‘सहेज लो, हर बूंद’ अभियान: हर बूंद बचाने के लिए लोगों को जागरूक करती हैं ज्योति शर्मा

दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की पढ़ाई के बाद आइआइएम बेंगलुरु से एमबीए करने वाली ज्योति चाहतीं तो एक अच्छी नौकरी कर रही होतीं। लेकिन उन्होंने काफी पहले ही समाज व प्रकृति की सेवा का भाव मन में संजो लिया था।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 01:14 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 01:14 PM (IST)
‘सहेज लो, हर बूंद’ अभियान: हर बूंद बचाने के लिए लोगों को जागरूक करती हैं ज्योति शर्मा
ज्योति शर्मा लोगों को पानी बचाने की शपथ दिलाती है।

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। दक्षिणी दिल्ली के बसंत कुंज की रहने वाली ज्योति शर्मा पानी की हर बूंद बचाने पर जोर देती है। इसके लिए वह राष्ट्रीय राजधानी के कंक्रीट के जंगलों से लेकर हरियाणा के खेतों तक का सफर तय करती हैं और वहां के लोगों को जल संरक्षण के मायने समझा रही हैं। उनके प्रयासों का असर भी दिखने लगा है। लोगों के जीवन में पानी बचाने को लेकर गंभीरता आई है। दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की पढ़ाई के बाद आइआइएम बेंगलुरु से एमबीए करने वाली ज्योति चाहतीं तो एक अच्छी नौकरी कर रही होतीं। लेकिन, उन्होंने काफी पहले ही समाज व प्रकृति की सेवा का भाव मन में संजो लिया था।

इस बीच उनके हाथ एक रिपोर्ट लगी, जो जल संकट से भविष्य की भयावह तस्वीर पेश कर रही थी। वह कहती हैं कि जल जीवन के साथ हर समस्याओं और विवादों से जुड़ा हुआ है। इसलिए उन्होंने खुद से बदलाव लाने का प्रयास शुरू करने का संकल्प लिया।

उन्होंने वर्ष 2004 में फोर्स नाम की संस्था गठित की। वह कहती हैं कि उन्होंने एक कार्यकर्ता के तौर पर जल संरक्षण की दिशा में काम शुरू किया। बदलाव लाने के लिए पांच सिद्धांत तय किए, इसमें पानी की बर्बादी को कम करना, इस्तेमाल किए गए पानी का पुन: प्रयोग, वर्षा जल संचयन, खराब पानी को साफ कर फिर से प्रयोग में लाना और पानी को गुरु मानना है। वह धर्म के जरिये जल से जीवन को जोड़ रही है।

जल को गुरु मानकर कुंआ, तालाब व नदी किनारे दीपक जलाने की प्रथा काफी पुरानी है। इस पूरे जागरूकता अभियान में वह सेमिनार, प्रशिक्षण के साथ वाटर रेटिंग भी देती है। उन्हें आकर्षक उपहारों से पुरस्कृत भी करती हैं। लोगों को पानी बचाने की शपथ दिलाती है। जिसका असर बदलाव के रूप में दिख रहा है।

chat bot
आपका साथी