जानिए किस अखाड़े के महामंडलेश्वर के नाम आतंकी संगठन IS और लश्कर-ए-तैय्यबा ने जारी किया है फतवा?

श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर बने अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक यति नरसिंहानंद डासना के शिवशक्तिधाम मंदिर के महंत हैं। मूलरूप से बुलंदशहर के रहने वाले यति भाजपा के पूर्व सांसद बीएल शर्मा को अपना गुरु मानते हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 03:14 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 05:00 PM (IST)
जानिए किस अखाड़े के महामंडलेश्वर के नाम आतंकी संगठन IS और लश्कर-ए-तैय्यबा ने जारी किया है फतवा?
आतंकी संगठन आइएस और लश्करे तैयबा से जारी हो चुका है फतवा।

दिल्ली/ गाजियाबाद [आशुतोष अग्निहोत्री]। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर बने अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक यति नरसिंहानंद डासना के शिवशक्तिधाम मंदिर के महंत हैं। मूलरूप से बुलंदशहर के रहने वाले यति भाजपा के पूर्व सांसद बीएल शर्मा को अपना गुरु मानते हैं और अपनी कट्टर हिंदू की छवि के लिए जाने जाते हैं। आतंकी संगठन आइएस और लश्करे तैयबा की ओर से यति के खिलाफ फतवा जारी हो चुका है। बंदूकों के साये में रहने वाले यति पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक बड़े हिंदू समुदाय के अघोषित पंच भी हैं।

बुलंदशहर के हिरनोज गांव में जन्मे दीपक त्यागी के जीवन में ऐसी घटना हुई की उन्होंने आम जीवन छोड़कर सन्यास ले लिया और दीपक त्यागी से यति नरसिंहानंद सरस्वती बन गए। दरअसल दीपक त्यागी के पिता केंद्रीय रक्षा मंत्रालय में थे और केंद्रीय कर्मचारी यूनियन के नेता थे। दीपक त्यागी पिता से बहुत प्रभावित रहते थे और वह उनके सिद्धांतों पर चलना चाहते थे। दीपक की 12वीं तक की शिक्षा हापुड़ से हुई और इसके बाद वह मास्को चले गए और यहां से उन्होंने एमटेक की पढ़ाई पूरी की। कुछ दिन लंदन में नौकरी करने के बाद वह वापस भारत आ गए।

उनका सपना था कि वह शैक्षिक संस्थान खोले और बच्चों को शिक्षित करें। इस दिशा में काम करते हुए उन्होंने राजनीति में कदम रखा और समाजवादी पार्टी की सदस्यता ले ली। सपा में रहते हुए उनकी एक जानकार युवती के साथ लवजिहाद का मामला हुआ और युवती ने आत्महत्या कर ली। इस मामले ने उनके जीवन में मोड़ ला दिया। इसके बाद उन्होंने मुस्लिम ध्रमग्रंथों का अध्ययन किया। यहां से 1996 से उन्होंने हिदुत्व की लड़ाई शुरू कर दी। प्रदेश भर में यति नरसिंहानंद पर 100 से अधिक मुकदमे हैं।

वह 32 बार जेल जा चुके हैं और 100 से ज्यादा रात हवालात में बिताई हैं। 2002 में उनके गुरू स्वामी ब्रहमानंद सरस्वती ने उन्हें दीक्षा दी और इसके बाद दीपक त्यागी संन्यास लेकर यति नरसिंहानंद सरस्वती हो गए। हिदुओं के पक्ष में आवाज उठाने और कट्टरपंथियों व आतंकियों के खिलाफ बयानबाजी पर यति को कई बार मारने की धमकी मिल चुकी है। विदेश में बैठे संगठन यति का सिर कलम करने पर करोड़ों रुपये के इनाम की घोषणा कर चुके हैं।

पिछले एक साल से लगातार चर्चा में

पिछले एक साल से यति नरसिंहानंद लगातार चर्चा में हैं। सबसे पहले मंदिर में एक बच्चे की कथित रूप से पानी पीने पर पिटाई का वीडियो वायरल हुआ था। मामला निपटा नहीं उससे पहले ही मंदिर में नाम बदलकर कुछ युवक घुसे। आरोप लगा कि युवक यति नरसिंहानद ही हत्या करने आए थे। मामला एटीएस के पास पहुंचा और पुलिस ने एक बड़े मतांतरण के केस का पर्दाफाश किया। जिसमें मंदिर में घुसे युवकों की संलिप्तता भी सामने आई थी।

यह प्रकरण अभी पूरी तरह से सुलझ नहीं पाया है। इस बीच मंदिर में ही रहने वाले एक साधू के ऊपर जानलेवा हमला हो गया। लंबे इलाज के बाद साधू की तो जान बच गई। लेिकन, आज तक हमलावरों की जानकारी नहीं हो पाई है। हालांकि यति नरसिंहानंद ने इसे भी उनकी हत्या के षड्यंत्र से जोड़ा है।

सीतापुर में दिया था भड़काऊ भाषण

हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या के बाद यति नरसिंहानंद ने अक्टूबर 2019 में सीतापुर में भड़काऊ भाषण दिया था। कमलेश तिवारी के परिवार की मौजूदगी में उन्होंने कमलेश की हत्या के लिए मुसलमानों को जिम्मेदार बताते हुए देश को इस्लाम मुक्त बनाने की बात कही थी। जिसके बाद उनके खिलाफ सीतापुर में मुकदमा दर्ज हुआ था।

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