Lockdown in Delhi: जानें- दिल्ली में एक सप्ताह के लाकडाउन पर क्या है व्यापारी वर्ग की राय
लाकडाउन लगाने की घोषणा का कारोबारी संगठन कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ) के साथ ही भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने स्वागत किया है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने स्वागत करते हुए इसे बहुत जरूरी कदम बताया है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते कोरोना संक्रमण को थामने के लिए दिल्ली सरकार के एक सप्ताह के लाकडाउन के फैसले का व्यापारी वर्ग ने स्वागत किया है। व्यापारियों ने एक स्वर में कहा कि जिस तरह से संक्रमण भयावह स्थिति में पहुंची है और स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने लगी है, उसमें यह निर्णय अहम साबित होगा। हालांकि, कुछ कारोबारी संगठन एक सप्ताह की जगह इसे कम से कम 14 दिन करने के पक्ष में हैं ताकि संक्रमण की चेन को पूरी तरह से तोड़ा जा सकें। वैसे, ऐहतियातन कुछ बाजार सोमवार से ही लाकडाउन पर चले गए हैं। क्योंकि काफी संख्या में व्यापारी और कर्मचारी भी संक्रमित हो रहे हैं।
लाकडाउन लगाने की घोषणा का कारोबारी संगठन कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट), चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ) के साथ ही भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने स्वागत किया है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने स्वागत करते हुए इसे बहुत जरूरी कदम बताया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में लगातार बढ़ रहे संक्रमण के मद्देनजर कैट पिछले कई दिनों से इसकी मांग कर रहा था। अब जबकि इसका फैसला हो गया है तो दिल्ली के सभी व्यापारी संगठन अपनी जिम्मेदारियों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। वे सरकार के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने के साथ इसके लिए दूसरों को भी प्रेरित करेंगे। कैट ने दिल्ली वालाें को भी आशवस्त किया है कि राष्ट्रीय राजधानी में सभी प्रकार से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की जाएगी जिससे आम लोगों को कोई असुविधा न हो।
खंडेलवाल ने उपराजयपाल अनिल बैजल व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से आग्रह किया है कि वे दिल्ली को पांच भाग मध्य, पूर्व, पश्चिम, उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली में विभाजित कर पांच नोडल अधिकारियों को नामांकित करें जिनके साथ सहयोग करते हुए सभी जोन में कैट टीम के लोग आपूर्ति व अन्य कार्यों में सरकार के सहभागी बन सकें।
छह दिन के लाकडाउन से पलायन नहीं करेंगे मजदूर
सीटीआइ के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा कि छह दिन के लाकडाउन का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि दुकानों और फैक्ट्रियों में काम करने वाले कर्मचारी और मजदूर अपने गावों की ओर पलायन नहीं करेंगे, क्योंकि यह अल्पअवधि का है। पिछले साल बड़ा लाकडाउन लगने से बड़ी संख्या में कर्मचारी और मजदूर अपने गावों की ओर पलायन कर गए थे। सीटीआइ के अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल बताया कि दिल्ली सरकार ने छह दिन का लाकडाउन लगाकर बहुत ही संतुलित निर्णय लिया है। पिछले कुछ दिनों से हमने दिल्ली के तमाम व्यापारियों से इसको लेकर रायशुमारी की थी और दिल्ली के 90 फीसद व्यापारियों ने मांग की थी कि दिल्ली में पांच से सात दिन का लाकडाउन लगना चाहिए। द बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन, कूचा महाजनी के अध्यक्ष योगेश सिंघल ने कहा कि सरकार पूरे मामले में नजर बनाए हुए हैं। उसे बेहतर तरीके से पता है कि कब क्या निर्णय लेना है। ऐसे में व्यापारी वर्ग सरकार के हर फैसले के साथ है।
रोजाना 600 करोड़ रुपये का कारोबार होगा प्रभावित
उन्होंने बताया कि एक मोटे अनुमान के अनुसार दिल्ली में लाकडाउन की अवधि के दौरान प्रतिदिन लगभग 600 करोड़ रुपये का व्यापार नहीं होगा जबकि देश के अन्य राज्यों में लाकडाउन, आंशिक लाकडाउन, रात्रि कर्फ्यू व अन्य बंदिशों के चलते प्रतिदिन लगभग 30 हजार करोड़ रुपये का व्यापार नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा निर्यात की वस्तुओं के व्यापार पर भी बुरा असर पड़ा है, लेकिन कोरोना के संक्रमण की श्रृंखला को रोकना जरूरी है।
एक दिन की मोहलत से पूरे हुए जरूरी काम
आटोमोटिव पार्ट्स मर्चेंट एसोसिशन, कश्मीरी गेट के अध्यक्ष विनय नारंग ने कहा कि सोमवार को एक दिन की मोहलत देने से व्यापारी बैंक व व्यापार संबंधि काम कर पाए हैं। शनिवार और रविवार दो दिन के कर्फ्यू तथा मंगलवार से रविवार तक के लाकडाउन से निश्चित ही संक्रमण रोकने में मददगार साबित होगा।
सप्ताहभर का लाकडाउन नाकाफी
चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय भार्गव ने 15 दिनों के लाकडाउन को जरूरी बताते हुए कहा कि इससे संक्रमण की चेन तोड़ने में मदद मिलेगी। हालांकि, सरकार ने जो निर्णय लिया है। वह मौजूदा हर परिस्थिति को ध्यान में रखकर लिया है।
सख्ती से लागू हो लाकडाउन
फेडरेशन आफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश यादव ने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि लाकडाउन को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। तभी इसका फायदा होगा। अन्यथा कोरोना के मामले कम नहीं होंगे और आर्थिक नुकसान भी होगा। इसलिए शासन-प्रशासन को सख्ती दिखानी चाहिए।