पढ़िये- दिल्ली की 'छमिया बाई' की लव स्टोरी, वह कट्टर मुस्लिम परिवार से थी पर दिल आया हिंदू वकील पर

Chhamiya Bai छमिया बाई यानी शमशाद बेगम दिल्ली की मशहूर गायिका थीं। वह जितना खूबसूरत गाती थीं वह शक्ल-ओ-सूरत से उतनी हूं आकर्षक-खूबसूरत भी थी। 23 अप्रैल 2013 को दुनिया को अलविदा कहने वालीं शमशाद बेगम ने मूड के गाने गए हैं।

By Jp YadavEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 08:30 PM (IST) Updated:Sat, 24 Apr 2021 07:53 AM (IST)
पढ़िये- दिल्ली की 'छमिया बाई' की लव स्टोरी, वह कट्टर मुस्लिम परिवार से थी पर दिल आया हिंदू वकील पर
छमिया बाई यानी शमशाद बेगम दिल्ली की मशहूर गायिका थीं।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण कहर बनकर टूटा है। रोजाना लाखों लोग कोरोना की चपेट में आ रहे हैं और सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। ऐसे कठिन दौर में कला संस्कृति का हाल बेहाल है। आलम यह है कि कोरोना के इस दौर में हम ऐसे नामी गिरानी शख्सियत तक को याद नहीं कर पा रहे हैं, जिन्होंने देश के करोड़ों लोगों के दिलों को अपने हुनर से सुकून दिया है। फिलहाल हम यहां पर बात कर रहे हैं देश-दुनिया की मशहूर गायिका छमिया बाई यानी शमशाद बेगम की। हर रंग के हिंदी फिल्मी गीत गाकर करोड़ों लोगों को अपना दीवाना बनाने वालीं शमशाद बेगम की 23 अप्रैल को पुण्यतिथि थी। ऐसे में अगर कोरोना का कहर न बना होता है, शमशाद बेगम की याद में देश के कई हिस्सों में प्रोग्राम हो रहे होते। फिल्मों से दूर होने के बाद शमशाद गुमनाम हो गईं, लेकिन पूरे करियर में उन्होंने कई अवॉर्ड अपने नाम किए। 2009 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया था। साल 2013 में 23 अप्रैल को शमशाद बेगम का निधन हो गया। 

दिल्ली की मशहूर गायिका थीं शमशाद बेगम 

छमिया बाई यानी शमशाद बेगम दिल्ली की मशहूर गायिका थीं। वह जितना खूबसूरत गाती थीं वह शक्ल-ओ-सूरत से उतनी हूं आकर्षक-खूबसूरत भी थी। 23 अप्रैल, 2013 को दुनिया को अलविदा कहने वालीं शमशाद बेगम ने मूड के गाने गए हैं। नरगिस, सुनील दत्त, राजकुमार और राजेंद्र कुमार अभिनीत फिल्म 'मदर इंडिया' के तकरीबन हर गीत में उन्होंने अपनी आवाज दी है। फिल्म में शादी होने के बाद नायिका की विदाई का गीत 'पी के घर आज प्यारी दुल्हनियां चली...' हो या फिर हिंदुओं के सबसे मशहूर त्योहार होली का गीत 'होली आई रे कन्हाई...' दोनों ही गीत सुनकर कोई भी श्रोता खुद को उससे जोड़ लेता है।

छोटी सी उम्र में क्या गजब का गाती थीं शमशाद बेगम

14 अप्रैल, 1919 को पंजाब के अमृतसर में जन्मीं शमशाद बेगम ने बचपन से ही खुदा ने गजब की आवाज बख्शी थी। शमशाद को बहुत छोटी उम्र से ही गाने का शौक था, शायद वह किशोरी भी नहीं थी। हां यह अलग बात है कि शमशाद को जो सुनता उनकी आवाज का दीवाना हो जाता था। उम्र के साथ आवाज का ऐसा जादू बिखेरा कि पूरा हिंदुस्तान दीवाना हो गया। बताया जाता है कि शुरुआती दिनों में पेशावर रेडियो (पाकिस्तान) में काम किया था। 

चाचा की वजह से बन गई सितारा

शमशाद बेगम बहुत अच्छा गाती तो थी, लेकिन उस समय का समाज इतना खुला नहीं था कि सहजता से उन्हें आगे बढ़ाता। हर किसी की तरह शमशाद भी चाहती थीं वह फिल्मों में गाएं और दुनिया भर में नाम कमाएं, लेकिन हिंदी फिल्मों में गाना उनके लिए सपने जैसा था। खैर, शमशाद की प्रतिभा को देश-दुनिया के सामने लाने का श्रेय शमशाद के चाचा को जाता है, जो उनके लिए मसीहा की तरह बन गए। हुआं यूं कि उनके चाचा लाहौर की एक बड़ी म्यूजिक कंपनी में ऑडीशन दिलाने ले गए। यहां पर महज इत्तेफाक से गुलाम हैदर ने उनका ऑडिशन लिया। प्रतिभा की धनी शमशाद बेगम को एक ही बार में 15 गानों का कॉन्ट्रेक्ट मिल गया। इसके बाद एक लंबा सफर तय कर उन्होंने हिंदी सिनेमा को ऐसे बेहतरीन गीत गाए कि उनके करोड़ों दीवाने हो गए और आज भी हैं। 

पिता से वादा निभाया बेटी शमशाद ने

बताया जाता है कि शमशाद बेगम को हिंदी फिल्मों में गीत गाने की अनुमति इसी वजह से मिली थी कि उन्होंने अपने वालिद से वादा किया था कि वह कभी कैमरे के सामने नहीं आएंगी। यह भी बताया जाता है कि शमशाद बेइंतेहा खूबसूरत थी, लेकिन उन्हें कैमरे के सामने आना पसंद नहीं था, इसलिए वह कभी कैमरे के सामने नहीं आईं। कुछ लोगों का मानना है कि शमशाद खुद को खूबसूरत नहीं मानती थीं, इसलिए पर्दे पर नहीं आती थीं। सच्चाई तो यह है कि वह खूबसूरत थीं, लेकिन उनका पर्दे पर नहीं आने का फैसला खुद का था।

कट्टर मुस्लिम परिवार से थी, लेकिन मोहब्बत कर बैठीं हिंदू युवक से

अपनी आवाज से करोड़ों लोगों को अपना दीवाना बनाने वालीं शमशाद बेगम ने 23 अप्रैल, 2013 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। यह भी कम हैरान की बात नहीं है कि शमशाद बेगम बेहद कट्टरवादी मुस्लिम परिवार से थी। जहां पांचों जून की नमाज अदा की जाती थी। बावजूद इसके शमशाद बेगम एक हिंदू वकील गणपत लाल पर फिदा हो गईं। इसके बाद परिवार के खिलाफ जाकर शमशाद बेगम ने महज 15 साल की उम्र में शादी की थी। गणपत ने लाहौर से मुंबई तक शमशाद का हर कदम पर ख्याल रखा। शमशाद ने भी पति के साथ उम्र भर का रिश्ता निभाया। उनकी एक बेटी भी है।

जानिये- शमशाद बेगम के बारे में खास बातें

शमशाद बेगम ने अपने पूरे हिंदी फिल्मी करियर में देश की विभिन्न भाषाओं में 6,000 से ज्यादा गाने गाए हैं। शमशाद बेगम अपने जमाने की सबसे ज्यादा डिमांड में रहने वाली और कमाने वाली प्लेबैक सिंगर भी। शमशाद बेगम को पहली बार एक गाने के लिए 15 रुपये मिले थे।  शमशाद ने नौशाद, एसडी बर्मन और ओ पी नैयर जैसे महान संगीतकारों के साथ काम किया था। शमशाद बेगम ने कभी किसी नए संगीतकार के साथ गाने से मना नहीं किया। यह उनके बड़प्पन का दिखाता है। वर्ष 1937 में शमशाद बेगम ने लाहौर रेडियो पर अपना पहला गीत पेश किया था। वर्ष 1944 में उन्होंने अपना पहला कदम मुंबई में रखा था। 16 दिसंबर, 1947 को पूरी दुनिया ने शमशाद बेगम की आवाज के जादू को महसूस किया था। शमशाद बेगम ने हिंदी सिनेमा के मशहूर गायक नौशाद अली, राम गांगुली, एसडी बर्मन, सी रामचन्द्रन, खेमचंद प्रकाश और ओपी नय्यर जैसे तमाम गायकों के साथ गीत गाए हैं।

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