Weather Update: जानिए दिल्ली की बिल्डिंगों से क्या है बारिश का कनेक्शन

दिल्ली-एनसीआर में बारिश का दौर जारी है। आइएमडी के महानिदेशक ने कहा सितंबर में बार-बार लो प्रेशर एरिया बनने से जारी रहेगा बारिश का दौर। इसके अलावा कहा कि सर्दियों की दस्तक पर अभी कुछ कहना मुश्किल है हालांकि नवंबर में होने लगेगा ठंड का अहसास।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 10:37 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 07:27 AM (IST)
Weather Update: जानिए दिल्ली की बिल्डिंगों से क्या है बारिश का कनेक्शन
तीन अक्टूबर तक बना रहेगा मानसून : महापात्रा

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। अप्रत्याशित रूप से लंबा खिंच रहा मानसून अक्टूबर के पहले सप्ताह तक जारी रह सकता है। फिलहाल तीन अक्टूबर तक पूर्वानुमान दिया गया है, लेकिन इसके बाद भी मानसून के जारी रहने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। दूसरी तरफ अत्यधिक बारिश को सर्दियों के जल्द आगमन का संकेत भी नहीं माना जा सकता। मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) के महानिदेशक डा. मृत्युंजय महापात्रा का कहना है कि सर्दियों का अनुमान लगाना मुश्किल है। दैनिक जागरण से बातचीत में महापात्रा ने बताया कि बारिश के लिए कम दबाव का क्षेत्र (लो प्रेशर एरिया) बनना जरूरी है। यह बंगाल की खाड़ी से बनता है और देश के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचता है।

इस कारण लंबा खिंच रहा मानूसन

मानसून के लंबा खिंचने की वजह भी बार-बार लो प्रेशर सिस्टम बनना है। अब भी बंगाल की खाड़ी से अंतरदेशीय स्तर पर एक के बाद दो लो-प्रेशर सिस्टम बन रहे हैं। ये दोनों सिस्टम मध्य, पूर्व और उत्तर-पश्चिमी भारत के आसपास के हिस्सों में झमाझम बारिश देंगे, जिससे मानसून की वापसी में देरी होगी।

क्यों बदल रहा बारिश का ट्रेंड

मानसून की बारिश के बदलते ट्रेंड पर महापात्रा कहते हैं कि यह मानसून की परिवर्तनशीलता का हिस्सा है। हालांकि, इसके पीछे जलवायु परिवर्तन भी बहुत बड़ा कारण है। बारिश के दिन कम हो गए हैं। हल्की बारिश भी अब ज्यादा नहीं होती, होती है तो रिकार्ड तोड़। अगला और पिछला सारा कोटा पूरा कर देती है। इसके पीछे स्थानीय कारण मसलन हरित क्षेत्र और वायु प्रदूषण का भी प्रभाव रहता है। एक और कारण है हीट आइलैंड।

दिल्ली में इस कारण ज्यादा हो रही बारिश

खुले क्षेत्र में बारिश कम जबकि दिल्ली जैसे कंक्रीट के जंगल में कुल मात्रा में ज्यादा होने लगी है। दरअसल, जहां बिल्डिंग ज्यादा होती है वहां वेंटीलेशन कम होता है। ऐसे में हवा ऊपर की तरफ जाती है, वाष्पीकरण भी होता है। इसी से बादल बनते हैं और बारिश होने की अनुकूल परिस्थितियां भी उत्पन्न होती हैं।

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