खेत की नमी बरकरार रखने के लिए जुताई के बाद पाटा लगाएं, अगेती रबी फसलों को लेकर पढ़िए विज्ञानियों की सलाह

पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के विज्ञानियों का कहना है कि अगेती रबी फसलों की तैयारी के लिए खेत की जुताई करने के तुरंत बाद पाटा अवश्य लगाएं ताकि मिट्टी से नमी का ह्रास न हो। इस मौसम में अगेती मटर की बुवाई कर सकते हैं।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 04:56 PM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 05:04 PM (IST)
खेत की नमी बरकरार रखने के लिए जुताई के बाद पाटा लगाएं, अगेती रबी फसलों को लेकर पढ़िए विज्ञानियों की सलाह
विज्ञानियों का कहना है कि अगेती रबी फसलों की तैयारी के लिए खेत की जुताई के बाद पाटा लगाए।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के विज्ञानियों का कहना है कि अगेती रबी फसलों की तैयारी के लिए खेत की जुताई करने के तुरंत बाद पाटा अवश्य लगाएं ताकि मिट्टी से नमी का ह्रास न हो। इस मौसम में अगेती मटर की बुवाई कर सकते हैं। अगेती मटर की उन्नत किस्मों में पूसा प्रगति, पूसा श्री शामिल हैं। विज्ञानियों का कहना है कि बुवाई से पहले बीजों को कवकनाशी कैप्टान या थायरम की दो ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाकर उपचार करें और फिर फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगाएं। गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर ले और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें और अगले दिन बुवाई करें।

ऐसे किसान जो सरसों की अगेती बुवाई करना चाहते हैं वे बीज की व्यवस्था शुरू कर दें। सरसों की अगेती बुवाई के लिए पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-26, पूसा सरसों-28, पूसा अगर्णी, पूसा तारक, पूसा महक किस्म उपयुक्त हैं। इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई मेड़ों पर कर सकते हैं। यहां भी बुवाई से पूर्व बीज का कैप्टान से उपचार करें और खेत में देशी खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें। गाजर की बुवाई मशीन से करने पर बीज एक किलोग्राम प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है, जिससे बीज की बचत और उत्पाद की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है। इस मौसम में फसलों और सब्जियों में दीमक का प्रकोप होने की संभावना रहती है।

ऐसे में किसान फसलों की निगरानी करें। यदि प्रकोप दिखाई दे तो क्लोरपायरीफास 20 ईसी की उचित मात्र को पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें। यदि फसलों और सब्जियों में सफेद मक्खी या चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दें तो इमिडाक्लोप्रिड दवाई की उचित मात्र को पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें। इस मौसम में धान में आभासी कंड आने की संभावना है। इस बीमारी के आने से धान के दाने आकार में फूल जाते है। इसकी रोकथाम के लिए ब्लाइटोक्स की उचित मात्र को पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें।

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