Admission in Delhi University: जानिए क्या है दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए छात्रों की दौड़ की कुछ प्रमुख वजहें?

Delhi University Admission छात्रों की दौड़ के पीछे की कई वजह हैं। इनमें शिक्षा के क्षेत्र में डीयू के पास समृद्ध विरासत का होना प्रमुख कारणों में से एक है। हालांकि दाखिले के लिए छात्रों को दूसरे अच्छे विकल्प मिलने से डीयू पर दाखिले का दबाव कम होगा।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 12:16 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 12:16 PM (IST)
Admission in Delhi University: जानिए क्या है दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए छात्रों की दौड़ की कुछ प्रमुख वजहें?
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के लिए छात्रों की दौड़ के पीछे की कई वजह हैं।

नई दिल्ली [राहुल चौहान]। Delhi University Admission: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के लिए छात्रों की दौड़ के पीछे की कई वजह हैं। इनमें शिक्षा के क्षेत्र में डीयू के पास समृद्ध विरासत का होना प्रमुख कारणों में से एक है। हालांकि दाखिले के लिए छात्रों को दूसरे अच्छे विकल्प मिलने से डीयू पर दाखिले का दबाव कम होगा। यह निश्चित रूप से आने वाले समय में संभव है। दाखिले के लिए छात्रों की पहली पसंद डीयू होने की पहली वजह डीयू का पाठ्यक्रम अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में हमेशा से काफी अच्छा रहा है। डीयू के पाठ्यक्रम को यहां विभिन्न विषयों में मर्मज्ञ रहे प्राध्यापकों द्वारा तैयार किया गया है।

दूसरा कारण डीयू का अध्यापक वर्ग काफी ऊंचे दर्जे का है। हम किसी भी विषय को उठाकर देख लें। ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में डीयू ने भारत की अगुवाई की है। चाहे इतिहास हो, अंग्रेजी हो या मनोविज्ञान या फिर अर्थशास्त्र। सभी विषयों में यहां एक से बढ़कर एक दिग्गज शिक्षक रहे। वही पाठ्यक्रम बनाया करते थे। उन्हीं के पढ़ाए हुए छात्र आगे शिक्षक बनते थे। इस तरह शिक्षा के क्षेत्र में डीयू का दबदबा बढ़ता चला गया। अगर भौतिक विज्ञान की बात करें तो यहां डीएस कोठारी जैसे अध्यापक रहे। जो देश के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों में से एक थे। उन्होंने ही डीयू में भौतिक विज्ञान का विभाग बनाया। उस जमाने में देश का कोई भी शोध संस्थान डीयू के भौतिक विज्ञान विभाग की टक्कर का नहीं था।

इसी तरह डीयू के रसायन विज्ञान विभाग, वनस्पति विज्ञान विभाग और जंतु विज्ञान विभाग का भी नाम था। यहां के छात्र भी पढ़ाई में मेहनत करते थे इसलिए उन्हें नौकरियों में भी वरीयता मिलती थी। इन्हीं वजहों से डीयू में दाखिला लेना छात्रों की परंपरागत पसंद बनता चला गया और डीयू की ख्याति देशभर में फैल गई। इससे छात्रों का रुझान डीयू में दाखिले के प्रति बढ़ता चला गया, जो आज भी जारी है। यहां अच्छे पढ़ने वाले बच्चे भी आना चाहते हैं और पढ़ाने वाले शिक्षक भी। आज के समय में उच्च कटआफ को लेकर किसी भी शिक्षा बोर्ड पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। कटआफ उच्च होना कोई बड़ी बात नहीं है। इस साल कोरोना संकट की वजह से कुछ अधिक छात्रों को ज्यादा अच्छे अंक मिले हैं तो कटआफ अधिक है। इस साल ऐसा हो गया।

अगले साल सब पहले की तरह हो जाएगा। डीयू केंद्रीय विश्वविद्यालय है। इस पर पूरे देश के छात्रों का हक है। हो सकता है किसी एक बोर्ड ने इस साल अपने छात्रों को ज्याद नंबर दे दिए हों, लेकिन अगले साल परीक्षा के आधार पर नंबर मिलने से यह समस्या खत्म हो जाएगी। अगर डीयू के और कालेज खोलने और सीटें बढ़ाने की बात करें तो ऐसा भी ठीक नहीं कि पूरे देश में डीयू ही डीयू हो जाए। क्या अमेरिका में सिर्फ हावर्ड है या ब्रिटेन में सिर्फ कैंब्रिज है। पूरा भारत डीयू में पढ़े ये भारत के हित में भी नहीं है। दिल्ली में स्थित कई दूसरे विश्वविद्यालय भी अच्छा कर रहे हैं। अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली (एयूडी) की बात करें तो वह बहुत अच्छा कर रहा है। एयूडी ने भी छात्रों को अच्छा विकल्प दिया है। यहां का मनोविज्ञान विभाग कई विश्वविद्यालयों से अच्छा है। (प्रो. दिनेश सिंह, पूर्व कुलपति, दिल्ली विश्वविद्यालय)

दिल्ली विश्वविद्यालय की अगुआई में लागू होगी नई शिक्षा नीति

दूसरे विश्वविद्यालयों की ओर से अच्छे विकल्प मिलने से दिल्ली विश्वविद्यालय पर कुछ दबाव कम होगा। हालांकि, दिल्ली में कई नए विश्वविद्यालय भी खुले हैं। इनमें दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीटीयू), इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट आफ इनफारमेशन टेक्नोलाजी दिल्ली (आइआइआइटीडी), इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय भी छात्रों के लिए अच्छे विकल्प हैं। इनमें डीटीयू और आइआइआइटीडी देश की किसी भी आइआइटी को टक्कर देने में सक्षम हैं। यह मैं दावे के साथ कह रहा हूं। डीटीयू में भी काफी ऊंचे स्तर के छात्र जाते हैं। दिल्ली कौशल और उद्यमिता विश्वविद्यालय खुलने से भी छात्रों को आगे अच्छे विकल्प मिलेंगे।

एनसीआर में कुछ निजी विश्वविद्यालय भी काफी अच्छा कर रहे हैं। कुछ और भी नए निजी विश्वविद्यालय खुलते जा रहे हैं। नई शिक्षा नीति के प्रविधानों का दूसरे विश्वविद्यालय अनुसरण करेंगे। इससे उनकी भी गुणवत्ता बढ़ेगी और निश्चित रूप से छात्रों को आने वाले समय में अच्छे विकल्प मिलेंगे। इससे दाखिले के लिए मारा-मारी जैसी समस्या का समाधान होगा। यह दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के दबाव को कम करने में सहायक होगा। हालांकि, इससे डीयू की परंपरा भी खत्म नहीं होगी, डीयू छात्रों की पसंद बना रहेगा। लेकिन छात्रों को नए विकल्प भी मिलना जरूरी है। मुङो पूरा भरोसा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय अगुवाई करेगा कि नई शिक्षा नीति को देश में कैसे लागू करना है।

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