Kisan Andolan: राकेश टिकैत नहीं, ये 5 किसान नेता करेंगे केंद्र से बातचीत, जानिए इनके बारे में पूरी डिटेल्स

केंद्र सरकार से वार्ता के लिए पांच किसान नेताओं के नाम तय करना संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल किसान संगठनों के लिए आसान नहीं था। मोर्चा की इस बड़ी बैठक की अध्यक्षता भी किसी एक नेता नहीं बल्कि पांच नेताओं ने संयुक्त रूप से की थी।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 02:54 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 03:48 PM (IST)
Kisan Andolan: राकेश टिकैत नहीं, ये 5 किसान नेता करेंगे केंद्र से बातचीत, जानिए इनके बारे में पूरी डिटेल्स
जानिए उन पांच किसान नेताओं के बारे में, जो MSP समेत अन्य मांगों को लेकर करेंगे केंद्र से बातचीत

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। केंद्र सरकार से वार्ता के लिए पांच किसान नेताओं के नाम तय करना संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल किसान संगठनों के लिए आसान नहीं था। इसके बावजूद मोर्चा ने पांचों नाम की घोषणा सर्वसम्मति से की है। मोर्चा की इस बड़ी बैठक की अध्यक्षता भी किसी एक नेता नहीं बल्कि पांच नेताओं ने संयुक्त रूप से की थी। इनमें शिव कुमार शर्मा कक्का जी, डा. अशोक धावले, बलबीर सिंह राजेवाल, युद्धवीर सिंह और जोगिंद्र सिंह उगराहा शामिल हैं।  इस बैठक में शामिल रहने वाले बताते हैं कि पांच नेताओं के नाम तय करने की राह तब आसान हो गई जब राकेश टिकैत ने अपने संगठन की तरफ से युद्धवीर सिंह का नाम दिया।

इसके साथ ही योगेंद्र यादव ने पहले की तरह केंद्र से वार्ता करने वाली कमेटी में से अपना नाम वापस ले लिया। योगेंद्र यादव ने यह भी सुझाव दिया कि इस कमेटी में जो पांच लोग हों, उनके चयन में देश के सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। हरियाणा से उनकी बजाय गुरनाम सिंह चढूनी को लिया गया। वाम दलों से भी एक नेता का प्रतिनिधित्व करना था, इसलिए डा. अशोक धावले का नाम सामने आया। पंजाब से एक ही नेता शामिल किए जाने थे, इसलिए जगजीत सिंह दल्लेवाल और दर्शन पाल की जगह वरिष्ठता के क्रम में बलबीर सिंह राजेवाल को कमेटी में रखा गया। राष्ट्रीय किसान महासंघ के 180 किसान संगठनों ने आंदोलन में सक्रियता दिखाई तो इसकी तरफ से मध्यप्रदेश के किसान नेता शिव कुमार शर्मा कक्काजी को शामिल किया।

अशोक धावले

पेशे से डाक्टर रहे अशोक धावले अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष हैं। तीन कृषि कानूनों को रद किए जाने की मांग कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के अहम हिस्सा हैं। करीब तीन दशक से किसान हितों के लिए संघर्ष कर रहे अशोक धावले ने 2018 के नासिक से मुंबई के ऐतिहासिक किसान मार्च का नेतृत्व किया था।

इसमें 50 हजार किसानों ने सात दिन लगातार पैदल मार्च कर महाराष्ट्र सरकार से एमएस स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने की मांग की थी। आठ साल तक मेडिकल प्रेक्टिस करने के बाद 1983 में सीपीआइ (एम) से जुड़े धावले ने महाराष्ट्र के किसानों के लिए चार मुद्दों पर काम किया। इनमें जमीन अधिकार, ऋण माफी, न्यूनतम मजदूरी और पेंशन वृद्धि शामिल है।

युद्धवीर सिंह

मूलतया दिल्ली के महिपालपुर के रहने वाले युद्धवीर सिंह की पहचान पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से लेकर महेंद्र सिंह टिकैत के साथी के रूप में होती है। मौजूदा समय में वे राकेश टिकैत के साथ मिलकर आंदोलन में सक्रिय हैं। इससे पहले वे न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई रमेश चंद्रा कमेटी के सदस्य रहे हैं।

पोस्ट ग्रेजुएट युद्धवीर सिंह राष्ट्रीय लोकदल के महासचिव भी रह चुके हैं। उन्होंने किसानों की सबसे पहली लड़ाई दिल्ली के कंझावला से शुरू की और 1988 में बोट क्लब पर किसानों के ऐतिहासिक ट्रैक्टर मार्च कराने में अहम भूमिका निभाई। भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर भी उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी की थी।

शिव कुमार शर्मा कक्काजी

मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में किसान परिवार के शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्काजी छात्र राजनीति में ही शरद यादव के साथ जुड़ गए थे। मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के भी शुभचिंतक रहे कक्काजी किसानों के मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ खड़े हो गए। कानून स्नातक कक्काजी जेपी आंदोलन से लेकर आपातकाल में कई बार जेल जा चुके हैं। वे 2010 के भोपाल किसान आंदोलन से मंदसौर की किसान क्रांति के अगुवा भी रहे। बाद में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ समर्थित भारतीय किसान संघ से जुड़े रहे। कृषि कानूनों को रद करवाने को लेकर हालिया किसान आंदोलन में कक्काजी सRिय रहे।

बलबीर सिंह राजेवाल

पंजाब के किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने 30 साल पहले भारतीय किसान यूनियन छोड़कर अपना गुट बनाया था। भारतीय किसान यूनियन का संविधान लिखने की साख इनके साथ जुड़ी हुई है। राजेवाल की खेती, किसानी से जुड़े हर मामले पर गहरी पकड़ है। मौजूदा किसान आंदोलन का भी उन्हें थिंक टैंक माना जाता रहा है। 77 वर्षीय राजेवाल वरिष्ठता के क्रम में संयुक्त किसान मोर्चा की कोर कमेटी के सबसे अनुभवी नेता हैं।

गुरनाम सिंह चढूनी

गुरनाम सिंह चढूनी हरियाणा से भारतीय किसान यूनियन के चर्चित नेता हैं। जुलाई 2020 में जब तीन कृषि कानून के विरोध में हरियाणा के प्रदर्शनकारियों ने ट्रैक्टर मार्च निकाला तो इसका नेतृत्व चढूनी ने ही किया। चढूनी ने ट्रैक्टर मार्च के बाद कृषि कानूनों के खिलाफ कुरुक्षेत्र में रैली की। इसमें हुए पुलिस लाठचार्ज के बाद यह आंदोलन चर्चित हो गया था। इस साल करनाल में प्रदर्शनकारियों पर हुए लाठीचार्ज के मामले में एसडीएम आयुष सिन्हा का तबादला चढूनी के आंदोलन के बाद हुआ था। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से भी चढूनी गत दिवस चंडीगढ़ में किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने पर वार्ता कर चुके हैं।

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केंद्र से चर्चा के बाद एसकेएम की बड़ी बैठक में होगा अंतिम निर्णय

केंद्र सरकार से वार्ता करने वाली पांच सदस्यीय कमेटी में शामिल शिवकुमार शर्मा कक्काजी बताते हैं कि यह कमेटी सरकार से चर्चा के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की बड़ी बैठक में ही अंतिम निर्णय लेगी। यह बात कमेटी के संज्ञान में है। कमेटी अपने आप में सरकार के साथ वार्ता में अंतिम निर्णय नहीं देगी।

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