क्या सीटी स्कैन करवाने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है? पढ़िये- आइआरआइए का नया दावा

CT SCAN Latest News आइआरआइए का कहना है कि एम्स के निदेशक द्वारा राष्ट्रीय टेलीविजन चैनलों पर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया द्वारा कोरोना संक्रमण की जांच के लिए सीटी स्कैन के इस्तेमाल को कैंसर का कारण बताने से लोगों के बीच इसको लेकर भ्रम की स्थिति बन सकती है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 07:55 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 07:55 AM (IST)
क्या सीटी स्कैन करवाने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है? पढ़िये- आइआरआइए का नया दावा
क्या सीटी स्कैन करवाने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है? पढ़िये- आइआरआइए का नया दावा

नई दिल्ली [राहुल चौहान]। कोरोना वायरस संक्रमण का पता करने और इलाज के लिए सीटी स्कैन जांच कराने को लेकर अब नई थ्योरी सामने आई है। इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन (आइआरआइए) का कहना है कि एक सीटी स्कैन 300-400 एक्सरे के बराबर है, बिल्कुल गलत है। यह बात बिल्कुल गलत है। दरअसल, दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया (Dr. Randeep Guleria, Director, All India Institute of Medical Sciences, Delhi) द्वारा सीटी स्कैन को लेकर दिए गए बयान पर इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन (आइआरआइए) ने रोष जताया है। संस्था की ओर से प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा गया है कि हम डॉ रणदीप गुलेरिया द्वारा दिए गए बयान से असहमत हैं।

आइआरआइए का कहना है कि एम्स के निदेशक द्वारा राष्ट्रीय टेलीविजन चैनलों पर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया द्वारा कोरोना संक्रमण की जांच के लिए सीटी स्कैन के इस्तेमाल को कैंसर का कारण बताने से लोगों के बीच इसको लेकर भ्रम की स्थिति बन सकती है। उनका यह कहना कि एक सीटी स्कैन 300-400 एक्सरे के बराबर है, बिल्कुल गलत है।

आइआरआइए की सफाई, सीटी स्कैन से कैंसर के खतरे की बात गुजरे जमाने की थ्योरी

एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि सीटी स्कैन से कैंसर के खतरे की बात बहुत पुरानी हो चुकी है। अब सीटी स्कैन में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होने से रेडिएशन का खतरा काफी कम हो गया है। इसलिए इससे अब कैंसर का खतरा नहीं है। साथ ही कोरोना संक्रमण के स्तर का पता लगाने और उचित इलाज शुरू करने के लिए सीटी स्कैन एक सही तरीका है।

प्रेस वक्तव्य जारी कर एम्स के डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के बयान को बताया गलत

एसोसिएशन से जुड़े डाक्टर अमरनाथ का कहना है कि सीटी स्कैन द्वारा संक्रमण के स्तर का पता चलने से डॉक्टर यह तय कर पाते हैं कि मरीज को होमआइसोलेशन में रहने की जरूरत है या अस्पताल में। साथ ही इससे बैक्टीरियल संक्रमण और हार्ट अटैक की संभावना का भी पता चलता है।

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