Delhi Nagar Nigam by Election 2021: मतदाताओं ने किस मुद्दे पर डाला वोट, पढ़ें उन्हीं की जुबानी

कल्याणपुरी वार्ड में रहने वाले ज्यादातर मतदाताओं ने बताया कि यह क्षेत्र काफी पिछड़ा है। यहां कम पढ़ी लिखी आबादी है। विकास की रफ्तार बेहद धीमी है। पार्क उजड़े हुए हैं सफाई व्यवस्था खराब है। इससे भी बड़ी समस्या यहां होने वाला अपराध है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 03:38 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 03:38 PM (IST)
Delhi Nagar Nigam by Election 2021: मतदाताओं ने किस मुद्दे पर डाला वोट, पढ़ें उन्हीं की जुबानी
नगर निगम उपचुनाव में मतदान के बाद एक परिवारः फाइल

नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। चुनाव का दायरा छोटा हो या बड़ा, उसमें कोई न कोई मुद्दा जरूर होता है। रविवार को हुए निगम उपचुनाव में तीनों वार्डों में विकास से ज्यादा कई ऐसे मुद्दों पर मतदाताओं ने अपने भरोसेमंद प्रत्याशी को वोट दिया, जिसका निगम से कोई वास्ता नहीं। कल्याणपुरी और त्रिलोकपुरी वार्ड में बढ़ता अपराध बड़ा मुद्दा रहा। वहीं, चौहान बांगर वार्ड में दिल्ली दंगे व मरकज का मुद्दा हावी रहा।

कल्याणपुरी वार्ड में रहने वाले ज्यादातर मतदाताओं ने बताया कि यह क्षेत्र काफी पिछड़ा है। यहां कम पढ़ी लिखी आबादी है। विकास की रफ्तार बेहद धीमी है। पार्क उजड़े हुए हैं, सफाई व्यवस्था खराब है। इससे भी बड़ी समस्या यहां होने वाला अपराध है। रात में लोग बेफिक्र होकर कहीं नहीं जा सकते। लूट, झपटमारी और चोरी की वारदातें लगातार बढ़ रही हैं। चाकूबाजी भी बहुत होने लगी है। उनका कहना है कि विकास तो धीमे-धीमे हो सकता है, लेकिन अपराध से जल्द मुक्ति मिलनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि वह भलीभांति जानते हैं कि अपराध का निगम से कोई लेना-देना नहीं। लेकिन जिस तरह की आबादी इस क्षेत्र में बसती है, वह पार्षद तक वह पहुंच सकती है। उसी से समस्याओं का निवारण की उम्मीद रखते हैं। चाहे अपराध से जुड़ी समस्या ही क्यों न हो। त्रिलोकपुरी वार्ड के ज्यादातर मतदाताओं का भी यही मानना है।

चौहान बांगर में दिल्ली दंगे व मरकज का मुद्दा हावी रहा

चौहान बांगर दंगा प्रभावित क्षेत्र रहा है। दंगे के बाद यहां पहली बार चुनाव हुआ है। ऐसे में विकास के मुद्दों से ज्यादा यहां दंगे का दर्द हावी रहा। यहां के लोगों ने बताया कि मतदान करते वक्त उन्होंने केवल यह सोचा कि दंगे के वक्त उनके साथ कौन खड़ा था। लोगों का कहना था कि जो उनकी परेशानी में साथ खड़ा नहीं हो सकता, उस दल के प्रत्याशी को प्रतिनिधि बनाने का कोई औचित्य नहीं। यहां पर कोरोना काल में निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी मरकज को सील किए जाने का भी मुद्दा बना। लोग आहत थे कि मरकज को कोरोना फैलाने का केंद्र बताकर जमातियों को बदनाम किया गया।

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