Kisan Andolan: 26 अक्टूबर को होने वाली किसान महापंचायत की गई स्थगित, अब 22 नवंबर को

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से ये निर्णय लिया गया है। इसी के साथ ये भी बताया गया है कि लखनऊ में भी महापंचायत होगी। कृषि कानून के विरोध प्रदर्शन के 11 महीने पूरे होने पर 26 अक्टूबर को दिल्ली की सीमाओं पर इसका आयोजन किया गया था।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 06:29 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 06:29 PM (IST)
Kisan Andolan: 26 अक्टूबर को होने वाली किसान महापंचायत की गई स्थगित, अब 22 नवंबर को
26 अक्टूबर को होने वाली किसान महापंचायत स्थगित, अब 22 नवंबर को होगी।

सोनीपत, जागरण संवाददाता। अखिल भारतीय किसान यूनियन की 26 अक्टूबर को प्रस्तावित किसान महापंचायत फिलहाल स्थगित कर दी गई है। अब ये अगले माह 22 नवंबर को होगी। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से ये निर्णय लिया गया है। इसी के साथ ये भी बताया गया है कि लखनऊ में भी महापंचायत होगी। मालूम हो कि कृषि कानून के विरोध प्रदर्शन के 11 महीने पूरे होने पर 26 अक्टूबर को दिल्ली की सीमाओं पर इसका आयोजन किया गया था। इसी के साथ किसान संगठन कुंडली बार्डर पर हुई हत्या की जांच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से कराने की मांग दोहराई गई।

मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल, डा. दर्शनपाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार कक्का जी, युद्धवीर सिंह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जगह-जगह से शहीद कलश यात्राएं निकल रही हैं और केंद्र सरकार की मंत्रिपरिषद से अजय मिश्रा की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग जोर पकड़ रही है। मोर्चा की नौ सदस्यीय समन्वय समिति में शामिल योगेंद्र यादव के निलंबन को लेकर मोर्चा के नेताओं ने कहा कि यह निर्णय आंदोलन से जुड़े लोगों की आहत भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

वे लखीमपुर खीरी हत्याकांड में मृतक भाजपा कार्यकर्ता के परिवार से मिलने गये थे। इसके अलावा मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि जसबीर सिंह विर्क के नेतृत्व वाला भारतीय सिख संगठन संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा न था, न है, और न ही होगा। मोर्चा के नेताओं ने कहा कि कुंडली बार्डर पर 15 अक्टूबर को निहंगों के एक समूह द्वारा मारे गए लखबीर सिंह का एक ताजा वीडियो सामने आया है। इसमें लखबीर सिंह को किसी से 30 हजार रुपये मिलने की बात कही जा रही है जो प्रदर्शन को पटरी से उतारने के लिए दिये गये थे। मोर्चा इस पूरे मामले की जांच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से कराने की अपनी मांग पर कायम है, ताकि हिंसक घटनाओं के पीछे की सच्चाई सबके सामने आ सके।

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