1971 WAR : 'भगवान' ने पाक सीमा में घुसकर मचाई थी तबाही, पढ़िए- चौंकाने वाली स्टोरी

भारत-पाक जंग के आखिरी दिन थे। पीछे से मदद नहीं मिल पा रही थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने साथी जवानों को लड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हुए लड़ते रहे।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Mon, 10 Dec 2018 01:08 PM (IST) Updated:Mon, 10 Dec 2018 01:48 PM (IST)
1971 WAR : 'भगवान' ने पाक सीमा में घुसकर मचाई थी तबाही, पढ़िए- चौंकाने वाली स्टोरी
1971 WAR : 'भगवान' ने पाक सीमा में घुसकर मचाई थी तबाही, पढ़िए- चौंकाने वाली स्टोरी

हापुड़/गढ़मुक्तेश्वर [प्रिंस शर्मा]। भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1971 में हुए युद्ध के दौरान सिंभावली क्षेत्र के गांव मोहम्मदपुर खुड़लिया निवासी जयभगवान सिंह चौधरी वायुसेना में तैनात थे। उन्होंने बताया कि उस युद्ध में भारतीय वायु सेना के पंद्रह जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दी। उनके द्वारा किए गए हमले में बहुत से पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। इस दौरान उन्होंने अपने साथी पायलट को भी पाकिस्तान के सैनिकों से   बचाया था।

किसान के घर में हुए थे पैदा
गांव निवासी पूर्व सैनिक जयभगवान सिंह एक किसान के घर पैदा हुए। उनके परिवार में उनके अलावा तीन भाई एक बहन भी थी। अब उनके दो भाई और बहन की मौत हो चुकी है। गांव में हर कोई जयभगवान और उनके परिवार का सम्मान आज भी करता है। 

बचपन से थी देश सेवा
1960 में वह वायु सेना में भर्ती हुए। वह बताते हैं कि वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध में वह पश्चिम बंगाल की कलाइकुडा में तैनात थे। उसके बाद उन्हें जसूर जनपद में भेजा गया। सात दिन वहां रहने के बाद वह ढाका (बांग्लादेश) पहुंच गए। जयभगवान सिंह में बचपन से ही देश की सेवा करने का जज्बा था।

जंग के आखिरी दिन पाक सेना ने घेर लिया था
वे भारत-पाक जंग के आखिरी दिन थे। पीछे से मदद नहीं मिल पा रही थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने साथी जवानों को लड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हुए लड़ते रहे। इस दौरान उन्होंने अपने साथियों को अन्य देश भक्तों के किस्से भी सुनाए। कुछ ही देर बाद पाकिस्तानी टैंकों ने गोले बरसाते हुए उनकी पोस्ट को घेर लिया।

पायलट का पाक सैनिकों ने किया था अपहरण
इस दौरान उनके एक साथी पायलट का पाकिस्तान के सैनिकों ने अपहरण कर लिया। जानकारी मिलने पर वह अपने साथियों के साथ पाकिस्तान की सीमा में घुस गए और अपने पायलट साथी को छुड़ा लाए। उसके बाद उनके साथियों ने मिल कर पाकिस्तान के एक दर्जन से अधिक सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद पाकिस्तान सैनिकों ने सफेद झंडा दिखा कर आत्मसमर्पण कर दिया।

बता दें कि 1971 भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया और बांग्लादेश के रूप में एक नया देश बना। 16 दिसंबर को ही पाकिस्तानी सेना ने सरेंडर किया था।

ऐसे बने थे युद्ध के हालात
1971 में भारत के पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्‍तान में गृहयुद्ध जैसे हालात उत्‍पन्‍न हो चले थे। पूर्वी पाकिस्‍तान में मुक्ति वाहिनी का आंदोलन तेज हो चुका था। उन पर पाकिस्‍तानी सेना का दमन जारी था। पाक सेना के अत्‍याचार से बचने के लिए भारत में क़रीब डेढ़ करोड़ शरणार्थी (बंगाली और अल्‍पसंख्‍यक हिंदू) भारत में शरण लिए हुए थे।

भारत में शरणार्थियों की समस्‍या जटिल होती जा रही थी। पाकिस्‍तान के इस आंतरिक हालात का सीधा असर भारत पर पड़ रहा था। भारत ने दुनिया के मुल्‍कों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उसकी बात अनसूनी कर दी गई।

भारत इससे निपटने के लिए कुछ फैसला लेता, तब तक पाकिस्‍तान की सेना ने भारत पर आक्रमण कर दिया। 13 दिनों तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना की जीत हुई। इस युद्ध ने भारत को दक्षिण एशिया में एक महाशक्ति के रूप में स्‍थापित किया। भारत के युद्ध कौशल का लोहा दुनिया ने माना। इतना ही नहीं इस युद्ध के बाद तत्‍कालीन देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भारत का आयरन लेडी कहा गया।

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