Kisan Andolan: दिल्ली और हरियाणा के गांवों के ग्रामीण बोले, अब बहुत हुआ किसान खाली करें जीटी रोड की एक लेन
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए दिल्ली की सीमा पर बीते छह माह से किसानों का धरना प्रदर्शन चल रहा है। इन धरना स्थलों के आसपास के गांवों के किसान भी परेशान हो चुके हैं उनको तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
दिल्ली, सोनीपत, जागरण संवाददाता। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए दिल्ली की सीमा पर बीते छह माह से किसानों का धरना प्रदर्शन चल रहा है। इन धरना स्थलों के आसपास के गांवों के किसान भी परेशान हो चुके हैं, उनको तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से अब गांव के लोग चाहते हैं कि धरने पर बैठे किसान उनके आने जाने के रास्तों को सुलभ करें। वो एक रास्ते पर अपना धरना जारी रखें और एक हिस्से की सड़क को खाली कर दें जिससे उनका आवागमन आसान हो सके। इसी बात को लेकर रविवार को जीटी रोड के एक हिस्से को खाली कराने को लेकर गांव सेरसा में महापंचायत का आयोजन किया गया। इसमें दिल्ली केे 12 व हरियाणा के 17 गांव के लोग हुए।
इस पंचायत में हिंसा के विरोध में और जीटी रोड का एक लेन खोलने की मांग को प्रमुखता से रखा गया। पंचायत में आंदोलन के कारण हो रहे नुकसान के मुआवजे की भी मांग ग्रामीणों ने की। ग्रामीणों का कहना है कि जीटी रोड को एक तरफ खोला जाए। बच्चों की पढ़ाई बाधित है, रोड बंद होने से काम-धंधे चौपट हो रहे हैं। इसके अलावा आंदोलन में शरारती तत्व आ गए हैं।
आंदोलन के कारण सोनीपत जिला 10 साल पीछे चला गया। मकान-दुकान सब खाली हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हम आंदोलनकारी या सरकार का विरोध नहीं कर रहे हैं। समाधान नहीं निकलता है तो ठोस रास्ता निकालेंगे। हो सकता है हम भी कोई बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे।हमारे मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। क्षेत्र के गांव को बंधक बना लिया गया है। विपक्षी उन्हें उकसा रहे हैं, उन्हें फंडिंग मिल रही है। सरकार और सुप्रीम कोर्ट भी हमारे ऊपर ध्यान नहीं दे रही है।
महापंचायत ने दिया 10 दिन का अल्टीमेटम। प्रतिनिधमंडल केंद्र व राज्य सरकार के नुमाइंदों से मिलकर रास्ता खोलने की मांग करेगा। ग्रामीणों का कहना है कि वो संयुक्त किसान मोर्चा से भी अपील कर रहे हैं, सात माह तक यहां के ग्रामीणों ने भाईचारे के साथ आंदोलन का साथ दिया, अब उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे भी भाईचारे का परिचय दें और एक तरफ का रास्ता खोलने के लिए आगे आएं। आंदोलन में हिंसा न हो और गांव व ग्रामीणों को परेशान न किया जाए।