RIP Jagmohan Malhotra: कश्मीरी पंडितों के मसीहा बने जगमोहन, हर विरोध का डटकर किया था सामना
RIP Jagmohan Malhotra जगमोहन ने दो बार जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल का पद संभाला। उन्हें पहले कांग्रेस सरकार ने 1984 में राज्यपाल बनाकर भेजा था। पहली पारी के दौरान वह जून 1989 तक इस पद पर रहे। फिर वीपी सिंह सरकार ने उन्हें दोबारा 1990 में राज्यपाल बनाकर भेजा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे जगमोहन मल्होत्रा का सोमवार रात निधन हो गया। वे 94 साल के थे। मंगलवार को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनका जन्म 1927 में अविभाजित भारत के हाफिजाबाद (फिलहाल पाकिस्तान में है) में हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन को देश के लिए एक बड़ी क्षति बताते हुए लिखा, 'वो एक बेहतरीन प्रशासक और प्रख्यात विद्वान थे। उन्होंने सदा भारत की बेहतरी के लिए काम किया। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'जगमोहन जी को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उनके उल्लेखनीय कार्यकाल के लिए हमेशा याद किया जाएगा। एक सक्षम प्रशासक और बाद में एक समर्पित राजनेता जिन्होंने राष्ट्र की शांति और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए। भारत उनके निधन पर शोक व्यक्त करता है। उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। ओम शांति।' जगमोहन दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति अपने बेटे मनमोहन के साथ रहते थे।
दो बार संभाला जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल का कामकाज
जगमोहन ने दो बार जम्मू-कश्मीर (अब केंद्र शासित) के राज्यपाल का पद संभाला। उन्हें पहले कांग्रेस सरकार ने 1984 में राज्यपाल बनाकर भेजा था। पहली पारी के दौरान वह जून 1989 तक इस पद पर रहे। फिर वीपी सिंह सरकार ने उन्हें दोबारा जनवरी 1990 में राज्यपाल बनाकर भेजा। वह इस पद पर मई 1990 तक रहे। दूसरी पारी में राज्यपाल रहते हुए जगमोहन ने कई सख्त फैसले लिए। आतंकवादियों के खिलाफ आपरेशन की रणनीति बनाकर कश्मीरी पंडितों के खिलाफ होने वाले अत्याचार को रोकने की कोशिश की। हालांकि उन्हें स्थानीय नेताओं का काफी विरोध झेलना पड़ा। उन्होंने एक श्राइन बोर्ड का भी गठन किया था। इस बोर्ड के तहत ही माता वैष्णो देवी और अमरनाथ यात्रा संचालित होती है।
राजधानी दिल्ली के सौंदर्यीकरण दिया जोर
जगमोहन राज्यसभा के साथ लोकसभा के भी सदस्य रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वह मंत्री भी बने। उन्होंने मंत्री रहते हुए लाल किले के साथ ही किला रायपिथौरा के रखरखाव के लिए बेहतरीन योगदान दिया था। वह गोवा, दमन ओर दीव के भी राज्यपाल रहे। आपातकाल के दौरान दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) का उपाध्यक्ष रहते उन्होंने राजधानी दिल्ली के सौंदर्यीकरण पर विशेष जोर दिया था।
अनुच्छेद-370 हटाने के बाद अमित शाह ने की थी मुलाकात
वर्ष 2019 में जब मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद-370 को हटाने का फैसला किया तो उस वक्त गृह मंत्री अमित शाह ने इसके फायदों के बारे में बताने के लिए राष्ट्रव्यापी संपर्क अभियान शुरू किया था। इसके तहत सबसे पहले शाह और तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चाणक्युपरी स्थित उनके घर पर पहुंचकर मुलाकात की थी। तीस हजारी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता संजीव नसीयर उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वे स्वाभिमानी व्यक्ति थे।