित करते हैं। लक्ष्मी को अर्पण के दौरान मिठाई आदि भी रखी जाती है।
दीवाली से जुड़ी अहम बातें
दीवाली त्योहार 4 नवंबर दिन बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा। अमावस्या की तारीख की शुरुआत 4 नवंबर 2021 को सुबह 6 बजकर 3 मिनट से होगी। अमावस्या की समाप्ति अगले दिन यानी 5 नवंबर को 2 बजकर 44 मिनट पर होगी। दीवाली की शाम को 6 बजकर 9 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक पूजा के लिए शुभ समय होगा। यानी 1 घंटा 55 मिनट तक शुभ समय में पूजा की जा सकेगी। प्रदोष काल 5 बजकर 34 मिनट से 8 बजकर 10 मिनट तक होगा। वृषभ काल 8 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 6 मिनट तक होगा।
दीवाली पर निशिता काल मुहूर्त
5 नवंबर को रात को निशिता काल 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक होगा। 5 नवंबर को सिंह लग्न रात 12 बजकर 39 मिनट से 2 बजकर 56 मिनट तक है।
दीवाली से जुड़ी खास बातें दीवाली त्योहार पर दान का भी विशेष महत्व बताया गया है। दीवाली पर लक्ष्मी जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। दीवाली पर की गई पूजा से लक्ष्मी प्रसन्न हो जाएं तो व्यक्ति के जीवन में यश-वैभव हमेशा रहता है। इसके साथ दरिद्रता भी दूर होती है।
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