Happy Birthday Santosh Anand: पढ़िये- संतोष कुमार मिश्रा के संतोष आनंद बनने की स्टोरी, जब उनकी आंखें हुईं नम तो रो पड़ा जमाना

Happy Birthday Santosh Anand मशहूर गीतकार संतोष आनंद इन दिनों फिर से खूब सुर्खियों में हैं। लगता है जैसे किसी ने नदी के ठहरे पानी में कंकड़ दे मारा है। लाखों-करोड़ों भारतीयों के दिलों में जगह बनाने वाले मशहूर गीतकार संतोष आनंद का 5 मार्च को जन्मदिन है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 08:14 PM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 08:30 PM (IST)
Happy Birthday Santosh Anand: पढ़िये- संतोष कुमार मिश्रा के संतोष आनंद बनने की स्टोरी, जब उनकी आंखें हुईं नम तो रो पड़ा जमाना
मशहूर गीतकार संतोष आनंद की फाइल फोटो।

नई दिल्ली [जेपी यादव]। 'शोर' फिल्म में 'इक प्यार का नगमा है' और राजकपूर की फिल्म 'प्रेम रोग' में 'मोहब्बत है क्या चीज' जैसा कालजयी गीत लिखकर लाखों-करोड़ों भारतीयों के दिलों में जगह बनाने वाले मशहूर गीतकार संतोष आनंद का 5 मार्च को जन्मदिन है। मशहूर गीतकार संतोष आनंद इन दिनों फिर से खूब सुर्खियों में हैं। लगता है जैसे किसी ने तालाब ठहरे पानी में कंकड़ दे मारा है।

कैसे अचानक चर्चा में आ गए

दरअसल, पिछले दिनों संतोष आनंद ने टेलीविजन चैनल पर प्रसारित होने वाले एक सिंगिग रियलिटी शो ‘इंडियन आइडल 12’ में बतौर विशेष अतिथि शिरकत करने के दौरान कुछ ऐसी बातें कहीं कि उनकी आंखों नम हो गईं और देखने वालों की आंखों में आंसू आ गए। मंच पर व्हील चेयर पर आए संतोष आनंद ने कहा- 'मैं बरसों बाद मुंबई में आया हूं और मुझे अच्छा लग रहा है। पुरानी बातों को याद करते हुए संतोष आनंद मंच पर ही रो पड़े। संतोष आनंद ने कहा ' रात-रात जगकर मैंने गीत लिखे। अपने खून ये ये गीत लिखे हैं। इस दौरान दर्शकों की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि पुराने दिनों को याद करके बहुत अच्छा लगता है लेकिन अब तो कई बार लगता है कि दिन भी रात हो गई है। इस दौरान मशहूर सिंगर  नेहा कक्कर  संतोष आनंद की यह बात सुनकर भावुक हो गई और रो पड़ी जब उन्होंने कहा 'मैं जीना चाहता हूं, बहुत अच्छी तरह। ऊपरवाले ने मुझे बहुत कुछ दिया था लेकिन वो सबकुछ कैसे चला गया, पता नहीं चला। ऊपरवाले की कपाट किसने बंद कर दी, मुझे पता नहीं। अब वो दौर तो नहीं लेकिन एक बात कहना चाहूंगा। इस दौरान उन्होंने अपना एक गीत गुनगुनाया।

'जो बीत गया अब वह दौर न आएगा

इस दिल में सिवा तेरे कोई और न आएगा।

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घर फूंक दिया हमने अब राख उठानी है

जिंदगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है।

दरअसल, ये पंक्तियां उनके लिखे गीतों की हैं, जो फिल्मों में आए हैं।

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संतोष आनंद के दिल की बात सुन पड़ीं नेहा कक्कड़

दर्शकों की मौजूदगी में जब संतोष आनंद ने भरे दिल से ये पंक्तियां पढ़ी तो लोग भावुक हो गए। इतना ही नहीं इंडियन आइडल की जज और चर्चित सिंगर नेहा कक्कड़ भी रो पड़ीं। नेहा संतोष आनंद को सम्मान देते हुए मंच पर आईं और उनके सिर पर हाथ रखते हुए रो पड़ीं। नेहा ने इस दौरान कहा कि आपके गीतों से हमने प्यार करना सीखा है। दुनिया के बारे में जाना है। इस दौरान सिंगर नेहा जब संतोष आनंद को 5 लाख रुपये देने चाहे तो संतोष ने कहा -'मैंने आजतक किसी से कुछ नहीं मांगा। बहुत स्वाभिमानी आदमी हूं। आज भी मेहनत करता हूं।' इसके बाद नेहा भी भावुक होकर बोलीं 'सर आप ये समझिए कि यह आपकी पोती की तरफ से है। इतना कहकर नेहा भी रो पड़ीं। इसके बाद संतोष आनंद ने कहा कि उसके लिए स्वीकार करूंगा।

दिल्ली से 100 किलोमीटर की दूरी पर बीता है संतोष आनंद का बचपन

70 के दशक में अपने उम्दा गीतों से लोगो को भावुक करने वाले संतोष आनंद का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के सिकंदराबाद ब्लॉक में हुआ। उनका यहां पर बचपना बीता है। उनका जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। कम ही लोग जानते होंगे कि आज के मशहूर कवि व गीतकार संतोष आनंद का पूरा नाम संतोष कुमार मिश्र है। दिल्ली से सिकंदराबाद की दूरी 100 किलोमीटर से भी कम है, लेकिन यह 100 किलोमीटर का सफर तय करने में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी। संतोष आनंद ने प्राइमरी स्कूल से पढ़ाई और फिर हायर एजुकेशन के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी गए। यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली के मिंटो ब्रिज स्थित स्कूल में लाइब्रेरियन के तौर पर काम शुरू कर दिया। इस दौरान वह कविताएं लिखते थे। दिल्ली के चांदनी चौक के रहने वाले फिल्मकार और एक्टर मनोज कुमार दिल्ली आते रहते थे। उन्होंने संतोष आनंद को सुना तो पहली बार संतोष आनंद को फिल्म के लिए गाने लिखने का ऑफर ‘पूरब और पश्चिम’ के लिए मिला था। मनोज कुमार की फिल्मों मसलन शोर, क्रांति, पूरब पश्चिमी और रोटी कपड़ा फिल्म में लिखे गीत काफी मशहूर हुए।

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'गीली सुलगती लकड़ियां हैं ये दोस्त ये रिश्तेदार'

कविता हो या ग़ज़ल यह किसी दर्द से गुजरकर अपनी शक्ल लेती है। कवि गुजरे लम्हों को अपनी रचनाओं को पिरोता है, सजाता और और संवारता है। गीतकार संतोष आनंद के यूं तो सभी लिखे गीत चर्चित हुए, लेकिन उनकी कविताएं भी लाजवाब हैं। बतौर कवि संतोष आनंद को कविता सम्मेलन में सुनने के लिए आखिर तक डटे रहते हैं। दर्शकों और श्रोताओं को संतोष आनंद के साथ लगाव आज भी जारी है। मंच पर जब भी संतोष आनंद आते हैं तो श्रोता उनसे फिल्मी गीत सुनने की फरमाइश करते हैं, लेकिन वह आज भी कुछ न कुछ नया लिखते रहते हैं। दिल्ली के पंजाबी बाग में आयोजित कवि सम्मेलन में सुनाई गई संतोष आनंद की 2 पंक्तियों ने लोगों का दिल लूट लिया था। ये पंक्तियां थीं-

गीली सुलगती लड़कियां हैं ये दोस्त ये रिश्तेदार,

पास रहें तो जलन रखते हैं, दूर रहें तो धुआं देते हैं।

फिलहाल दिल्ली में अपनी पोती के साथ रह रहे

जवानी में ही एक दुर्घटना के चलते वह विकलांग हो गए। ईश्वर को संतोष आनंद से कई इम्तहान लेने थे और उनकी निजी जिंदगी लगातार उथल पुथल भरे दौर से गुजरती रही। संतोष आनंद के बेटे का नाम संकल्प आनंद था और एक बेटी शैलजा आनंद है। वहीं, बहू का नाम नंदनी था। अक्टूबर 2014 संकल्प आनंद ने अपनी पत्नी नंदनी के साथ आत्महत्या कर ली।

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फिल्म फेयर समेत कई सम्मान पा चुके हैं संतोष आनंद

संतोष आनंद को फिल्मों में उम्दा गीत लिखने के लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। 1974 में आई फिल्म रोटी कपड़ा और मकान का गीत ‘मैं ना भूलूंगा’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। इसके पाद फिर 1983 में आई फिल्म प्रेम रोग के गीत ‘मुहब्बत है क्या चीज’ के लिए भी फिल्मफेयर अवार्ड मिला था। वहीं 2016 में उन्हें यश भारती सम्मान से नवाजा गया।

इन फिल्मों में लिखे गीत

गोपीचंद सावन

जख्मी शेर

मेरा जवाब

पत्थर दिल

लव 86

मजलूम

बड़े घर की बेटी

संगीत

तिरंगा

संगम हो के रहेगा

प्रेम अगन

पूरब और पश्चिम

शोर

रोटी कपड़ा और मकान

पत्थर से टक्कर

क़्रांति

प्यासा सावन

प्रेम रोग

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