कोरोना टीके को पेटेंट मुक्त कराने के स्वदेशी अभियान को मिल रहा अंतरराष्ट्रीय समर्थन: स्वदेशी जागरण मंच

मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्वनी महाजन ने बताया कि इस अभियान से श्रमिक किसान उद्योग विश्वविद्यालय छात्र व सामाजिक समेत अन्य संगठनों को जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासाें के साथ इस तरह की मुहिम का असर देखा जा रहा है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 07:33 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 07:33 AM (IST)
कोरोना टीके को पेटेंट मुक्त कराने के स्वदेशी अभियान को मिल रहा अंतरराष्ट्रीय समर्थन: स्वदेशी जागरण मंच
कोरोना टीका को पेटेंट मुक्त करने के स्वदेशी जागरण मंच का अभियान

 नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना टीका को पेटेंट मुक्त करने के स्वदेशी जागरण मंच के अभियान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी समर्थन मिल रहा है। करीब एक माह से चल रहे उसके "यूनिवर्सल एक्सेस टू वैक्सीन एंड मेडिसिन'' डिजिटल हस्ताक्षर अभियान से 13 लाख से अधिक लोग जुड़ गए हैं। विशेष बात कि इसे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, स्वीडन, कनाडा समेत यूरोप के अन्य देश तथा खाड़ी मुल्कों के लोग साथ आए हैं। इस अभियान के पक्ष में हस्ताक्षर करने वाले नौ हजार से अधिक लोग विदेशी हैं। इस अभियान को आगे बढ़ाते हुए मंच ने 20 जून को वैश्विक स्तर पर "जागृति दिवस'' मनाने की तैयारी की है। जिसके तहत देश के 700 से अधिक जिलों में कार्यक्रम करने के साथ देश के बाहर दो हजार से अधिक कार्यक्रम करने की तैयारी है।

मंच लगातार कोरोना के टीके के साथ ही इससे संबंधित दवाओं को पेटेंट मुक्त करने की मांग कर रहा है। इसे लेकर वैश्विक स्तर पर मुहिम भी चला रखी है। कुछ दिन पहले इसके द्वारा आयोजित वेबिनार में अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति व हावर्ड विश्वविद्यालय के प्रो. नरेंद्र रुस्तगी के अलावा अमेरिका के कई महत्वपूर्ण हस्तियां शामिल हुई थीं। इस अभियान में मंच द्वारा विभिन्न देश के दूतावास व उच्चायोग मेें ज्ञापन भी सौंपा जा रहा है।

बता दें कि पिछले वर्ष चीन के अधिनायकवादी नीतियों के खिलाफ भी मंच ने वैश्विक अभियान चलाया था। मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्वनी महाजन ने बताया कि इस अभियान से श्रमिक, किसान, उद्योग, विश्वविद्यालय, छात्र व सामाजिक समेत अन्य संगठनों को जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासाें के साथ इस तरह की मुहिम का असर देखा जा रहा है। जी-7 देशों में खासकर फ्रांस प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और कच्चे माल की सुचारू आपूर्ति के साथ-साथ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में ट्रिप्स छूट के लिए भारत और दक्षिण अफ्रीका के प्रयास का समर्थन किया है। इसी तरह यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित दुनिया के सभी हिस्सों के सांसदों, वैज्ञानिकों और नोबेल पुरस्कार विजेता भी अपनी सरकारों पर दबाव डालने के लिए साथ आए हैं। यह प्रशंसनीय है।

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