Blood Sugar Control Tips: ब्लड शुगर को नियंत्रित करती हैं ये दो चीजें, मात्र 21 दिनों में होगा अचूक फायदा

स्नातकोत्तर की छात्रा डा. आलिशा द्वारा की गई रिसर्च में सामने आया है कि 21 दिन तक हरिद्रा चूर्ण व पिपली चूर्ण के मिश्रण की तय मात्रा का सेवन कर खाने के बाद के ब्लड शुगर (रक्तशर्करा) स्तर को करीब 50 फीसद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Wed, 08 Sep 2021 07:03 PM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 06:07 AM (IST)
Blood Sugar Control Tips: ब्लड शुगर को नियंत्रित करती हैं ये दो चीजें, मात्र 21 दिनों में होगा अचूक फायदा
खाने के बाद के ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करने में अधिक प्रभावी।

नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। Blood Sugar Control Tips: खैरा डाबर स्थित चौ. ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेदिक चरक संस्थान ने टाइप-2 मधुमेह मरीजों के लिए एक प्रभावी चिकित्सा पद्धति विकसित की है। संस्थान के कायाचिकित्सा विभाग के स्नातकोत्तर की छात्रा डा. आलिशा द्वारा की गई रिसर्च में सामने आया है कि 21 दिन तक हरिद्रा चूर्ण व पिपली चूर्ण के मिश्रण की तय मात्रा का सेवन कर खाने के बाद के ब्लड शुगर (रक्तशर्करा) स्तर को करीब 50 फीसद तक नियंत्रित किया जा सकता है। महज 21 दिनों में ब्लड शुगर के स्तर को 50 फीसद कम करना एक उल्लेखनीय सफलता कही जा रही है।

करोड़ों लोगों के लिए राहत भरी रिसर्च

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक 2016 में विश्व में 42.20 करोड़ लोग मधुमेह से ग्रस्त थे और यह आंकड़ा साल दर साल तेजी से बढ़ रहा है। प्रदूषण, तनाव, अनियमित जीवनशैली व गलत खान-पान के बीच ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करना मरीजों के चुनौतीपूर्ण बन चुका है। अधिकांश मरीज ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करने के लिए ऐलोपेथिक उपचार पर निर्भर हैं, लेकिन लंबे समय तक ऐलोपेथिक इलाज पद्धति को जारी रखने से स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका रहती है। जैसे ब्लड शुगर स्तर गिरना, त्वचा संक्रमण, जी मिचलाना, उल्टी, मांसपेशियों में कमजोरी, तनाव आदि।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

कायाचिकित्सा विभाग के सह आचार्य डा. याेगेश पांडे ने बताया कि आमतौर पर आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में टाइप-2 मधुमेह मरीजों को चंद्रप्रभा वटी व पिपली चूर्ण का मिश्रण दिया जाता है, पर 40 से 60 वर्षीय उम्र के 40 मरीजों पर की गई रिसर्च के दौरान 20 मरीजों को हरिद्रा चूर्ण व पिपली चूर्ण का मिश्रण दिया गया, जबकि 20 अन्य मरीजों को सामान्य रूप से खाली पेट चंद्रप्रभा वटी व पिपली चूर्ण मिश्रण दिया। चंद्रप्रभा वटी व पिपली चूर्ण के मिश्रण के मुकाबले हरिद्रा चूर्ण व पिपली चूर्ण का मिश्रण के नतीजे ज्यादा प्रभावी सामने आएं हैं।

क्या रहे परिणाम

डा. आलिशा ने बताया कि ग्रुप-ए के मरीजों को 21 दिन तक तीन ग्राम हरिद्र चूर्ण व 500 ग्राम पिपली चूर्ण का मिश्रण दिन में दो बार खाने से आधे घंटे पहले दिया गया। जबकि ग्रुप-बी के मरीजों को 500 एमजी (मायस्थेनिया ग्रेविस) चंद्रप्रभा वटी व 500 ग्राम पिपली चूर्ण का मिश्रण दिन में दो बार खाने से आधे घंटे पहले दिया गया। इस बीच पहले दिन, सातवें दिन, 14वें दिन व 21वें दिन मरीज के स्वास्थ्य और दवा के सकारात्मक व नकारात्मक प्रभावों की जांच की गई।

21वें दिन मिला चौंकाने वाला परिणाम

21वें दिन परिणाम चौंकाने वाले थे। खाना खाने से पहले (फास्टिंग ब्लड शुगर) की जांच में जहां ग्रुप-ए व बी के मरीजों का ब्लड शुगर स्तर सामान रहा, तो वहीं खाना खाने के बाद के हुई जांच में ग्रुप-ए के परिणाम ग्रुप-बी के मुकाबले 50 फीसद बेहतर सामने आएं। यानि खाली पेट ब्लड शुगर स्तर को कम करने के लिए दोनों में से किसी भी इलाज पद्धति को जारी रखा जा सकता है, लेकिन खाना खाने के बाद के रक्तशर्करा स्तर को नियंत्रित करने के लिए हरिद्रा चूर्ण व पिपली चूर्ण का मिश्रण सर्वश्रेष्ठ है।

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क्या है टाइप-2 मधुमेह

मधुमेह के सबसे आम रूप काे टाइप-2 मधुमेह कहा जाता है। टाइप-2 मधुमेह में शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता या फिर वह इंसुलिन का प्रतिरोध करता है। टाइप-2 मधुमेह में होने वाले लक्षण खून में शुगर की मात्रा पर निर्भर करता है। अत्यधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, सुस्ती, थकान, नींद आना, धुंधला दिखना, अधिक भूख लगना, तेजी से वजन कम होना इसके प्रमुख लक्षण है। टाइप-2 मधुमेह को ठीक करना संभव नहीं है, पर इसको नियंत्रित किया जा सकता है। सही आहार, व्यायाम, दवा और इंसुलिन थेरेपी की मदद से ब्लड शुगर स्तर नियंत्रित किया जा सकता है।

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