बेटे का अपहरण कारोबारी को दे गया बड़ा सबक, आंख मूंदकर विश्वास करना पड़ा भारी

घरेलू सहायक का पुलिस सत्यापन न कराना कारोबारी रोहित को बड़ा सबक दे गया। इसके साथ सात दिन पहले नौकरी पर रखे गए आरोपित पर विश्वास कर अपने बेटे को साथ जाने देना परिवार को बड़ी मुश्किल में डाल गया।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 07:07 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 08:08 AM (IST)
बेटे का अपहरण कारोबारी को दे गया बड़ा सबक, आंख मूंदकर विश्वास करना पड़ा भारी
अपहरण करने वाले घरेलू सहायक का नहीं हुआ था पुलिस सत्यापन

नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। घरेलू सहायक का पुलिस सत्यापन न कराना कारोबारी रोहित को बड़ा सबक दे गया। इसके साथ सात दिन पहले नौकरी पर रखे गए आरोपित पर विश्वास कर अपने बेटे को साथ जाने देना परिवार को बड़ी मुश्किल में डाल गया। गनीमत रही कि इस मामले में पुलिस की तत्परता से मासूम सकुशल मिल गया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सत्यापन कराना हर किसी के लिए अनिवार्य है। इसमें देरी नहीं करनी चाहिए।

आरोपित मोनू के नौकरी के शुरुआती दिन से ही इरादे सही नहीं थे, मुंबई में एक करोड़ रुपये का फ्लैट खरीदने की चाहत को पूरा करने के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार था। उसने कम दिनों में बच्चे के साथ ही परिवार का भरोसा जीत लिया और परिवार ने भी आंख मूंदकर उसपर विश्वास कर लिया। आरोपित ने उसी का फायदा उठाकर बच्चे का अपहरण किया। रोहित ने पुलिस को बताया कि उनकी एक महिला जानकार रूबी ने मोनू को उनसे मिलवाया था, उसे नौकरी की जरूरत थी। इसलिए उन्होंने घरेलू सहायक के तौर पर उसे रख लिया। उन्हें लगा महिला जानकार के जरिये मोनू को नौकरी पर रख रहे हैं तो वह भरोसेमंद होगा, यही सोचते हुए उन्होंने उसका पुलिस सत्यापन भी नहीं करवाया।

पैसा देखकर बिगड़ी नीयत

पुलिस को जांच में पता चला कि आरोपित कई वर्ष पहले मुंबई में डेकोरेटर का काम करता था। बाद में वह उत्तर-पूर्वी दिल्ली स्थित बाबरपुर में अपने चाचा के घर पर आकर रहने लगा। इसी दौरान रोहित के यहां काम करने लगा। आरोपित ने देखा कि कारोबारी के पास बहुत पैसा है। इसके बाद वह परिवार के सदस्यों की हर गतिविधि पर नजर रखने लगा। बच्चा उसे चाचा कहकर बुलाने लगा। मौका मिलते ही आरोपित ने वारदात को अंजाम दे दिया। पुलिस को जांच में पता चला है कि उस पर पहले से कोई केस दर्ज नहीं है।

 सत्यापन न करवाना कानूनी जुर्म

जिला पुलिस उपायुक्त आर सत्यसुुंदरम का कहना है कि यह सबक सभी के लिए है। किसी को भी नौकरी या किराये पर रखने से पहले पुलिस सत्यापन जरूर करवाएं। सत्यापन होने पर पुलिस को आरोपित तक पहुंचने में आसानी होती है। सत्यापन न करवाना कानूनी जुर्म भी है।

पुलिस का किया धन्यवाद

बच्चे के सकुशल बरामद होने पर परिवार ने दिल्ली पुलिस का धन्यवाद किया। परिवार ने कहा कि उनके पास फिरौती की इतनी बड़ी रकम नहीं थी, रकम न देने पर आरोपित उनके बच्चे को मार सकता था।

छह वर्ष पहले अपहृत मासूम की हुई थी हत्या

करीब छह वर्ष पहले भी गांधी नगर थाना क्षेत्र में एक ज्वेलर के करीब छह वर्षीय बच्चे का अपहरण हुआ था। अपहरण उसके पिता के एक जानकार ने किया था। उस समय बच्चा अपने स्कूल से घर लौट रहा था। पुलिस आरोपित तक पहुंच पाती उससे पहले ही आरोपित ने पकड़े जाने के डर से अपने साथियों के साथ मिलकर बच्चे की हत्या कर शव को रानी गार्डन में फेंक दिया था।

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