जानिए कैसे जेल में कैदी बना लेते हैं हथियार, अब तो चाकूबाजी की घटनाएं भी हुईं आम
जेल सूत्रों के अनुसार कई बार जेल प्रशासन के अधिकारी यह कहते हैं कि बैरक में कैदी किसी भी वस्तु को धारदार बनाकर हथियार का रूप दे देते हैं। ऐसा है तो इस काम में थोड़ा वक्त अवश्य लगता होगा।
नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्र]। देश के सबसे बड़े तिहाड़ जेल परिसर में कैदियों के बीच झड़प के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। सूत्रों की मानें तो आए दिन जिस प्रकार से झड़प के मामले सामने आ रहे हैं, उनके पीछे एक बड़ी वजह जेलकर्मियों द्वारा डयूटी के दौरान की जाने वाली लापरवाही व क्षमता के मुकाबले जेल में कैदियों की संख्या का बढ़ रहा दबाव है।
शनिवार को जेल संख्या एक में कैदियों के दो गुटों के बीच झड़प में ब्लेड का इस्तेमाल हुआ। सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर कैदियों के पास ब्लेड कहां से पहुंच रहा है। जेल परिसर में कई स्तरों पर कैदियों की तलाशी की प्रक्रिया होती है। जेल परिसर से बाहर जाना हो या प्रवेश करना हो, तलाशी की प्रक्रिया से गुजरना ही होता है।
इसके अलावा परिसर के अंदर वार्ड या बैरक में भी समय-समय पर जेलकर्मियों द्वारा तलाशी ली जाती है। इसके अलावा जगह-जगह लगे सीसीटीवी कैमरे से भी कैदियों पर नजर रखी जाती है। निगरानी की इतनी सशक्त व्यवस्था के बीच यदि कैदियों के पास ब्लेड या फिर कोई भी धारदार हथियार यदि पहुंच रहा है तो इसमें कहीं न कहीं जेलकर्मियों द्वारा डयूटी के दौरान लापरवाही बरती ही जा रही होगी।
जेल सूत्रों के अनुसार कई बार जेल प्रशासन के अधिकारी यह कहते हैं कि बैरक में कैदी किसी भी वस्तु को धारदार बनाकर हथियार का रूप दे देते हैं। ऐसा है तो इस काम में थोड़ा वक्त अवश्य लगता होगा। अमूमन सप्ताह में दो से तीन बार जेलकर्मी बैरक की तलाशी हर हाल में लेते हैं। सूत्रों का कहना है कि लापरवाही इसी स्तर पर होती है। तलाशी के दौरान कई चीजों की अनदेखी की जाती है। कई बार कैदियों को चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। कई बार तलाशी के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है। तलाशी का कार्य सही तरीके से हो तो कैदियों के पास कोई भी आपत्तिजनक वस्तु की पहुंच नामुमकिन होगी। अब तो जेल परिसर में तीसरी आंख का भी पहरा है। लेकिन तीसरी आंख की सहूलियत का भी जेलकर्मी फायदा नहीं उठा पा रहे हैं।
कैदी को कहां रखा जाए, इसकी नहीं होती चर्चा
जेल में किसी कैदी को रखने से पहले तीन बातों पर गौर किया जाता है। पहला कि जिस जेल में कैदी को रखा जाएगा क्या उसके विरोधी गुट का कोई कैदी पहले से वहां है। विरोधी गुट का कैदी हो तो उसे उस जेल में नहीं रखा जाता है। दूसरा कि क्या कैदी हिंसक प्रवृत्ति का है। ऐसा है तो कुछ दिनों तक उसकी गतिविधियों पर जेल प्रशासन की कड़ी नजर रहती है। तीसरा कि क्या कैदी आदतन झगड़ालू है। ऐसा है तो उस पर भी जेल प्रशासन की पैनी नजर होती है।