Sonu Punjaban: जानिए 19 साल पहले कैसे गीता से सोनू पंजाबन बन गई एक खूबसूरत लड़की
पुलिस के मुताबिक करीब 19 साल पहले देह व्यापार रैकेट के धंधे में आई सोनू पंजाबन का दिल्ली में दबदबा रहा है।
नई दिल्ली [लोकेश चौहान]। दिल्ली-एनसीआर की सबसे कुख्यात देह व्यापार रैकेट संचालिका गीता अरोड़ा उर्फ सोनू पंजाबन को 2017 में भी दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने गिरफ्तार किया था। उसकी गिरफ्तारी आधा दर्जन से अधिक बार हुई है। वर्ष 2009 में गीता कालोनी की ही रहने वाली 13 साल की किशोरी को सोनू देह व्यापार रैकेट के धंधे में ले आई थी।
कुछ समय तक तो वह खुद उससे देह व्यापार कराती रही फिर लखनऊ में उसे बेच दिया गया। वहां हवस का शिकार बनाने के बाद दलाल ने किशोरी को दिल्ली के तिलक नगर में अन्य दलाल को बेच दिया गया। उसने भी कुछ दिन बाद किशोरी को रोहतक में बेच दिया। बालिग होने के बाद पीडि़ता रोहतक से भागकर 2014 में दिल्ली आ गई। नजफगढ़ आकर उसने राहगीर से थाने के बारे जानकारी मांगी और वहां जाकर सोनू समेत अज्ञात लोगों के खिलाफ वैश्यावृत्ति कराने, मानव तस्करी आदि आधा दर्जन से अधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज करवा दिया था। मुकदमा दर्ज कराने के 10 दिन बाद पीड़िता लापता हो गई थी। जिससे केस बंद करना पड़ा था।
19 साल पहले देह व्यापार के धंधे में आयी थी सोनू
पुलिस के मुताबिक करीब 19 साल पहले देह व्यापार रैकेट के धंधे में आई सोनू पंजाबन का दिल्ली में दबदबा रहा है। सोनू वैसे तो गीता कालोनी की रहने वाली है, लेकिन सामाजिक बदनामी के कारण उसने गीता कॉलोनी छोड़ दी और दक्षिण दिल्ली के सैदुलाजाब में आलीशान फ्लैट खरीदकर वहीं रहना शुरू किया था। वहां से वह अपना कारोबार चला रही थी।
करीब 11 वर्ष पहले सोनू के प्रतिद्वंदी बाबा भीमानंद व नगमा खान के पकड़े जाने से दिल्ली में सोनू का ही दबदबा बरकरार रहा। पति के मारे जाने के बाद सोनू का परिचय दिल्ली-हरियाणा के कुख्यात बदमाश दीपक व उसके भाई हेमंत से हुआ। 2006 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल व गुरुग्राम पुलिस की संयुक्त टीम ने गुरुग्राम के पॉश इलाके में स्थित फ्लैट में छापा हेमंत व दीपक को मुठभेड़ में मार गिराया। उक्त घटना के बाद सोनू टूट गई थी। फिर उसकी दोस्ती अन्य कुख्यात बदमाशों से होती रही। बदमाश बंटी का हाथ थामने पर वह भी मारा गया।
जेल से भी चलाया था धंधा
सोनू पर शिकंजा कसने के लिए 2011 में महरौली पुलिस ने मकोका लगा तो दिया लेकिन सुबूत के अभाव में 2014 में वह बरी हो गई थी। हालांकि मकोका की वजह से वह तीन साल जेल में बंद रही थी। उस दौरान तिहाड़ जेल से बंद रहने के दौरान वह जेल से भी वह अपना धंधा चलाती रही। जेल में उसके पास से मोबाइल भी मिला था।
पहले भी किया था आत्महत्या का नाटक
जेल में बंद रहने के दौरान इस माह आत्महत्या का प्रयास करने वाली सोनू पंजाबन पूर्व में एक बार ऐसा ही नाटक कर चुकी है। मकोका के मामले में जब उसे गिरफ्तार किया गया था, तो नवंबर 2012 में सोनू ने जेल में नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या करने का नाटक भी किया था। उस दौरान भी उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के बाद उसे फिर से जेल भेजा गया था।