दिल्ली HC में आम आदमी पार्टी सरकार का अजीब-ओ-गरीब जवाब, सुनकर जज साहब भी चौंके

ओबीसी प्रमाण पत्र को रद करने के आदेश को चुनौती देने वाली एक छात्रा अंजली की याचिका ने दस्तावेजों के रखरखाव की दिल्ली सरकार की पूरी व्यवस्था को पोल खोल कर दी है। इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी भी की है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 11:20 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 11:20 AM (IST)
दिल्ली HC में आम आदमी पार्टी सरकार का अजीब-ओ-गरीब जवाब, सुनकर जज साहब भी चौंके
दिल्ली HC में आम आदमी पार्टी सरकार का अजीब-ओ-गरीब जवाब, सुनकर जज साहब भी चौंके

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। ओबीसी प्रमाण पत्र को रद करने के आदेश को चुनौती देने वाली एक छात्रा अंजली की याचिका ने दस्तावेजों के रखरखाव की दिल्ली सरकार की पूरी व्यवस्था को पोल खोल कर दी है। न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले से पता चला कि दस्तावेजों का रखरखाव कुशल व सुरक्षित तरीके से नहीं किया जाता है। पीठ ने कहा कि यह आश्चर्यजनक तथ्य है कि दिल्ली सरकार ने हलफनामा दाखिल करके कहा है कि संबंधित रिकार्ड कीपर की मौत होने के कारण वह दस्तावेज का पता लगाने में असमर्थ है। पीठ ने कहा कि यह गंभीर प्रणालीगत विफलताओं की नजीर है और इस पर उच्चतम प्रशासनिक स्तर पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

पीठ ने उक्त टिप्पणियों के साथ ही अंजली के ओबीसी प्रमाण पत्र के खिलाफ शिकायत करने वाली छात्रा तान्या व उनके पिता के मामले की मुख्य सचिव को जांच करने का आदेश दिया। पीठ ने कहा कि अगर जरूरत हो तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अंजली को प्रमाण पत्र वर्ष 2014 में जारी किया गया था। इसके खिलाफ वर्ष 2019 में इसकी वैधता को चुनौती देते हुए शिकायत दी गई थी। पीठ ने कहा िकि दिल्ली सरकार रिकार्ड का पता नहीं लगा पा रही है और सिर्फ एक आरोप पर अंजली का ओबीसी प्रमाण पत्र निरस्त करने का कोई आधार नहीं है। अधिकारियों ने रिकार्ड पेश करने की जिम्मेदारी अंजली पर डाल दी। उक्त टिप्पणी करते हुए पीठ ने अंजली का प्रमाण पत्र रद करने के एसडीएम के आदेश को रद करते हुए दिल्ली सरकार को मामले में नया कारण बताओ नोटिस जारी कर मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया।

यह है मामला

यह पूरा मामला गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के दाखिले से जुड़ा है। अंजली, अतुल व तान्या भी एमबीबीएस की काउंसलिंग में शामिल हुए थे। अंजली और अतुल का दाखिला होने पर तान्या ने अदालत में अर्जी दाखिल करके कहा कि दोनों का ओबीसी प्रमाण पत्र फर्जी है। इसी बीच अतुल ने दाखिला वापस ले लिया और अतुल की जगह पर तान्या का दाखिला हो गया। तान्या का दाखिला होने पर एक अन्य छात्रा रश्मी ने याचिका दायर करके दावा किया कि उसकी मेरिट तान्या से अच्छी है। अदालत ने रिकार्ड देखने के बाद तान्या के बजाये रश्मि का दाखिला करने का आदेश दे दिया। अब इसके बाद तान्या व उसके पिता जेएस मन ने अंजली को जारी किए गए ओबीसी प्रमाण पत्र के खिलाफ नवंबर 2019 में एसडीएम कार्यालय में शिकायत कर दी। दावा किया कि अंजली दिल्ली की निवासी नहीं है। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए जनवरी 2020 में एसडीएम ने अंजली का ओबीसी प्रमाण पत्र रद कर दिया। इस फैसले को अंजली ने अधिवक्ता हरीश वैद्यनाथन शंकर के माध्यम से दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी। इस पर पीठ ने विश्वविद्यालय को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।

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