National Sports Day 2021: सिरमन ने महिला कुश्ती में रूढ़िवादी सोच को तोड़ा, सलमान खान के साथ फिल्म में भी कर चुकी हैं काम
सिमरन के पिता राजेश अहलावत अपनी बेटी की सफलता की कहानी बताते हुए कहते हैं कि सिमरन ने हाल ही में जूनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल कर न सिर्फ अपने परिवार का सपना पूरा किया है।
नई दिल्ली [रीतिका मिश्र]। आज बेटियां हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं। चाहे कला का मंच हो या खेल का मैदान। बेटियों ने अपनी सफलता का झंडा लहरा कर समाज की रूढ़िवादी सोच को तोड़ा है। ये कहना है दिल्ली की रहने वाली 20 वर्षीय पहलवान सिमरन का। बुराड़ी स्थित गवर्नमेंट गल्र्स सीनियर सेकेंड्री स्कूल से साल 2017 में पासआउट हुई सिमरन महिला कुश्ती में कई अंतरराष्ट्रीय खेलों में देश का नाम रोशन कर चुकी हैं। उन्होंने मात्र 16 साल की उम्र में ही महिला कुश्ती के क्षेत्र में केवल मेहनत और लगन के दम पर यूथ ओलिंपिक गेम्स में सिल्वर पदक जीतकर अपनी सफलता की कहानी लिख दी थी।
कुश्ती के क्षेत्र में गीता-बबीता की तरह ही अखाड़े में दम दिखाने वाली सिमरन का ध्येय ओलिंपिक और वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक हासिल करना है।
वहीं, सिमरन के पिता राजेश अहलावत अपनी बेटी की सफलता की कहानी बताते हुए कहते हैं कि सिमरन ने हाल ही में जूनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल कर न सिर्फ अपने परिवार का सपना पूरा किया है, बल्कि यह सच कर दिखाया है कि बेटियां बेटों से कम नहीं होतीं।
पिता ने दिखाई महिला कुश्ती की राह
सिमरन के पिता भी पहलवान रह चुके हैं। बचपन से पिता को पहलवानी करते देख सिमरन का मन भी कुश्ती के प्रति लगने लगा। फिर क्या, खेलों के प्रति उनकी रुचि को देखते हुए पिता ने भी ठान लिया कि बेटी को कुश्ती में ही आगे बढ़ाना है। सिमरन बताती हैं कि पिता के दोस्त, रिश्तेदार पिता की इस इच्छा के खिलाफ थे।
वो कहते थे कि कुश्ती लड़कियों का खेल नहीं है। लेकिन, ये उनके पिता की ही जिद थी कि समाज के ताने सुनने के बाद भी उन्होंने कुश्ती में प्रशिक्षण दिलवाया। वहीं, सिमरन अपनी सफलता का श्रेय चंदगीराम अखाड़ा के संचालक जगदीश कालीरमन और साई (स्पोर्ट्स अथारिटी आफ इंडिया) के चीफ कोच सहदेव सिंह बालियान, कोच दीपक चहार और कोच विजय कुमार को देती हैं। वो कहती हैं कि उन्हें कुश्ती के दांव-पेंच सिखाने और इस क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए इन सभी ने ही हर कदम पर उनका सहयोग किया है।
सिमरन के पिता राजेश अहलावत ने कहा कि कुश्ती खेलने पर सिमरन का परिवार वालों में शुरुआत में बहुत विरोध किया। लेकिन, मैंने ठान लिया था कि अब बेटी को यही कराना है। कुश्ती में मुङो जो कुछ भी आता था, मैंने धीरे-धीरे सिमरन को सिखाया। लगभग 12 साल की उम्र में सिमरन ने कुश्ती करना शुरू किया और उसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
चंदगीराम अखाड़ा के संचालक जगदीश कालीरमन ने बताया कि सिमरन की मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि वो लगातार महिला कुश्ती के क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर रही हैं। टोक्यो आलिंपिक के ‘गोल्डन फिनिश’ के बाद अब भारत को 2024 पेरिस ओलिंपिक खेलों के लिए सिमरन जैसे सभी युवा खिलाड़ियों से उम्मीदें दिख रही हैं।
पुरस्कार रूस के उफा में 16 से 22 अगस्त तक आयोजित जूनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप मे कांस्य पदक साल 2017 में ग्रीस में आयोजित वर्ल्ड कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक साल 2018 में अर्जेंटिना में आयोजित यूथ ओलिंपिक में रजत पदक साल 2018 में उज्बेकिस्तान में आयोजित एशियन कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक साल 2018 में खेलो इंडिया स्कूल गेम्स में गोल्ड मेडल साल 2017 में थाईलैंड में आयोजित एशियन कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक
बालीवुड में भी कर चुकी हैं काम
सिमरन बताती हैं कि कुश्ती में जोर आजमाइश के दौरान उन्हें आमिर खान की फिल्म दंगल में रोल करने का मौका मिला था। लेकिन, तब उन्हें दस दिनों के लिए एशियाई चैंपियनशिप के लिए जाना पड़ा और वह ये फिल्म नहीं कर पाईं। इसके बाद उन्हें साल 2016 में सलमान खान के साथ फिल्म सुल्तान में काम करने का मौका मिला।