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Coronavirus Kisan Andolan प्रदर्शनकारियों के रास्ता रोककर बैठे होने से ऑक्सीजन टैंकर या तो गांव की संकरी गलियों में फंस कर खड़े हो जा रहे हैं या फिर उन्हें कई किलोमीटर दूर तक घूमकर अस्पताल तक जाना पड़ रहा है। इसका नतीजा कोरोना मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
नई दिल्ली/सोनीपत/गाजियाबाद [सोनू राणा]। Coronavirus, Kisan Andolan: एक ओर जहां दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण के रोजाना लाखों मामले सामने आ रहे हैं, वहीं दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर पर बैठे किसान प्रदर्शनकारी महामारी के खिलाफ जंग में अड़ंगा लगाने में जुटे हुए हैं। प्रदर्शनकारी न तो कोरोना की जांच करवा रहे हैं और न ही कोरोना का टीका लगवाने को तैयार है। इस बीच अब तो महामारी के दौर में सिंघु, टीकरी व गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारी ऑक्सीजन टैंकरों के रास्ते में बाधा डाल रहे हैं, जिसके चलते कोरोना मरीजों की जान को भी खतरा उत्पन्न होने लगा है।
किसानों के प्रदर्शन से दिल्ली में देरी से पहुंच रही ऑक्सीजन
रास्ता बंद होने से दिल्ली समेत कई राज्यों के अस्पतालों तक ऑक्सीजन सप्लाई पहुंचने में देरी हो रही है। प्रदर्शनकारियों के रास्ता रोककर बैठे होने की वजह से ऑक्सीजन टैंकर या तो गांव की संकरी गलियों में फंस कर खड़े हो जा रहे हैं या फिर उन्हें कई किलोमीटर दूर तक घूमकर अस्पताल तक जाना पड़ रहा है। इसका नतीजा कोरोना मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
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दिल्ली भाजपा अध्यक्ष की अपील, किसान स्थगित करें आंदोलन
वहीं, इस पूरे मुद्दे पर दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता (Delhi BJP state president Adesh Gupta) ने कहा कि दिल्ली के बॉर्डर पर रास्ता बाधित होने से ऑक्सीजन सप्लाई में बाधा आ रही है। ऐसे में प्रदर्शनकारियों को मानवता के नाते ऑक्सीजन के टैंकर को रास्ता देना चाहिए। इस समय दिल्ली के लोगों की जान बचाना जरूरी है ना कि आंदोलन। इसलिए आंदोलन स्थगित कर ऑक्सीजन के टैंकर को रास्ता देना चाहिए।
दरअसल, बुधवार को हरियाणा से दिल्ली आ रहे ऑक्सीजन टैंकर को प्रदर्शनकारियों के हाईवे पर बैठे होने से हरियाणा के कुंडली गांव की संकरी गलियों के रास्ते से आना पड़ा। ये रास्ते इतने बड़े टैंकरों का दबाव सहने लायक नहीं हैं। नतीजतन टैंकर 45 मिनट तक गांव में ही फंसा खड़ा रहा। बाद में दिल्ली व हरियाणा पुलिस ने मिलकर टैंकर को बाहर निकलवाया। टैंकर के समय पर अस्पताल न पहुंचने की वजह से अस्पताल में दाखिल सैकड़ों कोरोना संक्रमितों की जान दाव पर लग गई थी। अगर पुलिस टैंकर को न निकालती तो बड़ी घटना घट सकती थी। उधर, प्रदर्शनकारी उल्टा पुलिस पर रास्ता बंद करने के आरोप लगा रहे हैं।
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