एनडीए से बाहर किए गए युवक को दिल्ली HC ने दी सीख, 'सेना में अनुशासनहीनता माफी योग्य नहीं'

अप्रैल 2017 में एक दिन के आराम के लिए विक्रांत ने चिकित्सा पर्ची पर ओवर-राइटिंग की और मई 2017 में उसके सहपाठी की ई-बुक उसके केबिन से बरामद हुई थी। इस पर विक्रांत को पहले जूनियर बैच में डाला गया और फिर एकेडमी से भी निकाल दिया गया।

By Jp YadavEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 08:58 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 08:58 AM (IST)
एनडीए से बाहर किए गए युवक को दिल्ली HC ने दी सीख, 'सेना में अनुशासनहीनता माफी योग्य नहीं'
एनडीए से बाहर किए गए युवक को दिल्ली HC ने दी सीख, 'सेना में अनुशासनहीनता माफी योग्य नहीं'

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। चिकित्सा पर्ची पर ओवर-राइटिंग करने और सहपाठी की ई-बुक की चोरी जैसी अनुशासनहीन गतिविधियों के कारण राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) से बाहर किए गए युवक को दिल्ली हाई कोर्ट ने अनुशासन का पाठ पढ़ाया। एयरफोर्स की परीक्षा पास कर चुके युवक को साक्षात्कार की अनुमति देने से इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति नवीन चावला व न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि सेना में अनुशासनहीनता माफी योग्य नहीं है। दिल्ली के करिप्पा विहार निवासी विक्रांत सिंह कुंदू ने अधिवक्ता पुष्पेंद्र ढाका के माध्यम से याचिका दायर की थी। विक्रांत ने 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद प्री-कमीशन प्रशिक्षण के लिए वर्ष 2016 में एनडीए ज्वाइन किया था।

आरोप है कि अप्रैल, 2017 में एक दिन के आराम के लिए विक्रांत ने चिकित्सा पर्ची पर ओवर-राइटिंग की और मई, 2017 में उसके सहपाठी की ई-बुक उसके केबिन से बरामद हुई थी। इस पर विक्रांत को पहले जूनियर बैच में डाला गया और फिर एकेडमी से भी निकाल दिया गया। कार्रवाई के खिलाफ विक्रांत ने एक कानूनी नोटिस भेजा, जिसे अतिरिक्त भर्ती निदेशालय नई दिल्ली ने निरस्त कर दिया था। एनडीए से निकाले जाने के बाद विक्रांत से दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया और एयरफोर्स की संयुक्त प्रवेश परीक्षा पास की। 28 जून को साक्षात्कार के लिए उसे बुलाया गया है। लेकिन, सेना सख्त नियमों को देखते हुए विक्रांत ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

विक्रांत के वकील ने दलील दी कि एनडीए प्रशिक्षण से निकाले जाने का आदेश न सिर्फ मनमाना था, बल्कि इसकी वजह बेहद चौंकाने वाली है। इसमें ई-बुक चोरी करने की बात कही गई है, जबकि सामान्य तौर पर कैडेट आपस में ई-बुक साझा करते हैं। उम्र के इस पड़ाव पर इस तरह की छोटी गलतियां होती हैं, लेकिन इसके लिए एक होनहार युवक को सेना में जाने से नहीं रोका जा सकता है। ऐसे में साक्षात्कार में शामिल होने का विक्रांत को मौका दिया जाना चाहिए। वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए स्टैंडिंग काउंसल हरीश वैद्यनाथन शंकर ने कहा कि याचिकाकर्ता तो आवेदन करने का पात्र ही नहीं है।

बता दें कि एनडीए, आइएमए या अन्य सैन्य सेवाओं केआवेदन फार्म में स्पष्ट किया गया है कि अनुशासनहीनता के आधार पर बाहर किया गया युवक आवेदन करने का पात्र नहीं है। याचिका को वापस लेने की बात कहने पर अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया।

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