चढ़ावे के फूलों से झंडेवालान मंदिर में तैयार हो रही खाद, धार्मिक पहलू से भी है महत्वपूर्ण

मंदिर के ट्रस्टी रविंद्र गोयल ने बताया कि अब नियमित फूल डालने और खाद निकालने की प्रक्रिया चल रही है, जिससे रोजाना पांच से सात किलो खाद तैयार हो रही है।

By Edited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 08:02 PM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 09:37 PM (IST)
चढ़ावे के फूलों से झंडेवालान मंदिर में तैयार हो रही खाद, धार्मिक पहलू से भी है महत्वपूर्ण
चढ़ावे के फूलों से झंडेवालान मंदिर में तैयार हो रही खाद, धार्मिक पहलू से भी है महत्वपूर्ण

नई दिल्ली (जेएनएन)। प्राचीन झंडेवालान मंदिर में माता को अर्पित किए जाने वाले फूलों से खाद तैयार की जा रही है। इसके लिए मंदिर में ही प्लांट लगाया गया है। इस खाद को स्कूलों के साथ ही अन्य सार्वजनिक संस्थाओं और आम लोगों को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है।

खाद बनने में लगता है 15 दिनों का समय 
दिल्ली-एनसीआर के लोगों में श्रद्धा के केंद्र माता के इस मंदिर में रोजाना हजारों भक्त फूल, माला और अन्य पूजन सामग्रियों के साथ प्रार्थना करने पहुंचते हैं। इनमें अकेले रोजाना 40 से 50 किलो फूल होते हैं। वहीं, मंगलवार, बुधवार व शनिवार को फूलों का वजन बढ़कर 60 से 70 किलो तक हो जाता है। प्लांट में फूलों को डालने से पहले उनको अलग किया जाता है। इसके बाद फूलों को पहले एक मशीन से बारीक काटा जाता है। इसके बाद प्लांट में डाला जाता है। एक बार फूल डालने के बाद मशीन को उसे खाद बनाने में करीब 15 दिनों का समय लगता है।

जारी है फूल डालने और खाद निकालने की प्रक्रिया
मंदिर के ट्रस्टी रविंद्र गोयल ने बताया कि अब नियमित फूल डालने और खाद निकालने की प्रक्रिया चल रही है, जिससे रोजाना पांच से सात किलो खाद तैयार हो रही है। उन्होंने बताया कि नवरात्र से पहले इस मशीन की स्थापना की गई है, जिसे निजी कंपनी ने कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) फंड के तहत मंदिर को दिया है।

धार्मिक पहलू से भी है महत्वपूर्ण
मशीन के संचालन के लिए मंदिर के एक कर्मचारी को प्रशिक्षित किया गया है। यह पहल न केवल स्वच्छता व पर्यावरण की दृष्टि से बल्कि धार्मिक पहलू से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके पहले यह फूल यमुना में फेंका जाता था। एनजीटी के सख्त रूख के बाद कुछ साल पहले यमुना में पूजन सामग्रियों को डालना बंद हुआ तो कुछ माह पहले तक उसे कूड़े में फेंका जाने लगा था। अब फूल सीधे प्लांट में जाते हैं।

तैयार होती है पांच से सात किलो खाद 
रविंद्र गोयल ने बताया कि इस मशीन में रोजाना 40 से 50 किलो फूलों को डाला जाता है, जिससे पांच से सात किलो खाद तैयार होती है। इस मशीन की क्षमता वैसे 100 किलो फूलों की है। वहीं नवरात्र के दिनों में अधिक मात्रा में फूलों के चढ़ने पर आधे से अधिक फूलों को ट्रक में डालकर मानेसर के पंचगांव स्थित मंदिर के गोशाला में भेजा जाता हैं और वहां इसे गोबर में मिलाकर जैविक खाद तैयार की जाती है।

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