Rakesh Tikait व प्रदर्शनकारियों के खिलाफ फूटा ग्रामीणों का गुस्सा, दी ये चेतावनी

Farmer Protest प्रदर्शन के दौरान कृषि कानूनों के विरोध में बार्डर पर जमे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ग्रामीणों ने खूब नारेबाजी की। इस दौरान राकेश टिकैत के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की गई। पुलिसकर्मियों के समझाने पर ग्रामीण सड़क से हटने को राजी हुए।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 06:21 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 11:13 AM (IST)
Rakesh Tikait व प्रदर्शनकारियों के खिलाफ फूटा ग्रामीणों का गुस्सा, दी ये चेतावनी
ग्रामीणों का कृषि कानून विरोधियों के खिलाफ फूटा गुस्सा

नई दिल्ली [भगवान झा]। हरियाणा के बहादुरगढ़ से सटे दिल्ली के सीमावर्ती गांव झाड़ौदा कलां के ग्रामीणों का सब्र टूट गया है। बहादुरगढ़ बॉर्डर पर आवाजाही बंद किए जाने के विरोध में गांव वालों ने सड़क पर यातायात अवरुद्ध कर दिया। प्रदर्शन के दौरान कृषि कानूनों के विरोध में बार्डर पर जमे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ग्रामीणों ने खूब नारेबाजी की। इस दौरान राकेश टिकैत के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की गई। करीब दो घंटे तक ग्रामीणों ने गांव से गुजरने वाली बहादुरगढ़ रोड पर आवागमन को रोके रखा। बाद में पुलिसकर्मियों के समझाने पर ग्रामीण सड़क से हटने को राजी हुए।

दो घंटे तक आवागमन बाधित करने का असर क्षेत्र के यातायात पर पड़ा। प्रदर्शन के मद्देनजर यातायात विभाग को मार्ग परिवर्तन के लिए मजबूर होना पड़ा। यातायात पुलिस ने वाहन चालकों के लिए सलाह जारी करते हुए इस सड़क के इस्तेमाल से बचने की सलाह दी।

समाधान नहीं निकला तो फिर करेंगे यातायात जाम

विरोध प्रदर्शन कर रहे मौजीराम ने बताया कि कि यदि जल्द ही बार्डर पर अावागमन शुरू नहीं किया गया तो दोबारा यातायात बाधित किया जाएगा। यह मसला केवल झाड़ौदा कलां गांव से ही नहीं बल्कि दिल्ली देहात के हर सीमावर्ती गांव से जुड़ा है। इस मसले पर झाड़ौदा कलां गांव को दिल्ली के सभी गांवों का समर्थन प्राप्त है।

कई तरह की परेशानी

नजफगढ़ विधानसभा क्षेत्र में स्थित झाड़ौदा कलां गांव से जितनी दूरी नजफगढ़ की है उससे काफी कम दूरी बहादुरगढ़ की है। चाहे बच्चों की पढ़ाई लिखाई हो या रोजमर्रा से जुड़ी जरूरतें, तमाम चीजों के लिए लोग बहादुरगढ़ ही जाते हैं। लेकिन अब बहादुरगढ़ जाने का कोई सीधा रास्ता नहीं होने के कारण लोगों के लिए छोटी सी दूरी भी लंबी दूरी बन चुकी है। यदि पैदल बहादुरगढ़ के लिए जाएं तो गांव से करीब तीन किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी। गांव वालों का कहना है कि जिस दौर में एक मिनट का समय भी मायने रखता है उस दौर में तीन किलोमीटर पैदल चलना यानि कम से कम आधे घंटे का वक्त लगना है।

पूरी व्यवस्था हो गई चौपट

ग्रामीणों का कहना है कि बहादुरगढ़ मेन रोड पर यातायात बंद होने के कारण अब हरियाणा व दिल्ली के बीच आवागमन के लिए लोग खेतों के बीच से गुजरने वाले रास्तों का प्रयोग करते हैं। ये ऐसे रास्ते हैं जिनका इस्तेमाल किसान केवल खेतीबाड़ी से जुड़े कार्यों में करते थे। लेकिन अब इन रास्तों पर बड़ी संख्या में वाहन गुजरते हैं। कई बार तो भारी वाहन भी इन रास्तों से गुजरते हैं। कई वाहन चालक गांव की आंतरिक सड़कों का भी इस्तेमाल करने लगे हैं। वाहनों के भारी दवाब के कारण सड़कें जर्जर होने लगी हैं।

वाहनों के गुजरने के कारण धूल एक बड़ी समस्या है। सड़कों के किनारे स्थित खेत में लगी फसल पर धूल की मोटी परत जमी है। धूल की मोटी परत के कारण पौध का विकास नहीं हो पा रहा है। गांव में सब्जी की खेती होती है। सब्जी बेचने के लिए लोग बहादुरगढ़ का रुख करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पा रहा है। हमारे तय खरीददार थे, अब नए खरीददार अपनी शर्तें हमारे उपर थाेपते हैं। जहां गोभी पहले दस रुपये किलो बेचते थे अब वह एक रुपये किलो बेचने के लिए हम मजबूर हैं।

chat bot
आपका साथी