संस्कारशालाः अच्छाई का उजाला कहानी से सीखा सत्संगति का पाठ

शिक्षिका ने छात्रों से कहानी पर आधारित कई और प्रश्न भी किए जिसका छात्रों ने अॉनलाइमाध्यम से ही उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि इस बार संस्कारशाला में प्रकाशित अच्छाई का उजाला कहानी से छात्रों को जीवन में सत्संगति के महत्त्व का पता चला है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 06:51 PM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 06:51 PM (IST)
संस्कारशालाः अच्छाई का उजाला कहानी से सीखा सत्संगति का पाठ
जागरण संस्कारशालाः संस्कार ही है जो हमारा हमेशा मार्गदर्शन करते हैं।

नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। राजधानी के विभिन्न स्कूलों में छात्रों को नैतिक मूल्य सिखाने के साथ-साथ संस्कार का संचार करने के लिए दैनिक जागरण हर वर्ष संस्कारशाला का आयोजन करता है ताकि छात्रों को संस्कारयुक्त शिक्षा मिले। इस साल स्कूलों ने कोरोना महामारी को देखते हुए यह कार्यक्रम ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया। जिसमें छात्रों को संस्कारशाला कॉलम में प्रकाशित कहानी सुनाने के बाद विभिन्न गतिविधियां भी कराई गई।

द्वारका सेक्टर-18 स्थित श्री वेंकटेश्वर इंटरनेशनल स्कूल ने बृहस्पतिवार को कक्षा छह से दस तक के छात्रों के लिए संस्कारशाला के तहत स्कूल के रंगमंच विभाग ने ऑनलाइन माध्यम से कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में छात्रों को शिक्षिका ने दैनिक जागरण के 30 सितंबर के अंक में प्रकाशित अच्छाई का उजाला कहानी पढ़कर सुनाई व उसका मंचन भी किया। कहानी सुनाने के बाद उन्होंने छात्रों को अच्छी संगति से जुड़े कई उदाहरण दिए जिसके बाद छात्रों से पूछा कि इस कहानी से उन्हें क्या सीख मिली तो जवाब में छात्रों ने कहा कि उन्होंने कहानी के जरिये सुसंग व कुसंग के परिणामों को जानकर सत्संगति के महत्व को जाना। वहीं, कुछा छात्रों ने बताया कि वह प्रकृति के महत्वपूर्ण उदाहरणों के माध्यम से विषय को भली-भांति समझ पाएं।

वहीं, शिक्षिका ने छात्रों से कहानी पर आधारित कई और प्रश्न भी किए जिसका छात्रों ने ऑनलाइन माध्यम से ही उत्तर दिया। वहीं, विद्यालय की प्रधानाचार्या नीता अरोड़ा ने बताया कि वह विद्यालय में प्रत्येक बुधवार को कक्षा छह से दस तक के सभी छात्रों से दैनिक जागरण के संस्कारशाला कॉलम में प्रकाशित नैतिक मूल्यों पर आधारित कहानी पर चर्चा करती हैं। उन्होंने कहा कि इस बार संस्कारशाला में प्रकाशित अच्छाई का उजाला कहानी से छात्रों को जीवन में सत्संगति के महत्त्व का पता चला है।

उनको पता चला कि किस प्रकार बुराई काले बादल समान जीवन में अंधकार भर देती है व अच्छाई सूरज की भांति हमें सन्मार्ग दिखाती है। उन्होंने कहा कि सत्संगति से जहां हम उत्थान की ओर अग्रसर होते हैं वहीं कुसंगति हमें पतन की ओर ले जाती है। नीता के मुताबिक हमारे जीवन की बुनियाद हमारे जीवन के मूल्य और संस्कार ही है जो हमारा हमेशा मार्गदर्शन करते हैं और हमें उचित-अनुचित का बोध कराते हैं।

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