झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को निर्देश, घर लौटेगी नाबालिग लड़की; करोलबाग से कराया गया है मुक्त

बृहस्पतिवार को दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली के चन्ना मार्केट करोल बाग से झारखंड की मूल निवासी नाबालिग लड़की को रेस्क्यू करवाया गया। लड़की झारखंड के गुमला पालकोट इलाके की रहने वाली है और 16 वर्ष की है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Fri, 09 Apr 2021 03:35 PM (IST) Updated:Fri, 09 Apr 2021 03:35 PM (IST)
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को निर्देश, घर लौटेगी नाबालिग लड़की; करोलबाग से कराया गया है मुक्त
लड़की पिछले 4 महीने से करोल बाग के इस घर में काम कर रही थी।

नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। दिल्ली महिला आयोग द्वारा करोल बाग से मुक्त कराई गई नाबालिग लड़की अपने घर झारखंड के गुमला पालकोट वापस लौटेगी। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिल्ली महिला आयोग द्वारा रेस्क्यू करवाई गई नाबालिग बच्ची को वापिस गृह राज्य लाने और पुनर्वास के लिए झारखंड सरकार के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही निर्देश को अमल में लाया जाएगा।  बता दें कि झारखंड की नाबालिग लड़की को दिल्ली महिला आयोग ने ट्विटर पर मिली शिकायत बाद रेस्क्यू करवाया है। यह नाबालिग लड़की झारखंड के गुमला पालकोट की रहने वाली है। दिल्ली महिला आयोग को ट्विटर के जरिए लड़की के दिल्ली के करोल बाग के एक घर में काम करने की सूचना मिली थी। 

बृहस्पतिवार को दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली के चन्ना मार्केट, करोल बाग से झारखंड की मूल निवासी लड़की को रेस्क्यू करवाया। लड़की झारखंड के गुमला पालकोट इलाके की रहने वाली है और 16 वर्ष की है। दिल्ली महिला आयोग ने ट्विटर पर एक ट्वीट का संज्ञान लेते हुए लड़की को तलाशा और उसे करोल बाग चन्ना मार्केट के एक घर से रेस्क्यू करवाया। ये ट्वीट झारखंड के हैंडल से किया गया था जिसने झारखंड व दिल्ली पुलिस को टैग किया था।

लड़की के मुताबिक, उसे गांव से दिल्ली काम दिलाने के बहाने लाया गया था फिर उसका फर्जी आधार कार्ड भी बनवाया गया। लड़की को सिखाया गया कि यदि कोई भी उससे उसकी उम्र पूछे तो उसे 18 वर्ष बताना है। इसके बाद लड़की पिछले 4 महीने से करोल बाग के इस घर में काम कर रही थी और इससे पहले एक और घर में उसने 4 महीने काम किया था। लड़की ने बताया की वो वापस अपने घर जाना चाहती है।

दिल्ली महिला आयोग की टीम ने लड़की को घर से बाहर निकलवाया और उसे चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने प्रस्तुत करवाने के बाद शेल्टर होम में रखवाया गया। दिल्ली महिला आयोग इस बात का भी संज्ञान के रहा है की लड़की का नक़ली आधार कार्ड कैसे बनवाया गया।

यह मामला झारखंड और अन्य राज्यों से दिल्ली में ट्रैफिकिंग किए जाने का एक और उदाहरण है। पिछले 5 साल में दिल्ली महिला आयोग झारखंड से ऐसी अनेक लड़कियों को दिल्ली के अलग अलग कोनों से रेस्क्यू करवाता आया है। कुछ महीने पहले ही दिल्ली महिला आयोग द्वारा रेस्क्यू करवाई गई कई लड़कियों को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर वापिस उनके गृह राज्य पहुंचाया गया था।

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