पढ़िए- इस खूंखार आतंकी के बारे में, 1984 के 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' से भी है इसका लिंक

गुरसेवक वर्तमान में पाकिस्तान में बैठे केसीएफ प्रमुख परमजीत सिंह पंजवाड़ के निर्देश पर अपने संगठन को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहा था।

By JP YadavEdited By: Publish:Wed, 13 Mar 2019 07:52 PM (IST) Updated:Thu, 14 Mar 2019 10:05 AM (IST)
पढ़िए- इस खूंखार आतंकी के बारे में, 1984 के 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' से भी है इसका लिंक
पढ़िए- इस खूंखार आतंकी के बारे में, 1984 के 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' से भी है इसका लिंक

नई दिल्ली, जेएनएन। खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के खूंखार आतंकी गुरसेवक उर्फ बबला की गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ कि वह पाकिस्तान में बैठे कई आतंकियों से लगातार संपर्क में था। बता दें कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गुरसेवक को दिल्ली के कश्मीरी गेट अंतरराज्यीय बस अड्डे (आइएसबीटी) से गिरफ्तार किया है। पटियाला हाउस कोर्ट ने दो मामलों में उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। उसे मंगलवार रात तब गिरफ्तार किया गया, जब वह किसी सदस्य से मिलने कश्मीरी गेट आइएसबीटी आया था।

ढाई दशक बिता चुका है जेल में

क्राइम ब्रांच के मुताबिक गुरसेवक (53) उर्फ बबला लुधियाना (पंजाब) के रायकोट का रहने वाला है। गुरसेवक 26 साल से ज्यादा समय जेल में बिता चुका है। वह आठवें दशक में जब पंजाब में आतंकवाद चरम पर था तब गुरसेवक 50 से ज्यादा आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा था। उसके खिलाफ पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पुलिसकर्मियों व मुखबिरों की हत्या, बैंक डकैती जैसे कई संगीन मामले दर्ज हैं।

जरनैल सिंह भडरावाला का दाहिना हाथ था गुरसेवक 

भिंडरावाला वर्ष 1984 में भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारा गया था। गुरसेवक वर्तमान में पाकिस्तान में बैठे केसीएफ प्रमुख परमजीत सिंह पंजवाड़ के निर्देश पर अपने संगठन को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहा था। जेल में बंद जगतार सिंह हवारा और अन्य आतंकियों के संपर्क में था।

पटियाला हाउस कोर्ट में चल रहे दो मामलों की सुनवाई के दौरान गुरसेवक अदालत में पेश नहीं हो रहा था। इस वजह से कोर्ट ने उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।

पुलिस पूछताछ में पता चला है कि गुरसेवक का बड़ा भाई स्वर्ण सिंह आठवें दशक में पंजाब में जरनैल सिंह भिंडरावाला के नेतृत्व वाले उग्रवादी समूह केसीएफ का सदस्य बना था। 1982 में गुरसेवक भी केसीएफ में शामिल हो गया। 1984 में जब जरनैल सिंह भिंडरावाला ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारा गया तो उसके समूह से जुड़े अधिकांश आतंकी पाकिस्तान भाग गए थे, जहां उन्हें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने प्रशिक्षण दिया। भिंडरावाला के बाद खूंखार आतंकी मनवीर सिंह चेहडू ने केसीएफ का जिम्मा संभाला। उसके साथ मिलकर गुरसेवक सक्रिय रूप से राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को अंजाम देता रहा।

साथियों के साथ मिलकर उसने पंजाब, दिल्ली और राजस्थान में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के कर्मियों, पुलिसकर्मियों और मुखबिरों की हत्याएं की। मई 1984 में गुरसेवक ने लभ सिंह, गुरिंदर सिंह और स्वर्णजीत सिंह के साथ मिलकर जालंधर में हिंद समाचार अखबार के समूह संपादक रमेश चंदर की हत्या कर दी थी। बाद में लुधियाना पुलिस ने मुठभेड़ के बाद गुरसेवक को गिरफ्तार कर लिया था। अन्य आतंकियों को ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद भारतीय सेना ने गिरफ्तार किया था।

गुरसेवक के संगीन अपराध वर्ष 1985 में गुरसेवक राजस्थान के भीलवाड़ा रेलवे स्टेशन पर पुलिस हिरासत से उस समय भाग गया था, जब उसे जयपुर कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया जा रहा था। 1986 में उसने साथियों के साथ मिलकर जालंधर के पीएपी कॉम्प्लेक्स में पंजाब के पूर्व डीजीपी जूलियो रिबेरियो के आवास पर हमला किया था। उसी वर्ष उसने साथियों के साथ मिलकर पंजाब पुलिस के 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की। गुरसेवक व उसके साथी पंजाब के एक पुलिस स्टेशन पर हमला बोल वहां से 16 राइफल, 6 कार्बाइन, कारतूस, दो रिवाल्वर, पुलिस की जीप और एक फिएट कार लेकर भाग गए थे और पंजाब में एक ही परिवार के सभी 9 सदस्यों की हत्या कर दी थी। इसके बाद उसे दबोचा गया और अधिकांश समय तक तिहाड़ जेल के हाई रिस्क वार्ड में वर्ष 2004 तक (लगभग 18 वर्ष) रहा। इस दौरान वह कई बार जमानत पर जेल से बाहर गया। गुरसेवक ने तिहाड़ जेल में बंद रहने के दौरान दिल्ली में एक बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से एके -47 और गोला-बारूद की तस्करी करने की साजिश रची थी, लेकिन दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसकी साजिश नाकाम कर दी थी।

वर्ष 1998 में आरडीएक्स बरामद किया

9 जुलाई 1998 को क्राइम ब्रांच ने पंजाबीबाग से गुरसेवक समेत दो आतंकियों को गिरफ्तार कर उनके पास से 18 किलोग्राम आरडीएक्स, एके -47, 100 कारतूस, 5 पत्रिका, दो पिस्टल, 10 फ्यूज, 8 हैंड ग्रेनेड, बैटरी, डेटोनेटर व 4 एबीसीडी टाइमर बरामद किए थे।

पहले भी हुई है गिरफ्तारी

2004 में जब गुरसेवक को पंजाब पुलिस तीस हजारी कोर्ट में पेश करने ले जा रही थी तो वह दोबारा पुलिस हिरासत से भाग गया था। बाद में लुधियाना पुलिस ने उसे पंजाब से गिरफ्तार कर लिया था। 2010 में जेल से बाहर आने के बाद वह डकैती के कई मामलों में शामिल रहा और लुधियाना पुलिस द्वारा वर्ष 2014, 2015 और 2016 में तीन बार गिरफ्तार किया गया। 2017 में उसे फिर से क्राइम ब्रांच ने दिल्ली से आ‌र्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था।

आठ पुलिसकर्मियों की हत्या
वर्ष 1986 में खालिस्तान कमांडो फोर्स के सरगना जरनल लाभ सिंह, गुरिंदर पाल सिंह और स्वर्णजीत सिंह को पुलिस हिरासत से मुक्त करवाने के लिए उसने अपने साथियों सहित पुलिस टीम पर हमला कर दिया था। इस हमले में उन्होंने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। यह वारदात उन्होंने जालंधर की अदालत परिसर में की थी।

पाकिस्तान के खुफिया संगठन ISI की मदद से बना संगठन
यहां पर बता दें कि वर्ष 1984 में भारतीय सेना ने जब आपरेशन ब्लू स्टार में भिंडरावाले को मार दिया तो उसके अधिकांश साथी पाकिस्तान भाग गए, जहां उन्हें इंटर सर्विसेस इंटेलिजेंस (आइएसआइ) ने संरक्षण दिया था। आइएसआइ की मदद से बाद में इन आतंकियों ने खालिस्तान कमांडो फोर्स, बब्बर खालसा और भिंडरावाले टाइगर फोर्स आदि संगठन बनाए। गुरसेवक सिंह कुख्यात आतंकी मनवीर सिंह छेदू के साथ मिलकर खालिस्तान कमांडो फोर्स का सदस्य बन गया था। इसके बाद वह राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहा। उसने दर्जनों ऐसे लोगों की हत्या की जिनके भारतीय सुरक्षा एजेंसी के मुखबिर होने का शक था। इसके अलावा पंजाब, दिल्ली और राजस्थान में उसने कई डकैती की वारदातों को अंजाम दिया।

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