जानिए किस मामले में सुपरटेक के एमडी को जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंट, दिल्ली हाईकोर्ट ने दे दी अनुमति

इस वारंट को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट से अनुमति मांगी गई थी। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में सुपरटेक कंपनी की एक आवासीय योजना में वृंदा कपूर देव को एक करोड़ रुपये में विला अलाट हुआ था। भुगतान के बाद भी कंपनी द्वारा विला का कब्जा नहीं मिला।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 01:26 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 01:26 PM (IST)
जानिए किस मामले में सुपरटेक के एमडी को जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंट, दिल्ली हाईकोर्ट ने दे दी अनुमति
यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में विला का कब्जा देने के आदेश को न मानने पर जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंट

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सुपरटेक के एमडी मोहित अरोड़ा के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को चुनौती देने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने अनुमति दे दी है। एक उपभोक्ता को विला का कब्जा देने के आदेश को न मानने के चलते राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने 20 सितंबर को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। इस वारंट को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट से अनुमति मांगी गई थी। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में सुपरटेक कंपनी की एक आवासीय योजना में वृंदा कपूर देव को एक करोड़ रुपये में विला अलाट हुआ था। भुगतान के बाद भी कंपनी द्वारा विला का कब्जा नहीं मिला। इस संबंध में उपभोक्ता आयोग में कंपनी के खिलाफ केस दायर किया गया था।

एनसीडीआरसी ने अप्रैल 2019 में उपभोक्ता के हक में फैसला देते हुए सुपरटेक को आदेश दिया था कि छह माह में विला का कब्जा दें या पूरी रकम जुर्माने और ब्याज के साथ वापस करें। इसके बाद भी तय समय में आदेश नहीं माना गया तो उपभोक्ता ने अवमानना याचिका दायर की गई। जिस पर जुलाई 2020 में कंपनी के एमडी की तरफ से एनसीडीआरसी को भरोसा दिया गया कि 60 दिन में आदेश की पालना कर दी जाएगी। इसके बाद भी पालना नहीं हुई तो एनसीडीआरसी ने एमडी के खिलाफ वारंट जारी कर दिया था।

सुपरटेक ने वापस ली याचिका

सुपरटेक की तरफ से इस मामले में उपभोक्ता की रकम 12 किस्त में देने की मांग को लेकर अर्जी दायर की गई थी, जिसे एनसीडीआरसी ने 13 सितंबर को खारिज कर दिया था। इस फैसले को कंपनी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। वहीं, एनसीडीआरसी से गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद कंपनी की तरफ से हाई कोर्ट से गुहार लगाई गई कि 13 सितंबर के एनसीडीआरसी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका वापस लेने और गिरफ्तारी वारंट को चुनौती देने की अनुमति दी जाए। न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने इसे मंजूर कर लिया।

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