Yamuna Pollution: मुखर सवाल और मौन जवाब, योजनाओं में खूब होती है यमुना की सफाई

यमुना के मैला आंचल की दास्तां..एक तरफ विकास की गंगा में यमुना पुल के ऊपर से गुजरती मेट्रो तो दूसरी तरफ नीचे यमुना अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। हर साल यमुना की सफाई पर करोड़ों रूपया इसी गाद में बह जाता है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 07 Jul 2021 01:04 PM (IST) Updated:Wed, 07 Jul 2021 01:04 PM (IST)
Yamuna Pollution:  मुखर सवाल और मौन जवाब, योजनाओं में खूब होती है यमुना की सफाई
हर साल यमुना की सफाई पर करोड़ों रूपया इसी गाद में बह जाता है।

नई दिल्ली। नदी केवल नदी नहीं है। संस्कृति है। उसका इतिहास उस शहर से भी पुराना होता है। शहर का जीवन.. उस नदी के किनारों से जुड़ा रहता है। दिल्ली का जीवन भी तो कभी यमुना से जुड़ा था, कभी दिल्ली यमुना की बदौलत ही तो बसी थी। आज भले जलीय जीव जंतु इसमें जी नहीं पाते। हम इसमें आचमन कर नहीं पाते। पानी की मिठास ले नहीं पाते। प्रदूषण के कारण इसमें सब्जी जहरीली हो रही है। आज मछलियों की प्रजाति खत्म हो गईं। पशुपालन विभाग ने मछली पकड़ने पर प्रतिबंध तक लगा दिया। लेकिन, एक वक्त था जब राजधानी के रूप में दिल्ली को यमुना के आकर्षक स्वरूप और पेयजल के लिए मीठे पानी की उपलब्धता के कारण चुना गया था। जी हां, जो यमुना आज काले नाले में तब्दील हुई नजर आती है, कभी उसकी शीतलता में मिठास थी।

यमुना ने एक शहर के रूप में राजधानी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लगभग सभी ऐतिहासिक विवरणों में यमुना की सुंदरता का वर्णन मिलता है, पर आज का इतिहास भी तो वक्त अपनी किताब में दर्ज कर रहा है जो मैला आंचल सी इस यमुना को लिए मुखर सवालों के साथ हर किसी के समक्ष मौन जवाबों की भांति खड़ा है। सुंदर और मीठी यमुना के ऐतिहासिक पन्नों में काली यमुना का अध्याय जुड़ रहा है।

आखिर क्यों यमुना की सफाई के नाम पर करोड़ों की धनराशि सिर्फ कागजों में खर्च होती गई? क्यों यमुना को जीवित करने को राजनीतिक इच्छाशक्ति प्रबल नहीं हो सकी? आखिर क्यों हम जागरूक नहीं हो सके?

नोट: यमुना के पानी में गुणवत्ता का यह आंकड़ा 30 जून की स्थिति पर आधारित है। योजनाओं में यमुना की सफाई खूब होती आई है। लेकिन, इसकी हकीकत क्या है, यह कालिंदी (यमुना) की कालिमा खुद बताती है। सालों से सफाई अभियान की रफ्तार ऐसी है कि आज भी तमाम नालों से सीवरेज वहीं गिरता है। इससे दुखद एक नदी की व्यथा क्या हो सकती है।

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