2012 Nirbhaya Case: चारों दोषियों को फांसी देने में लग सकते हैं छह घंटे, जानें पूरी प्रक्रिया

2012 Delhi Nirbhaya case दोषियों को फांसी देने के लिए कोर्ट ने 22 जनवरी का दिन तय किया है। फांसी की प्रक्रिया पूरी होने में करीब छह घंटे लगेंगे।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 08:54 PM (IST) Updated:Tue, 07 Jan 2020 05:46 PM (IST)
2012 Nirbhaya Case: चारों दोषियों को फांसी देने में लग सकते हैं छह घंटे, जानें पूरी प्रक्रिया
2012 Nirbhaya Case: चारों दोषियों को फांसी देने में लग सकते हैं छह घंटे, जानें पूरी प्रक्रिया

नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्रा]। 2012 Delhi Nirbhaya case:  दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया के दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी किया है। दोषियों को फांसी देने के लिए कोर्ट ने 22 जनवरी का दिन तय किया है। फांसी से बचने के लिए निर्भया के दोषियों के पास क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प मौजूद है।

जेल सूत्रों के अनुसार, दोषियों के लिए डेथ वारंट जारी होने के बाद फांसी की प्रक्रिया पूरी होने में करीब छह घंटे लगेंगे। यह पहला मौका होगा, जब तिहाड़ जेल संख्या-3 में बना फांसी घर इतनी देर के लिए खुला रहेगा। इस दौरान जेल संख्या तीन बंद रहेगा।

फांसी देने की ये है प्रक्रिया

जेल सूत्रों के अनुसार किसी दोषी को जिस दिन फांसी दी जाती है, उसे सुबह पांच बजे उठा दिया जाता है। नहाने के बाद उसको फांसी घर के सामने खुले अहाते में लाया जाता है। यहां जेल अधीक्षक, उप अधीक्षक, मेडिकल ऑफिसर, सबडिविजनल मजिस्ट्रेट व सुरक्षा कर्मचारी मौजूद रहते हैं। मजिस्ट्रेट दोषी से उसकी आखिरी इच्छा पूछते हैं। इस दौरान आमतौर पर संपत्ति किसी के नाम करने या किसी के नाम पत्र लिखने की बात सामने आती रही है। करीब 15 मिनट का वक्त दोषी के पास रहता है।

इसके बाद जल्लाद दोषी को काले कपड़े पहनाता है। उसके हाथ को पीछे कर रस्सी या हथकड़ी से बांध दिया जाता है। यहां से करीब सौ कदम की दूरी पर बने फांसी घर पर कैदी को ले जाने की प्रक्रिया शुरू होती है। वहां पहुंचने के बाद दोषी कैदी को छत पर ले जाया जाता है। वहां जल्लाद उसके मुंह पर काले रंग का कपड़ा बांधकर गले में फंदा डालता है। इसके बाद दोषी के पैरों को रस्सी से बांध दिया जाता है। जब जल्लाद अपने इंतजाम से संतुष्ट हो जाता है, तब वह जेल अधीक्षक को आवाज देकर बताता है कि उसके इंतजाम पूरे हो चुके हैं। आगे के लिए आदेश दें।

मेडिकल आफिसर जारी करता है मृत्यु प्रमाणपत्र 

जब जेल अधीक्षक हाथ हिलाकर इशारा करते हैं, जल्लाद लीवर खींच देता है। एक ही झटके में दोषी फंदे पर झूल जाता है। इसके दो घंटे बाद मेडिकल आफिसर फांसी घर के अंदर जाकर यह सुनिश्चित करते हैं कि फंदे पर झूल रहे शख्स की मौत हुई है या नहीं। आखिर में मेडिकल आफिसर मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करता है। कैदी को मजिस्ट्रेट के सामने लाने और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी होने तक की प्रक्रिया में करीब तीन घंटे का वक्त लग जाता है।

एक बार में दो को ही दी जा सकती है फांसी

तिहाड़ जेल संख्या तीन में जो फांसी घर बना है, उसमें एक बार में अधिकतम दो दोषियों को फंदे पर लटकाने का प्रावधान है। यदि निर्भया के दोषियों को फांसी दी जाएगी तो यह कार्य दो अलग-अलग चरणों में ही हो सकता है। इस तरह से चार दोषियों को फांसी देने की पूरी प्रक्रिया में करीब छह घंटे लग जाएंगे।

फांसी के दौरान जेल रहता है बंद

फांसी के दौरान जेल में आवाजाही बंद कर दी जाती है। कैदियों को उनकी बैरक या सेल में बंद कर दिया जाता है। सभी जगहों पर सुरक्षा कड़ी कर दी जाती है। जेल का मुख्य दरवाजा इस दौरान बंद रहता है।

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